सामान्य प्रश्न - पॉलिसी धारक
प्रश्न: परम सद्भाव क्या है?
उत्तर: परम सद्भाव उन सिद्धांतों में से एक है जिन पर बीमा आधारित है। यह बीमा के इच्छुक व्यक्ति द्वारा, प्रस्तावित जोखिम के सापेक्ष स्वेच्छापूर्वक सभी तथ्यपूर्ण विवरण शुद्धतापूर्वक तथा पूरी तरह से प्रकट करने के सकारात्मक कर्तव्य को इंगित करता है चाहे इसकी अपेक्षा की गई हो या नहीं।
प्रश्न: बीमायोग्य हित का क्या अर्थ है?
उत्तर: वित्तीय हित, जो बीमाकृत व्यक्ति के पास होते हैं, जिसका बीमा किया गया होता है, ‘‘बीमायोग्य हित’’ कहलाते हैं। दूसरे शब्दों में यह किसी ऐसी वस्तु को बीमित कराने के लिए व्यक्ति का अधिकार होता है जिसके गुम या क्षतिग्रस्त हो जाने की स्थिति में उसे वित्तीय क्षति उठानी पड़ती है। यदि कोई व्यक्ति किसी ऐसी वस्तु को बीमित कराता है जो उसकी अपनी नहीं होती तो यह बाज़ी संविदा हो जाती है और इस तरह भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 30 के अंतर्गत शून्य हो जाती है। इसलिए बीमायोग्य हित, बीमा के लिए पूर्वापेक्षा है तथा मुआवजा, बीमा की विषयवस्तु के मूल्य, और बीमा कवरेज की सीमा द्वारा सीमित होता है। जीवन बीमा में, यद्यपि मानव जीवन को मौद्रिक संदर्भ में मापा नहीं जा सकता, लेकिन बीमाकर्ता, बीमित व्यक्ति की आय तथा उसके शेष उत्पादक वर्षों के गुणज के रूप में बीमा राशि का निर्धारण करता है।
प्रश्न: बीमा एजेंट तथा बीमा मध्यस्थ(ब्रोकर) के बीच क्या अंतर होता है?
उत्तर: वित्तीय हित, जो बीमाकृत व्यक्ति के पास होते हैं, जिसका बीमा किया गया होता है, 'बीमायोग्य हित' कहलाते हैं। दूसरे शब्दों में यह किसी ऐसी वस्तु को बीमित कराने के लिए व्यक्ति का अधिकार होता है जिसके गुम या क्षतिग्रस्त हो जाने की स्थिति में उसे वित्तीय क्षति उठानी पड़ती है। यदि कोई व्यक्ति किसी ऐसी वस्तु को बीमित कराता है जो उसकी अपनी नहीं होती तो यह पण संविदा हो जाती है और इस तरह भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 30 के अंतर्गत शून्य हो जाती है। इसलिए बीमायोग्य हित, बीमा के लिए पूर्वापेक्षा है तथा मुआवजा, बीमा की विषयवस्तु के मूल्य, और बीमा कवरेज की सीमा द्वारा सीमित होता है। जीवन बीमा में, यद्यपि मानव जीवन को मौद्रिक संदर्भ में मापा नहीं जा सकता, लेकिन बीमाकर्ता, बीमित व्यक्ति की आय तथा उसके अवशेष उत्पादक वर्षों के गुणज के रूप में बीमा राशि का निर्धारण करता है।बीमा एजेंट केवल एक बीमाकर्ता का प्रतिनिधित्व कर सकता है और उसी के लिए व्यवसाय करता है। बीमा ब्रोकर मुख्यतः ग्राहक का प्रतिनिधि होता है और एक से अधिक बीमाकर्ताओं की पॉलिसियां बेच सकता है। भारतीय संदर्भ में एजेंट, एक जीवन बीमाकर्ता, एक गैर-जीवन बीमाकर्ता, और एक स्वास्थ्य बीमाकर्ता का प्रतिनिधित्व कर सकता है। इसके अतिरिक्त वह एक क्रेडिट बीमा कंपनी और कृषि बीमा कंपनी का भी प्रतिनिधित्व कर सकता है। एजेंटों और ब्रोकरों दोनों के लिए बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण (आईआरडीए) द्वारा विस्तृत विनियम बनाए गए हैं जो उन्हें प्रशासित करते हैं।
प्रश्न: बीमाकृत आपदा क्या है?
