बीमा जागरूकता दिवस - 2015 का वर्णन - पॉलिसी धारक

बीमा जागरूकता दिवस - 2015 का वर्णन

भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (आईआरडीएआई) का स्थापना दिवस (19अप्रैल) “बीमा जागरूकता दिवस” के रूप में 19 अप्रैल 2015 को मनाया गया। आंध्रप्रदेश और तेलंगाना के माननीय राज्यपाल श्री ई. एस.एल. नरसिंहन जी ने इस अवसर पर उपस्थित होकर कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई।


 

बीमा उद्योग, वित्तीय क्षेत्र के अन्य विनियमनकर्ताओँ और एनआईएसएम के वरिष्ठ अधिकारी, राज्य सरकार के अधिकारी, आईआरडीएआई के भूतपूर्व सदस्य, बीमा लोकपाल एवं आईआरडीएआई के कर्मचारीगण और उनके पारिवारिक सदस्य इस कार्यक्रम में उपस्थित रहे।

इस अवसर पर आंतरिक प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता और अखिल भारतीय बीमा प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता के अंतिम चरणों का भी आयोजन किया गया। आईआरडीएआई की आंतरिक प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता में एजेंसी विभाग के अधिकारियों की टीम `विजेता' (विनर्स) तथा विधि विभाग की टीम`उप-विजेता' (रनर्स-अप) रही ।


 

जहाँ तक अखिल भारतीय बीमा प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता के परिणामों का संबंध है, एक्साइड लाइफ इन्श्योरेंस कंपनी के सहभागियों को`विजेता' (विनर्स) और रिलायंस जनरल इन्श्योरेंस कंपनी के सहभागियों को`उप-विजेता' (रनर्स-अप) घोषित किया गया ।


 

इस अवसर पर अध्यक्ष, आईआरडीएआई ने बीमा दलालों के प्रशिक्षण के लिए ई-मॉड्यूल का शुभारंभ किया तथा भारतीय बीमा संस्थान द्वारा प्रकाशित 'इंटरमीडिएट मेडिकल लाइफ इन्श्योरेंस अंडरराइटिंग' एवं 'एड्वांस्ड लाइफ इन्श्योरेंस अंडरराइटिंग' पुस्तिकाओं का विमोचन किया।


 

मध्याह्न-भोजन के बाद वाले सत्र में वित्तीय समावेशन और बीमा साक्षरता पर एक दल चर्चा (पैनल डिस्कसन) आयोजित की गई। इसमें राष्ट्रीय प्रतिभूति प्रबंध संस्थान (एनआईएसएम) के राष्ट्रीय वित्तीय शिक्षा केन्द्र (एनसीएफई) से श्री संदीप घोष, भारतीय जीवन बीमा निगम से श्रीमती उषा सांगवान और भारतीय रिज़र्व बैंक से श्री मानस रंजनमोहन्ती तथा, सदस्य (वितरण) – आईआरडीएआई, श्री डी. डी.सिंह ने सहभागिता की और अपने विचार व्यक्त किये। वित्तीय समावेशन और साक्षरता की आवश्यकता, बीमा उपलब्ध कराने की जन धन योजना जैसी सरकार द्वारा की गई पहलें, बीमा जागरूकता और बीमा समावेशन को बढ़ावा देने के लिए बीमाकर्ताओं द्वारा उठाये गये कदम, एनसीएफई द्वारा संचालित वित्तीय जागरूकता और समावेशन संबंधी सर्वेक्षणकी मुख्य बातें, जागरूकता की वृद्धि करने में आईआरडीएआई द्वारा लिये गए कदम, आदि पर विचार-विमर्श किया गया।


 

श्री टी.एस. विजयन, अध्यक्ष, आईआरडीएआई ने अपने उद्बोधन में निजी सहभागिता के लिए बीमा क्षेत्र को आरम्भ तथा भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (आईआरडीएआई) की स्थापना होने से लेकर बीमा क्षेत्र में हो रही गतिविधियों के बारे में एक संक्षिप्त रूपरेखा प्रस्तुत की। उन्होंने बीमा विधि (संशोधन) अधिनियम, 2015 के अधिनियमन के परिणामस्वरूप कानूनी ढाँचे में परिवर्तनों के कारण उद्योग के समक्ष उपस्थित चुनौतियों के बारे में सभा को अवगत कराया।


 

श्री ई.एस. एल. नरसिंहन, माननीय राज्यपाल ने अपने संबोधन में उपभोक्ता शिक्षा के माध्यम से पॉलिसीधारक को सशक्त बनाने में आईआरडीएआई की भूमिका की सराहना की। उन्होंने सुझाव दिया कि बीमा पॉलिसी से संबंधित समस्याओं का समाधान करने के लिए पॉलिसियों की शर्तें सरल होनी चाहिए ताकि आम आदमी बिना किसी कठिनाई के बीमा पॉलिसी की बारीकियों को समझ सके। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि दावे के संबंध में भुगतान अविलंब किया जाएगा, यह विश्वास ही मुख्य कारण है जिससे लोग बीमा करवाते हैं। यद्यपि दावे के भुगतान का समय निर्णायक होता है, तथापि पॉलिसीधारक दावे की राशि का भुगतान प्राप्त करने में अनेक कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं, विशेष रूप से फ़सल, स्वास्थ्य और मोटर बीमा में। उन किसानों के लिए जिन्होंने अपनी फ़सल खो दी हो, दावे के निपटान में विलंब अथवा अस्वीकृति से अनुचित कष्ट उठाना पड़ता है। उन्होंने बीमाकर्ताओं से अनुरोध किया कि वे दावा प्रक्रिया को सरल बनाएँ। उन्होंने बीमाकर्ताओं को चेतावनी दी कि यदि विक्रय बल "सपनों के सौदागर" ही रह जाते हैं तो वे ग्राहकों का विश्वास जीतने के अपने कर्तव्य में विफल होंगे जिसके कारण आगे चलकर उद्योग को और क्षति होगी। कॉर्पोरेट सामाजिक दायित्व के बारे में कहते हुए उन्होंने उद्योग को परामर्श दिया कि वह पुलिस कार्मिकों और किसानों आदि को बीमा रक्षा उपलब्ध कराने जैसे जोखिम स्वीकार करने पर विचार करे। उन्होंने यह भी सूचित किया कि वरिष्ठ नागरिकों की बडी संख्या को ध्यान में रखते हुए बीमा कंपनियाँ ऐसे बीमा उत्पादों पर फोकस करें जो उनकी आवश्यकताओं के लिए उपयुक्त हों।


