सेमिनार रिपोर्ट 2013-14 - पॉलिसी धारक

सेमिनार रिपोर्ट 2013-14

12 नवंबर 2013 को सरस्वतीपुरम, मैसूर स्थित जेएसएस विधि महाविद्यालय में 'कंज्यूमर राइट्स, एजुकेशन एण्डअवेरनेस ट्रस्ट' (सीआरईएटी) द्वारा `बीमा संबंधी नागरिक जागरूकता कार्यक्रम' पर सेमिनार आयोजित किया गया । इसमें लगभग 100 सहभागी थे। इस सेमिनार में मैसूर नगर में और उसके आसपास रहने वाले उपभोक्ता, उपभोक्ता सक्रियतावादी, जेएसएस लॉ कालेज के छात्र और प्राध्यापक उपस्थित रहे।

सेमिनार का उद्घाटन डॉ. सी. जी.बेत्सुरमठ, आयुक्त, पुरातत्व संग्रहालय और विरासत विभाग, मैसूर द्वारा किया गया। अपने उद्घाटन-भाषण में उन्होंने नागरिकों के लिए बीमे की आवश्यकता और पॉलिसी खरीदते समय बर्ती जाने वाली पूर्व-सावधानी पर विशेष बल दिया। श्री वाई.जी. मुरलीधरन, सीआरईएटी ने अपने स्वागत-भाषण में सेमिनार आयोजित करने का उद्देश्य स्पष्ट किया। प्रोफेसर के. एस. सुरेश, प्रधानाचार्य, जेएसएस लॉ कालेज ने अपने भाषण में सेमिनार हेतु जेएसएस कालेज का चयन करने के लिए धन्यवाद दिया और कहा कि छात्रों के हित में महाविद्यालय ऐसे और भी अनेक कार्यक्रम आयोजित करने में उत्सुक रहेगा ।

`जीवन बीमा का महत्व' पर पहले तकनीकी सत्र में श्री नीहारंजन त्रिपाठी, विपणन प्रबंधक, जीवन बीमा निगम, मंडल कार्यालय, मैसूर ने एक प्रस्तुतीकरण द्वारा बीमे की मूलभूत संकल्पना और साथ ही बीमे की विभिन्न संकल्पनाओं को स्पष्ट किया जैसे परमसद्भावना का सिद्धांत, क्षतिपूर्ति का सिद्धांत, बीमा योग्यहित आदि। तदुपरांत उन्होंने विभिन्न प्रकार की पॉलिसियों और जीवन बीमा की आवश्यकता को व्यक्त किया।

`स्वास्थ्य बीमा के माध्यम से वित्तीय स्वास्थ्य रक्षा' पर सत्र श्री रवि शेषाद्रि, भारती एक्सा इंश्योरेंस कंपनी द्वारा संचालित किया गया तथा उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य पॉलिसी सभी मनुष्यों के लिए आवश्यक है, विशेष रूप से उन लोगों के लिए जिन्हें ईएसआई, सीजीएचएस आदि जैसी किसी अन्य योजना द्वारा बीमा रक्षा प्राप्त नहीं है। उन्होंने स्वास्थ्य बीमा खरीदने के समय संभावित ग्राहकों द्वारा लिए जाने के लिए अपेक्षित पूर्व-सावधानियों के बारे में बताया।

`बीमा क्षेत्र में रोजगार के अवसर' से संबंधित सत्र को श्री नागेन्द्र, व्यावसायिक अधिवक्ता ने संचालित किया जिन्होंने एक आजीविका के रूप में बीमे के बारे में व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में अनेक कार्मिकों के लिए माँग है और छात्रों को इस अवसर का उपयोग करना चाहिए जिससे केवल उनके लिए ही नहीं, बल्कि बीमा कंपनियों से गुणवत्तापूर्ण सेवा प्राप्त करने में पॉलिसीधारकों को भी सहायता मिलेगी।

श्री सतीश हेगडे, विशेष कार्य अधिकारी, आईआरडीए ने `बीमा मध्यवर्तियों की भूमिका' और`पॉलिसीधारकों के लिए उपलब्ध शिकायत निवारण व्यवस्था' पर प्रस्तुतीकरण किया। अपने सत्र में उन्होंने कहा कि बीमा मध्यवर्ती एक अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहे है क्योंकि अधिकांश बीमा उत्पाद/पॉलिसियाँ एजेंटों और दलालों के माध्यम से खरीदी जा रही हैं। `शिकायत निवारण व्यवस्था' पर सत्र का संचालन करते हुए उन्होंने आईआरडीए की समन्वित शिकायत प्रबंध प्रणाली और आईआरडीए की उपभोक्ता शिक्षा वेबसाइट के बारे में बताया। उन्होंने सूचित किया कि पॉलिसीधारक से यह अपेक्षा की जाती है कि वह सबसे पहले अपनी शिकायत बीमा कंपनी से करे। यदि बीमा कंपनी से कोई उत्तर नहीं मिलता अथवा वह कंपनी द्वारा किये गये समाधान से संतुष्ट नहीं है तो वह आईआरडीए से संपर्क कर सकता है। उन्होंने बीमा लोकपाल योजना से संबंधित क्रियाविधियों के बारे में भी बताया।

आईआरडीए द्वारा प्रकाशित उपभोक्ता शिक्षा सामग्री सहभागियों के बीच वितरित की गई। प्रोफेसर नागेन्द्र मूर्ति, जेएसएस कालेज ने धन्यवाद-प्रस्ताव दिया।

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