उत्तर: किसी बीमाकृत आपदा के कारण उत्पन्न क्षति के लिए आपको मुआवजा प्रदान करना बीमा का उद्देश्य होता है। यदि आपके स्टॉक किसी अग्निकांड में जल जाते हैं, तो हानि का कारण अग्निकांड, अग्नि बीमा पॉलिसी के अंतर्गत देय होता है। यदि स्टॉक चोरी हो जाते हैं, तो हानि, अग्नि बीमा पॉलिसी के अंतर्गत देय नहीं होती क्योंकि ‘‘सेंधमारी’’, आपदा को कवर नहीं किया गया है।
प्रश्न: आसन्न कारण का क्या अर्थ है?
उत्तर: यदि एक साथ एक समय पर या एक के बाद एक करके दो या अधिक कारणों से हानि हुई होती है, तो सबसे महत्त्वपूर्ण/प्रभावी कारक को चुनना अनिवार्य हो जाता है जो हानि का कारण बना। यह कारण, ‘‘आसन्न कारण’’ कहलाता है, और अन्य कारण ‘‘सुदूर (रिमोट)’’ कारण कहलाते हैं।
प्रश्न: क्या कोई बीमित, अपने बीमाकर्ता से किसी भी धनराशि का दावा कर सकता है चाहे हानि की मात्रा जो भी रही हो?
उत्तर: नहीं। हानि का सर्वेक्षण किया जाता है और देय धनराशि का आँकलन किया जाता है और यह मूल्यह्रास तथा पॉलिसी एक्सेस की गणनाओं पर आधारित होता है ताकि वहन की गई हानि तथा उसकी वहन की गई सीमा तक ही मुआवजा सीमित रहे। अवधारणा यह है कि बीमा पॉलिसी, लाभ कमाने का साधन नहीं होनी चाहिए। हालांकि ‘‘पुनः स्थापन मूल्य आधार’’ पर कुछ पॉलिसियाँ लिया जाना संभव है ताकि किसी हानि की स्थिति में दावे का भुगतान, पुरानी परिसंपत्ति के अवमूल्यित या बाज़ार मूल्य के बजाय उसके स्थान पर नई परिसंपत्ति निर्मित करने के आधार पर किया जा सके।
प्रश्न: कटौती योग्य का क्या आशय है?
उत्तर: कुछ पॉलिसियों में एक उपबंध होता है कि दावे की धनराशि से एक निर्दिष्ट धनराशि की कटौती कर ली जाएगी। उदाहरण के लिए, औद्योगिक जोखिमों में कुल बीमित राशि का 0.5 प्रतिशत, न्यूनतम रु. 1 लाख तक कटौती योग्य होता है यदि हानि, आतंकवादी कृत्य के कारण हुई हो। इसका अर्थ है कि किसी दावे का प्रथम रु. एक लाख तथा दावे के 0.5 प्रतिशत तक को बीमित द्वारा वहन किया जाएगा। यदि हानि रु. एक लाख से कम है तो कोई दावा देय नहीं होगा। यह बीमा कंपनियों द्वारा छोटे दावों के प्रशासनिक खर्चों से बचाव करने का तरीका है, और बीमित को प्रायः यह भार वहन करना स्वीकार करने के एवज में प्रीमियम में छूट दी जाती है।
प्रश्न: सह-बीमा का क्या अर्थ है?
