आईआरडीएआई वार्षिक सेमिनार 2011 - पॉलिसी धारक
- रंजन ने बीमा लोकपाल के बारे में जानकारी पायी
- रंजन ने मोटर बीमा को जारी रखने का निर्णय लिया
- रंजन ने यूलिप के बारे में और अधिक सीखा
- रंजन ने मह्सूस किया कि ईमानदारी ही श्रेष्ठ नीति है
- रंजन ने ‘अंडरइंश्योरेंस’ को समझा
- रंजन अब अपनी स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी स्थानांतरित (पोर्ट) कर सकता है
- रंजन ने फ्रीलुक अवधि के बारे में समझा
- रंजन ने प्रस्ताव फार्म भरता है
- रंजन ने लाइसेंसधारी मध्यस्थों के बारे में सीखा
- राजन ने सर्वेक्षकों से सम्बंधित जानकारी प्राप्त की
- रंजन तक्नीक की ओर उन्मुख हुआ
- रंजन ने नकदरहित (कैशलेस) सेवा के बारे में सीखा
चित्रकथा श्रृंखला - क्षेत्रीय भाषा
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आईआरडीएआई के जागरूकता अभियान (2010-2015) की दोपहर के भोजन के उपरांत सर्वेक्षण रिपोर्ट
आईआरडीएआई वार्षिक सेमिनार- 2011
आईआरडीए ने पॉलिसीधारकों के संरक्षण पर वार्षिक सेमिनारों की एक श्रंखला आयोजित की। इस श्रंखला में ‘पॉलिसीधारकों की सुरक्षा एवं कल्याण’ पर 03 जून, 2011 को दिल्ली में एक सेमिनार का आयोजन किया गया।
इस सेमिनार में तीन मुखय सत्र थे- उपभोक्ता शिक्षा, उपभोक्ता संरक्षण तथा शिकायत प्रबंधन एवं विवाद समाधान।
सेमिनार का उद्घाटन श्री एस.के. शर्मा, सचिव, वित्तीय सेवाओं का विभाग, वित्त मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा किया गया। उन्होंने आईआरडीए के उपभोक्ता मामलों के विभाग के ‘‘एकीकृत शिकायत प्रबंधन प्रणाली (आईजीएमएस)’’ को भी ऑनलाइन लांच किया
अपने उद्घाटन भाषण में श्री शर्मा ने कहा कि बीमा कंपनियों को बीमा साक्षरता पर फोकस करना चाहिए और उन्होंने इंगित किया कि बीमा कानूनों का सरलीकरण और तार्किकीकरण जैसे सरोकारों के कुछ प्रमुख क्षेत्र हैं।
उन्होंने बीमा कवरेज को अधिकतम किया जाना सुनिश्चित करने के लिए सामाजिक, ग्रामीण, और सूक्ष्म-बीमा संवर्गों में मजबूत जोखिम प्रबंधन तथा बीमा के बेहतर प्रसार की जरूरत पर बल दिया।
श्री जे. हरिनारायण, चेयरमैन, आईआरडीए ने अपने मुख्य संबोधन में कहा कि, आईजीएमएस, सभी बीमाकर्ताओं को पॉलिसीधारकों की शिकायतों का समाधान करने के लिए एक मानक प्लेटफार्म उपलब्ध कराता है और पक्षकारों को शिकायतों के डेटा का विश्लेषण करने तथा आवश्यकतानुसार व्यवस्थित बदलाव करने में भी सक्षम बनाता है।
सुश्री अनुश्री सिन्हा, एनसीएईआर ने आईआरडीए के वित्तीय सहयोग से एनसीएईआर द्वारा किए गए अनुसंधान के आधार पर बीमा जागरूकता स्तरों को मापने के विषय में एक प्रेजेंटेशन प्रस्तुत किया। कंज्युमर एसोसिएशन ऑफ इंडिया के श्री आर. देसीकन, श्री एस.बी. माथुर, महासचिव, जीवन बीमा परिषद, तथा श्री संजय केडिया, इंश्योरेंस ब्रोकर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने क्रमशः ‘‘बीमा में उपभोक्ता शिक्षा हेतु रणनीतियाँ’’, ‘‘उपभोक्ता शिक्षा-उद्योग जगत की पहल’’, तथा ‘‘बीमा एवं बीमा मध्यवर्ती तथा उपभोक्ता शिक्षा’’ पर अपने विचार प्रस्तुत किए।
द्वितीय सत्र में बीमा एवं उपभोक्ता संरक्षण, उपभोक्ता संरक्षण-उद्योग जगत के प्रयास, उपभोक्ता संरक्षण-बीमा मध्यवर्तियों के दायित्व' तथा उपभोक्ता संरक्षण-विनियामकीय दृष्टिकोण जैसे विषयों को शामिल किया गया।
इस सत्र के वक्ताओं में श्री राम खन्ना, दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स, श्री संदीप बख्शी, सीईओ, आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल लाइफ इंश्योरेंस कंपनी, श्री एच.एम. जैन, इंश्योरेंस एडवाइजरी कमिटी, तथा सुश्री यज्ञप्रिय भारत, संयुक्त निदेशक, आईआरडीए शामिल थे।
अंतिम सत्र शिकायत प्रबंधन-बीमा एवं विनियामकीय व्यवस्था, बीमा लोकपाल का स्थापन, मध्यस्थता तथा अन्य वैकल्पिक/कानूनी समाधान व्यवस्थाएँ, तथा तृतीय पार्टी एडमिनिस्ट्रेटर व पॉलिसीधारकों की शिकायतें आदि से संबंधित था, जिसे श्री टी.वी. राव, आईआरडीए, श्री विश्वनाथन, ऑफिस ऑफ दि इंश्योरेंस ओम्बड्समैन, श्री एम. रामदोस, दि न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी, तथा श्री पवन भल्ला, रक्षा टीपीए द्वारा प्रस्तुत किया गया।
प्राधिकरण ने ‘‘रंजन का बीमा से परिचय ’’ शीर्षक से एक चित्रकथा पुस्तक, तथा मोटर बीमा, स्वास्थ्य बीमा, मध्यवर्तियों, यात्रा बीमा, संपत्ति बीमा एवं जीवन बीमा पर पॉलिसीधारकों की पुस्तिकाओं का भी विमोचन किया।
सेमिनार के दौरान उपभोक्ता मामले विभाग की वार्षिक पुस्तिका 2010-11 का भी विमोचन किया गया।
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