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Title: आदेश
Reference No.: IRDA/ENF/ORD/ONS/163/06/2021
Date: 11/06/2021
मेसर्स इंटरओशन इंश्योरेंस सर्वेयर्स एण्ड लास असेसर्स प्रा. लि. के मामले मे, Jun 2021, 11-Jun-2021, 11-Jun-2021

सं. आईआरडीएआई/ईएनएफ/ओआरडी/ओएनएस/163/06/2021

मेसर्स इंटरओशन इंश्योरेंस सर्वेयर्स एण्ड लास असेसर्स प्रा. लि.

के मामले में अंतिम आदेश

 

कारण बताओ नोटिस (एससीएन) दिनांक 26-05-2020 के लिए उत्तर एवं सदस्य (गैर-जीवन) की अध्यक्षता में 22 अप्रैल 2021 को अपराह्न 3 बजे वीडियो कान्फ्रेंस के माध्यम से आयोजित सुनवाई के दौरान किये गये प्रस्तुतीकरणों के आधार पर।

 

पृष्ठभूमिः-

1.  भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (प्राधिकरण) ने मेसर्स इंटरओशन इंश्योरेंस सर्वेयर्स एण्ड लास असेसर्स प्रा. लि. (एसएलए) का एक आनसाइट निरीक्षण 05.08.2019 से 09.08.2019 तक की अवधि के दौरान संचालित किया था।

2.  प्राधिकरण ने निरीक्षण रिपोर्ट की एक प्रति एसएलए को उनकी टिप्पणियों की अपेक्षा करते हुए 16-09-2019 को अग्रेषित की तथा एसएलए की टिप्पणियाँ प्राप्त की गईं। हाथ में उपलब्ध दस्तावेजों और एसएलए द्वारा किये गये प्रस्तुतीकरणों की जाँच करने के बाद प्राधिकरण ने 26-5-2020 को कारण बताओ नोटिस एसएलए को जारी किया जिसका उत्तर एसएलए द्वारा दिनांक 15-6-2020 के पत्र के जरिये दिया गया।

3.  उक्त पत्र में किये गये अनुरोध के अनुसार, वीडियो कान्फ्रेन्स के माध्यम से सुनवाई का अवसर एसएलए को 22 अप्रैल 2021 को दिया गया। श्री एस. विजयकुमार, निदेशक और श्री सुरेश चन्द्र निगम, विभाग-प्रमुख (सर्वेक्षण विभाग) एसएलए की ओर से उक्त सुनवाई में उपस्थित थे। प्राधिकरण की ओर से श्री प्रभात कुमार मैती, महाप्रबंधक (प्रवर्तन), श्रीमती केजीपीएल रमादेवी, महाप्रबंधक (सर्वेक्षक), श्री बी. राघवन, उप महाप्रबंधक (प्रवर्तन) और श्रीमती निमिषा श्रीवास्तव, उप महाप्रबंधक (सर्वेक्षक) ने उक्त सुनवाई में सहभागिता की।

4.  कारण बताओ नोटिस के लिए अपने लिखित उत्तर में एसएलए द्वारा किये गये प्रस्तुतीकरणों, वीडियो कान्फ्रेंस के माध्यम से सुनवाई के दौरान किये गये प्रस्तुतीकरणों और अपने प्रस्तुतीकरणों के प्रमाण के तौर पर एसएलए द्वारा प्रस्तुत किये गये दस्तावेजों पर प्राधिकरण द्वारा विचार किया गया है तथा तदनुसार आरोपों पर लिए गये निर्णयों का विवरण नीचे दिया जाता है।

5.  आरोप सं. 1

आईआरडीएआई (बीमा सर्वेक्षक और हानि निर्धारक) विनियम, 2015 का विनियम 16(5) का उल्लंघन; जिसमें परिकल्पित है कि सर्वेक्षक और हानि निर्धारक उन क्षेत्रों में सर्वेक्षण कार्य स्वीकार नहीं करेगा अथवा निष्पादित नहीं करेगा जिसके लिए वह लाइसेंस धारित नहीं करता।

 

