सेमिनार रिपोर्ट 2013-14 - पॉलिसी धारक

सेमिनार रिपोर्ट 2013-14

"छूटे हुए लोगों तक पहुँचने के लिए बीमा जागरूकता" पर एक सेमिनार 7 मार्च 2014 को राजीव गाँधी विश्वविद्यालय सभाकक्ष, रोनो हिल्स, दोईमुख, अरुणाचल प्रदेश में कंज्यूमर यूनिटी एण्ड ट्रस्ट सोसाइटी(सीयूटीएस इंटरनेशनल) द्वारा आयोजित किया गया।

सेमिनार का आरम्भ श्री आर. सी. परीदा, अध्यक्ष, वाणिज्य विभाग, राजीव गाँधी विश्वविद्यालय के स्वागत भाषण के साथ किया गया।

इस सेमिनार में अरुणाचल प्रदेश के लगभग 140 सहभागी उपस्थित रहे जिनमें छात्र, शिक्षक सदस्य, नागरिक समाज के संगठन (सीएसओ), सामान्य उपभोक्ता और मीडिया के प्रतिनिधि शामिल थे। कट्स इंटरनेशनल के श्री सुमंत विश्वास और श्री निशिकांत सिन्हा ने संयुक्त रूप से कार्यक्रम का संचालन किया। श्री के. सी.कपूर, प्रभारी उपकुलपति, राजीव गाँधी विश्वविद्यालय ने हमारे दैनिक जीवन में बीमा के महत्व पर बल दिया।

प्रारंभिक सत्र में सुश्री केया घोष, निदेशक, कट्स इंटरनेशनल ने साधारण बीमा और उसके प्रकारों पर एक प्रस्तुतीकरण किया तथा उनकी राय थी कि उपभोक्ता को बीमा पॉलिसी दस्तावेज एवं लाभों के विवरण की स्पष्ट रूप से जाँच कर लेनी चाहिए कि क्या कवर है और क्या नहीं।

श्रीमती यज्ञनप्रिया भरत, संयुक्त निदेशक, प्राधिकरण, की ओर से सेमिनार में वक्ता के रूप में भाग लिया। उन्होंने "बीमा पॉलिसीधारकों का संरक्षण" पर एक प्रस्तुतीकरण किया तथा सूचित किया कि बीमा पॉलिसी लेने से पहले उपभोक्ताओं को अपनी आवश्यकताओं को समझने की जरूरत है। उन्होंने पॉलिसीधारकों के हितों के संरक्षण के लिए आईआरडीए द्वारा की गई पहलों की भी जानकारी दी। श्री एन. दत्ताराय, अतिरिक्त मंडलीय प्रबंधक, एलआईसी, जोरहाट मंडल, असम ने क्षेत्र को सेवा प्रदान करने में बीमा मध्यवर्तियों की भूमिका पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने यह भी सूचित किया कि राज्य की जनसंख्या का 37–40% अभी भी बीमा-रहित है अत: इस कारण से बीमा के लिए काफी गुंजाइश है।

कलकत्ता विश्वविद्यालय के प्रोफेसर नवीनानंद सेन ने इस बात को रेखांकित किया कि यह क्षेत्र कैसे वृद्धि करता रहा है और जोखिमों से रक्षा प्रदान करने के लिए यह कैसे विस्तार कर रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि युवा स्नातकों के लिए रोजगार के बहुत अधिक अवसर इस क्षेत्र में उपलब्ध हैं।

सेमिनार के दौरान आईआरडीए की उपभोक्ता शिक्षा सामग्री भी सहभागियों के बीच वितरित की गई।

श्री निशिकांत सिन्हा और डॉ. तासी केया ने धन्यवाद-ज्ञापन के साथ सेमिनार का समापन किया। इस बात को एकमत से स्वीकार किया गया कि इस प्रकार के सेमिनार भविष्य में भी आयोजित किये जाने चाहिए।

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