सेमिनार रिपोर्ट 2013-14 - पॉलिसी धारक
- रंजन ने बीमा लोकपाल के बारे में जानकारी पायी
- रंजन ने मोटर बीमा को जारी रखने का निर्णय लिया
- रंजन ने यूलिप के बारे में और अधिक सीखा
- रंजन ने मह्सूस किया कि ईमानदारी ही श्रेष्ठ नीति है
- रंजन ने ‘अंडरइंश्योरेंस’ को समझा
- रंजन अब अपनी स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी स्थानांतरित (पोर्ट) कर सकता है
- रंजन ने फ्रीलुक अवधि के बारे में समझा
- रंजन ने प्रस्ताव फार्म भरता है
- रंजन ने लाइसेंसधारी मध्यस्थों के बारे में सीखा
- राजन ने सर्वेक्षकों से सम्बंधित जानकारी प्राप्त की
- रंजन तक्नीक की ओर उन्मुख हुआ
- रंजन ने नकदरहित (कैशलेस) सेवा के बारे में सीखा
चित्रकथा श्रृंखला - क्षेत्रीय भाषा
समाचार मदें व ग्राहकों के लिए आवश्यक जानकारी
आईआरडीएआई के जागरूकता अभियान (2010-2015) की दोपहर के भोजन के उपरांत सर्वेक्षण रिपोर्ट
सेमिनार रिपोर्ट 2013-14
निगोहान जिला, लखनऊ में 17 जुलाई 2013 को 'भारत ज्योति' द्वारा `व्यक्ति के जीवन में जीवन बीमा की आवश्यकता और रक्षोपाय' पर एक सेमिनार आयोजित किया गया। वहाँ पर सहभागियों की संख्या लगभग 100 थी ।
श्री वीरेन्द्र सिंह, अध्यक्ष, राज्य उपभोक्ता संरक्षण विवाद निवारण आयोग ने सेमिनार का उद्घाटन किया और वे इस अवसर पर मुख्य अतिथि रहे। उन्होंने अपने संबोधन में यह विषय उठाया कि काफी संख्या में ऐसे पॉलिसीधारक हैं जो अशिक्षित हैं, चाहे वह सारे देश में ग्रामीण अथवा अर्ध-शहरी अथवा शहरी क्षेत्र हो । इसके अलावा, पॉलिसी के नियम और शर्तें जटिल हैं जो बहुत छोटे आकार वाले अक्षरों में लिखी होती हैं। यह अनिवार्य है कि पॉलिसी की वाक्य रचना सरल भाषा में हो तथा शब्द इस ढंग के हों कि जिसे आसानी से समझा जा सके ।
श्री विजय आचार्य, संस्थापक अध्यक्ष, भारत ज्योति ने स्वागत भाषण दिया। श्री आर. के.पोरवाल, विधि परामर्शदाता, भारत ज्योति, ने `दैनिक जीवन में जीवन बीमा की आवश्यकता' पर पहले सत्र का संचालन किया। दूसरे सत्र में श्री ए.पी. श्रीवास्तव, प्रबंध निदेशक व मुख्य कार्यकारी अधिकारी, उषा दीप अकादमी ऑफ इन्श्योरेंस एण्ड फाइनैंस, ने जीवन बीमा अनुवृद्धियों (राइडर्स) के महत्व और आवश्यकताओं पर बल दिया। तीसरे सत्र के दौरान श्री गौतम कुमार, उप निदेशक, आईआरडीए ने यूलिप योजना के स्वरूप और जटिलता के बारे में चर्चा की तथा पारंपरिक और यूलिप योजनाओं के बीच विद्यमान अंतर को स्पष्ट किया। चौथे सत्र के अंतर्गत डॉ. के.एम. सिंह, उपाध्यक्ष, उपभोक्ता संरक्षण परिषद ने बीमा पॉलिसियों के अपविक्रय (मिस-सेलिंग) के बारे में व्याख्यान दिया तथा अंतिम सत्र को श्री गौतम कुमार, उप निदेशक, आईआरडीएने संचालित किया और पॉलिसीधारकों के हितों का संरक्षण करने के लिए आईआरडीए द्वारा की गई विभिन्न पहलों, अर्थात् आईजीसीसी, आईजीएमएस और उपभोक्ता शिक्षा वेबसाइट के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए पॉलिसीधारकों के लिए उपलब्ध शिकायत निवारण व्यवस्था के बारे में व्याख्यान दिया। आईआरडीए द्वारा प्रकाशित उपभोक्ता शिक्षा सामग्री का सहभागियों के बीच वितरण किया गया।
अंत में जस्टिस भँवर सिंह, अध्यक्ष, न्यायिक प्रशिक्षण और अनुसंधान संस्थान, उत्तर प्रदेश, ने सेमिनार को संबोधित किया तथा श्रीमती कविता भटनागर, भारत ज्योति, द्वारा धन्यवाद प्रस्ताव दिया गया ।