टिप्पणीः वित्तीय वर्ष 2018-19 के लिए निरीक्षण से पहले संगृहीत डेटा में से कुल 75 नमूनों में 47 मरीन दावे थे; जिनके संबंध में दावा किया गया है कि उनका सर्वेक्षण एस. विजय कुमार अथवा कैप्टन जय कुमार द्वारा किया गया है। तथापि, रिपोर्टों पर श्री फ़सीह उद्दीन अहमद द्वारा हस्ताक्षर किये गये थे।

 

इसी प्रकार, वित्तीय वर्ष 2017-18 के लिए संगृहीत 56 नमूनों में 51 मरीन दावे थे; जिनके संबंध में दावा किया गया था कि उनका सर्वेक्षण श्री एस. विजय कुमार द्वारा किया गया है। तथापि, उक्त रिपोर्टों पर श्री फ़सीह उद्दीन अहमद ने हस्ताक्षर किये थे।

 

श्री फ़सीह उद्दीन अहमद उस अवधि के दौरान मरीन कार्गो सर्वेक्षण करने के लिए लाइसेंसप्राप्त नहीं थे जब उन्होंने उक्त रिपोर्टों पर हस्ताक्षर किये थे तथा एसएलए के प्रस्तुतीकरण के अनुसार उन्हें मरीन कार्गो के लिए लाइसेंस केवल 05-07-2019 को प्राप्त हुआ था।

 

एससीएन के लिए उत्तर का सारांशः

श्री फ़सीह उद्दीन अहमद जिसने सर्वेक्षण रिपोर्टों पर हस्ताक्षर किये थे, उपयुक्त रूप में लाइसेंस प्राप्त करने की प्रत्याशा में उन पर हस्ताक्षर किये थे। एसएलए की धारणा यह थी कि श्री फ़सीह उद्दीन अहमद जो विभाग के प्रमुख थे, रिपोर्ट पर हस्ताक्षर कर सकते थे। उन्होंने अपनी चूक को समझ लिया है तथा यह आश्वासन दिया है कि इस प्रकार की चूक दोहराई नहीं जाएगी। एसएलए ने वैयक्तिक सुनवाई के दौरान इस प्रस्तुतीकरण को पुनः व्यक्त किया।

 

निर्णयः

विनियम 16(5) कहता है कि सर्वेक्षक के लिए उन क्षेत्रों के लिए सर्वेक्षण कार्य स्वीकार करने अथवा निष्पादित करने की अनुमति नहीं है जिनके लिए वह लाइसेंस धारित नहीं करता। इस मामले में, उक्त रिपोर्टों पर श्री फ़सीह उद्दीन अहमद द्वारा हस्ताक्षर किये गये थे और इस कारण से इस निष्कर्ष पर पहुँचा जाता है कि उन्होंने सर्वेक्षण अपेक्षित अर्हताएँ और प्रशिक्षण धारित किये बिना किया है। श्री फ़सीह उद्दीन अहमद का कार्य संबंधित विनियम के अनुरूप नहीं है। परंतु इस प्रकार करने के लिए एसएलए ने यह तर्क प्रस्तुत किया है कि उनकी धारणा थी कि श्री फ़सीह उद्दीन अहमद जो विभाग के प्रमुख थे, रिपोर्ट पर हस्ताक्षर कर सकते हैं तथा इस कारण से उन्होंने उक्त रिपोर्टों पर हस्ताक्षर किये थे। इसके अतिरिक्त, एसएलए ने प्रस्तुतीकरण किया है कि श्री फ़सीह उद्दीन अहमद ने उक्त रिपोर्टों पर हस्ताक्षर अनजाने में किये थे।

 

