व्यक्तिगत सुरक्षा - पॉलिसी धारक
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व्यक्तिगत सुरक्षा
होली आ रही है। इसे सुरक्षापूर्वक खेलें।
दोस्तों के चेहरों पर रंग मलने तथा मेहमानों पर एक विनोदशील तरीके से रंगीन पानी फेंकने की परंपरा को जारी रखना भारतीय त्योहार होली की विशिष्टता है।
ऐतिहासिक रूप से, चटकीले और आनंददायक रंगों का उत्सव होली, मेहंदी की पत्तियों, नीम की पत्तियों, गेंदे के फूलों, हल्दी, कुमकुम और लाल चंदन के चूर्ण आदि से बनाये गये प्राकृतिक रंगों से खेली जाती है। बदलते समय के साथ ही, रासायनिक और कृत्रिम रंगों ने बाजार में प्रवेश किया है। इनमें ऐसे खतरनाक जीव-विष (टाक्सिन) हो सकते हैं जो मानव शरीर पर हानिकारक प्रभाव डालते हैं। अतः होली खेलने के लिए रंगों का प्रयोग करते समय सावधानी बरतनी होगी; अधिकांश आधुनिक रंग रासायनिक रंग (डाई) हैं तथा ये त्वचा की एलर्जियों का कारण बन सकते हैं। त्वचा संबंधी कुछ समस्याएँ जो हो सकती हैं, वे हैं खुजली, चकत्ते (रैशेस), सूखापन और जलन। आँखें अत्यंत असुरक्षित हैं तथा इनकी सुरक्षा का ध्यान रखने की आवश्यकता है क्योंकि कभी-कभी ये हानिकारक रंग आँखों के संपर्क में आ सकते हैं जिसके परिणामस्वरूप नेत्र-संक्रमण आदि रोग उत्पन्न हो सकते हैं।
हम सब क्यों न प्राकृतिक पदार्थों से बनाये गये वनस्पति रंगों का प्रयोग प्रारंभ करें? हमें सीसा और पारा आदि जैसे हानिकारक पदार्थों से युक्त रासायनिक रंगों का प्रयोग न करने का संदेश प्रचारित करना चाहिए। एक स्पंदनशील और सुरक्षित होली मनाने के लिए जोखिम-निवारण का यह पहला कदम है।
खतरे का एक और पहलू यह है कि जलरंगों के साथ खेलने के कारण जमीन फिसलन युक्त बन सकती है। अतः होली खेलते समय गीली जमीन पर दौड़ने या कूदने से बचें क्योंकि फिसलन भरी जमीन के कारण कोई भी घायल हो सकता है जिससे इस पर्वदिन पर मनःस्थिति बिगड़ सकती है।
दूसरा कदम होली खेलने से पहले त्वचा और सिर पर तेल लगाकर जोखिम को न्यूनतम बनाना है। इस प्रकार, कृत्रिम रंग (डाई) आसानी से शरीर पर नहीं लग सकते। तेल का प्रयोग करने से अतिरिक्त परिणामों (साइड इफेक्ट्स) को न्यूनतम करने में सहायता मिल सकती है, भले ही मित्रों के द्वारा प्रयुक्त कुछ रंग रासायनिक रंग क्यों न हों। तथा अंतिम रूप से किसी भी व्यक्ति को उसकी इच्छा के विरुद्ध होली खेलने के लिए विवश नहीं किया जा सकता।
याद रखें, यह सब अपने सगे संबंधियों और मित्रों के साथ होली का आनंद लेते समय थोड़ी-सी सावधानी बरतने और उचित सतर्कता रखने की बात है।