 

इस अवसर पर निम्नलिखित उपभोक्ता शिक्षा सामग्री का विमोचन विशेष रूप से उल्लेखनीय हैः-

1
झूठे फोन कॉल करनेवालों के विरुद्ध जनता को सतर्क करनेवाला टेलीविज़न विज्ञापनः- झूठे फोन कॉल एक खतरा है तथा आईआरडीएआई प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का उपयोग करते हुए इस खतरे को नियंत्रित करने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है। झूठे फोन कॉल करनेवालों के विरुद्ध जनता को सावधानकरते हुए उन्हें शिक्षित करने के लिए अपने निरंतर प्रयासों के एक भाग के रूप में आईआरडीएआई द्वारा एक टेलीविज़न विज्ञापन का निर्माण किया गया।
2
आईआरडीएआई का फेसबुक पेज :- फेसबुक सोशल मीडिया के एक भाग के रूप में कॉर्पोरेट क्षेत्र के लिए आंतरिक अंश है तथा आईआरडीएआई इस मंच के द्वारा भी जनसाधारण तक पहुँचने के लिए इस माध्यम का उपयोग करना चाहता है।
3
इलैक्ट्रोनिक पुस्तकें :- आईआरडीएआई ने बहुत कुछ उपभोक्ता शिक्षा सामग्री विकसित की है। तीन पुस्तकें अर्थात् ‘बीमाका परिचय’, ‘बीमा क्षेत्र मेंरोजगार के अवसर’ और ‘बीमा पर हस्तपुस्तिका’ को इलैक्ट्रोनिक पुस्तकों के रूप में परिवर्तित किया गया ताकि बीमा शिक्षा के प्रसार के लिए तकनीकी मंच का उपयोग किया जा सके।
4
आईआरडीएआई विवरणिका और ‘फ़सलबीमा पर ह्स्तपुस्तिका’ :- यह विवरणिका आईआरडीएआई का नया नाम देने के बाद वर्तमान संस्करण का अद्यतन (नया) रूप है। ‘फ़सल बीमा पर ह्स्तपुस्तिका’ बीमा शिक्षा के लिए ग्रामीण खंड की आवश्यकता को पूरा करने का एक प्रयास है।
5
उपभोक्ता मामले पुस्तिका 2014-15 :- यह उपभोक्ता शिक्षा पुस्तिका विभिन्न बीमा कंपनियों से संबंधित शिकायत निवारण संबंधी आंकड़ों का संकलन है तथा इसमें वित्तीय वर्ष 2014-15 के लिए आईजीएमएस आँकडों का विश्लेषण प्रस्तुत किया गया है।


 

राष्ट्रीय वित्तीय शिक्षा केन्द्र (एनसीएफई) की राष्ट्रीय वित्तीय साक्षरता निर्धारण परीक्षा (एनएफएलएटी) अपने ही प्रकार की एक ऐसी सर्वप्रथम राष्ट्रीय स्तर की परीक्षा है जो स्कूली छात्रों में वित्तीय साक्षरता का स्तर जानने के लिए आयोजित की गई है। एनसीएफई का उद्देश्य इस परीक्षा के माध्यम से स्कूली छात्रों को ऐसे मूलभूत जीवन कौशल प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित करना है, जो वित्तीय रूप से स्थिर और स्वस्थ जीवन व्यतीत करने में उनके लिए सहायक होंगे। लगभग 1 लाख छात्रों ने इस परीक्षा में भाग लिया। मुख्य अतिथि महोदय ने पूर्वी और दक्षिणी क्षेत्रों के लिए एनएफएलएटी के विजेता छात्रों और विजेता विद्यालयों को पुरस्कार वितरित किये।


 


 

इसके उपरांत एक सांस्कृतिक कार्यक्रम संपन्न हुआ जिसमें आईआरडीएआई के कर्मचारियों और उनके पारिवारिक सदस्यों ने रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत किया। आईआरडीएआई के कर्मचारियों के बच्चों ने भी फैन्सी ड्रेस प्रदर्शन में भाग लिया। इस उत्सव के अंग के रूप में व्यावसायिक कलाकारों द्वारा लोकनृत्य और कत्थक नृत्य के कार्यक्रम प्रस्तुत किये गये। अंत में आईआरडीएआई के स्टाफ-सदस्यों द्वारा एक फैशन शो आयोजित किया गया। उक्त सांस्कृतिक कार्यक्रम के दौरान विभिन्न प्रस्तुतियों ने दर्शकों को मोहित कर दिया। सम्पूर्ण कार्यक्रम की संकल्पना 'संचार खंड' द्वारा की गई तथा व्यवस्थापरक सहयोग 'प्रशासन विभाग' ने दिया और इस कार्यक्रम में सभी संवर्गों के कर्मचारीगण ने हर्षोल्लास के साथ भाग लिया।


 

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