निरीक्षण के दौरान संगृहीत नमूना मरीन कार्गो सर्वेक्षण रिपोर्टों की प्रतियों में से इस प्रकार की 20 सर्वेक्षण रिपोर्टों पर, जहाँ रिपोर्टें वित्तीय वर्ष 2017-18 और 2018-19 के दौरान तैयार की गई थीं, श्री फ़सीह उद्दीन अहमद के द्वारा एक सर्वेक्षक के रूप में हस्ताक्षर किये गये थे। यह मानते हुए कि इन रिपोर्टों पर 05-07-2019 को उनके द्वारा मरीन कार्गो के लिए लाइसेंस प्राप्त करने से पहले हस्ताक्षर किये गये हैं, आईआरडीएआई (बीमा सर्वेक्षक और हानि निर्धारक) विनियम, 2015 के विनियम 16(5) का उल्लंघन किया गया है। यह पाया गया है कि ये 20 मरीन कार्गो सर्वेक्षण 8 विभिन्न तारीखों पर संचालित किये गये थे और हस्ताक्षर किये गये थे। अतः बीमा अधिनियम, 1938 की धारा 102(बी) के अंतर्गत अपने में निहित शक्तियों के आधार पर, प्राधिकरण उक्त एसएलए पर रु. 8 लाख (केवल आठ लाख रुपये) का अर्थदंड लगाता है।

 

इसके अतिरिक्त, एसएलए को यह पुष्टि करने का निदेश दिया जाता है कि यह प्रथा निरीक्षण की तारीख अर्थात् 05.08.2019 से बंद की गई है, तथा केवल विधिमान्य लाइसेंस से युक्त सर्वेक्षक ही सर्वेक्षण कार्य कर रहे हैं और सर्वेक्षण रिपोर्टों पर हस्ताक्षर कर रहे हैं।

 

6.  आरोप सं. 2:

आईआरडीएआई (बीमा सर्वेक्षक और हानि निर्धारक) विनियम, 2015 के अध्याय IV के विनियम 13(2) का उल्लंघन।

 

टिप्पणीः यह पाया गया कि कारपोरेट सर्वेक्षक ने वित्तीय वर्ष 2016-17 से 2018-19 तक की अवधि के दौरान कई सर्वेक्षण संचालित किये हैं। बीमाकर्ताओं को रिपोर्टें प्रस्तुत करने की तारीख (प्रस्तुत किये गये डेटा से) की जाँच करते समय यह देखा गया कि इन सर्वेक्षणों में से 89% मामलों में सर्वेक्षण रिपोर्टें 30 दिन की विनियामक समय-सीमा के बाद प्रस्तुत की गई हैं। इसके अलावा, सभी नमूना मामलों में पाया गया विलंब 180 दिन से अधिक था।

 

एससीएन के लिए उत्तर का सारांशः

सर्वेक्षक जिसने सर्वेक्षण किये थे, एसएलए से त्यागपत्र दिया था और उसने कभी एसएलए को विनियम 13(2) का अनुपालन करते हुए बीमा सर्वेक्षण रिपोर्टों की प्रस्तुति में लंबित स्थिति के बारे में सूचित नहीं किया, जो सर्वेक्षण रिपोर्टों की विलंबित प्रस्तुति में परिणत हुआ।

 

वैयक्तिक सुनवाई के दौरान, एससीएन के लिए अपने उत्तर को दोहराते हुए एसएलए ने प्रस्तुतीकरण किया कि संबंधित सर्वेक्षक कंपनी का निदेशक था तथा यद्यपि वह निदेशक था, फिर भी उसने कार्य में रुचि नहीं ली और उक्त कार्य कभी भी समय पर पूरा नहीं किया। जब वह छोड़कर चला गया, तब एक अन्य सर्वेक्षक ने कंपनी में कार्यग्रहण किया तथा उसने लंबित रिपोर्टें पूरी करने के लिए कार्रवाई की। उन मामलों में जहाँ विलंब हुआ, बीमाकर्ता की मौखिक सहमति ली गई थी, तथा सभी रिपोर्टें नियमित अनुवर्तन सहित एवं बीमाकर्ताओँ के साथ सामंजस्य रखते हुए पूरी की गईं और प्रस्तुत की गईं। एसएलए ने स्वीकार किया कि अभिनिर्धारित मामलों में से अधिकांश मामलों में रिपोर्टों की प्रस्तुति में विनियमों के द्वारा अनुमत समय-सीमा से अधिक विलंब हुआ। एसएलए ने विनियम 13(2) में बताये गये रूप में सर्वेक्षणों की निगरानी करने और समय-सीमाओं का पालन करने के लिए सावधान रहने का आश्वासन दिया।

 