उत्तर: कारपोरेट क्लाइंट, जो एक से अधिक बीमाकर्ताओं को मदद करना चाहते हैं या बीमाकर्ताओं में प्रतिस्पर्धी कंपनियों से लाभान्वित होना चाहते हैं, वे एक से अधिक बीमा कंपनियों से अपना बीमा कराते हैं। ऐसा करते हुए वे एक कंपनी को ‘‘लीडर’’ के रुप में चुनते हैं जिसे प्रीमियम का अधिक भाग जबकि बाकी अन्य को कम भाग दिया जाता है। क्लाइंट केवल ‘लीडर’ कंपनियों से डील करते हैं। लीडर, सह-बीमाकर्ता कहलाने वाले अन्य सहभागी बीमाकर्ताओं के साथ प्रीमियम (क्लाइंट द्वारा तय किए गए अनुपात में) तथा दावे साझा करता है। प्रीमियम की कुल मात्रा के अनुसार इसे 2, 3, 4 या अधिक बीमाकर्ताओं के बीच बाँटा जा सकता है।
प्रश्न: क्या बीमित हानि न्यूनीकरण के लिए जिम्मेदार होता है?
उत्तर: किसी संपत्ति के बीमित हो जाने पर भी, यह बीमित की जिम्मेदारी है कि वह हानि के विरुद्ध सुरक्षा के लिए या हानि को न्यून करने के लिए सभी तर्कसंगत कदम उठाए। प्रत्येक बीमित व्यक्ति से ‘‘सजग बीमारहित व्यक्ति’’ के रूप में व्यवहार करने की अपेक्षा की जाती है। यदि बीमित, पॉलिसी शर्त के अनुसार कदम नहीं उठाता है तो दावा अस्वीकृत या आंशिक स्वीकृत किया जा सकता है।
प्रश्न: बीमा लोकपाल योजना के नियम कौन से हैं?
उत्तर: निम्न से संबंधित समस्त शिकायतों के समाधान करना, बीमा लोकपाल नियमों का उद्देश्य हैः दावों का आंशिक या पूर्ण अस्वीकरण पॉलिसी शर्तों के अनुसार देय प्रीमियम या चुकता प्रीमियम के बारे में कोई विवाद दावों से संबंधित पॉलिसी की कानूनी संरचना के बारे में कोई विवाददावों के निबटान में विलम्ब दावों के निपटान में विलम्ब प्रीमियम प्राप्त करने के पश्चात ग्राहकों के लिए कोई बीमा दस्तावेज जारी न किया जाना। ये नियम, लोक शिकायत नियम-1998 कहलाते हैं जो भारत सरकार द्वारा अधिसूचित तथा 11.11.1998 के भारत के राजपत्र में प्रकाशित हैं।
प्रश्न: थर्ड पार्टी एडमिनिस्ट्रेटर (टी.पी.ए.) क्या है और इसके क्या कार्य हैं?
उत्तर: टीपीए एक तृतीय पक्ष प्रशासक होता है। ये आईआरडीए से समुचित लाइसेंस प्राप्त वाणिज्यिक संस्थाएँ होती हैं। इनकी सेवाओं का उपयोग जीवन बीमा तथा गैर-जीवन बीमा कंपनियों द्वारा, उनकी ओर से, स्वास्थ्य बीमा पॉलिसीधारकों को विक्रय-पश्चात सेवाएँ प्रदान करने के लिए किया जाता है। ये निम्न प्रकार की सेवाएँ प्रदान करते हैं: दावों के संबंध में बीमित का मार्गदर्शन करनाप्रतिपूर्ति हेतु प्रक्रियाएं व दावों के निबटान बीमित व्यक्तियों के लिए फोटोयुक्त पहचान पत्र जारी करना बीमित व्यक्ति को नकद रहित (नकदी रहित) सुविधा का लाभ प्रदान करने की सुविधा के लिए अस्पतालों को पहले से अधिकृत करना प्रतिपूर्ति हेतु प्रक्रियाएँ व दावों के निपटान