निर्णयः

उन मामलों का प्रतिशत जहाँ एसएलए द्वारा विनियमों में विनिर्दिष्ट समय-सीमा के बाद रिपोर्टें प्रस्तुत की गई हैं, अत्यधिक है। इसके साथ जुड़ा हुआ तथ्य यह है कि एसएलए ने रिपोर्ट विलंब से प्रस्तुत करने के लिए समय बढ़ाने की माँग बीमाकर्ता से कभी नहीं की और न ही उसने बीमाकृत व्यक्ति को घटित हो रहे विलंब के बारे में सूचित किया। इस संबंध में एसएलए का ध्यान विनियम 13(2) की ओर आकर्षित किया जाता है जो परिकल्पित करता है कि (जहाँ भी विलंब होगा) एसएलए बीमाकृत व्यक्ति को सूचित करते हुए; अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए बीमाकर्ता से समय बढ़ाने की माँग करेगा। तथापि, उक्त एसएलए ने इसका पालन नहीं किया।

 

उपर्युक्तानुसार अपनी विफलता के लिए एसएलए ने एक भूतपूर्व निदेशक सर्वेक्षक पर पूर्णतः दोषारोपण करते हुए औचित्य-प्रतिपादन का प्रयास किया। इस संबंध में यह देखा गया है कि रिपोर्टों के प्रस्तुतीकरण में विलंब संबंधित निदेशक के प्रस्थान के बाद की अवधि में भी घटित हुआ है।

 

उपर्युक्तानुसार परिदृश्य न केवल सर्वेक्षकों पर प्रबंधक-वर्ग के नियंत्रण के अभाव को निर्दिष्ट करता है, बल्कि रिपोर्टों का समय पर प्रस्तुतीकरण सुनिश्चित करने के लिए दायित्वों को पूरा करने में संपूर्ण असंवेदनशीलता को भी दर्शाता है। एसएलए का कार्य करने का तरीका पालिसीधारक के हितों को जोखिम में डालने की संभावना से युक्त है।

 

उपर्युक्त को ध्यान में रखते हुए, एसएलए को यह सुनिश्चित करने के लिए सुदृढ़ व्यवस्था कायम करने का निदेश दिया जाता है कि उनकी कार्यपद्धति में पाये गये स्वरूप की चूकें/विफलताएँ दोहराई न जाएँ तथा प्राधिकरण को अनुपालन दर्शाया जाए। एसएलए को चेतावनी दी जाती है कि उक्त चूकों की पुनरावृत्ति होती है, तो इस संबंध में गंभीर दृष्टिकोण अपनाया जाएगा। इसके अतिरिक्त, एसएलए को निदेश दिया जाता है कि आईआरडीएआई (बीमा सर्वेक्षक और हानि निर्धारक) विनियम, 2015 के अध्याय IV के विनियम 13 (2) का अनुपालन इस आदेश की प्राप्ति से 21 दिन के अंदर अक्षरशः सुनिश्चित करे।

 

7.  आरोप सं. 3:

आईआरडीएआई (बीमा सर्वेक्षक और हानि निर्धारक) विनियम, 2015 के विनियम 4 और आईआरडीएआई परिपत्र सं. आईआरडीए/एसयूआर/सीआईआर/विविध/118/08/2018 का उल्लंघन।

 

टिप्पणीः आईआरडीएआई (आईएसएलए) विनियम, 2015 के विनियम 4 और आईआरडीएआई परिपत्र सं. आईआरडीए/एसयूआर/सीआईआर/विविध/118/08/2018 के अनुसार एसएलए से अपेक्षित है कि वह अपने परिचालनों की शाखाओँ के बारे में 15 दिन के अंदर आईआरडीएआई को सूचित करे। एसएलए ने इंटरओशन बीमा सर्वेक्षकों और हानि निर्धारकों के कर्मचारियों की सूची साझा की है। इसका अवलोकन करते हुए यह देखा गया कि उसके कुल 9 कर्मचारी दिल्ली, कांडला – गुजरात, हल्दिया – पश्चिम बंगाल और चेन्नै कार्यालय स्थित चार शाखाओँ में नियोजित हैं।

 

एसएलए से इन शाखाओँ को खोलने के बारे में प्राधिकरण को सूचना देने का प्रमाण साझा करने के लिए कहा गया। इसके उत्तर में एसएलए ने उत्तर दिया और प्राधिकरण के पास पंजीकृत कारपोरेट कार्यालय के अलावा, विशाखपटनम, आंध्र प्रदेश में स्थित एक शाखा कार्यालय की सूचना की प्रति साझा की।

 

यह उल्लेख करना भी उपयुक्त होगा कि एसएलए द्वारा बीमाकर्ताओं को सर्वे रिपोर्टों की प्रस्तुति के लिए प्रयुक्त लेखा-शीर्ष (लेटर-हेड) भी ऊपर बताई गई सभी शाखाओँ अर्थात् दिल्ली, कांडला-गुजरात, हल्दिया-पश्चिम बंगाल और चेन्नै कार्यालय के विवरण की पुष्टि करता है।

 

एससीएन के लिए उत्तर का सारांशः

उक्त समूह के विभिन्न विभाग अखिल भारतीय स्तर के विभिन्न स्थानों पर कार्यरत हैं। एसएलए केवल एजेंसी विभाग की सहायता करने और तकनीकी सलाहों के लिए पोत मालिकों और चार्टररों द्वारा उनकी आवश्यकता के अनुसार नियत भेंट (अपाइंटमेंट) के आधार पर निरीक्षण संचालित करता है तथा विशाखपटनम को छोड़कर विभिन्न स्थानों पर नियोजित उनके कर्मचारी कोई सर्वेक्षण कार्य नहीं करते। सर्वेक्षण कार्य करनेवाली एसएलए शाखाएँ केवल विशाखपटनम और दिल्ली में हैं।

 

निर्णयः

एसएलए के पत्र-शीर्ष (लेटर-हेड) से यह देखा गया है कि उनकी शाखाएँ विशाखपटनम के अलावा अन्य स्थानों पर हैं। परंतु एससीएन के उत्तर में और सुनवाई के दौरान एसएलए ने स्पष्ट किया कि इंटरओशन एजेंसी वर्टिकल की शाखाएँ सारे भारत में हैं तथा एसएलए की शाखाएँ केवल विशाखपटनम और दिल्ली में हैं। उनके पत्र-शीर्ष में विभिन्न स्थानों के नामों के उल्लेख के संबंध में एसएलए ने कहा है कि उनके पत्र-शीर्ष में उल्लिखित शाखाएँ इंटरओशन एजेंसी वर्टिकल की हैं और एसएलए की नहीं हैं। एसएलए के इस प्रस्तुतीकरण/स्पष्टीकरण को देखते हुए एसएलए को सूचित किया जाता है कि आईआरडीएआई परिपत्र सं. आईआरडीएआई/एसयूआर/सीआईआर/विविध/ 118/08/2018 के साथ पठित आईआरडीएआई (बीमा सर्वेक्षक और हानि निर्धारक) विनियम, 2015 के विनियम 4 का अनुपालन, प्राधिकरण को पहले से प्रस्तुत की गई सूचना में किसी भी परिवर्तन (एसएलए द्वारा नये कार्यालय खोलने सहित) के बारे में प्राधिकरण को सूचित करते हुए सुनिश्चित करे।

 

8.  निर्णयों का सारांशः

आरोप सं.

उपबंध जिसका उल्लंघन किया गया और आरोप

निर्णय

1

आईआरडीएआई (बीमा सर्वेक्षक और हानि निर्धारक) विनियम, 2015 का विनियम 16(5)

उन क्षेत्रों में सर्वेक्षण कार्य स्वीकार करना जिनके लिए सर्वेक्षक लाइसेंस धारित नहीं करता

रु. 8 लाख का अर्थदंड और निदेश

2

आईआरडीएआई (बीमा सर्वेक्षक और हानि निर्धारक) विनियम, 2015 के अध्याय IV का विनियम 13(2)

 

सर्वेक्षण रिपोर्टों के प्रस्तुतीकरण में विलंब

चेतावनी और निदेश

3

आईआरडीएआई (बीमा सर्वेक्षक और हानि निर्धारक) विनियम, 2015 का विनियिम 4 और आईआरडीएआई परिपत्र सं. आईआरडीएआई/एसयूआर/सीआईआर/ विविध/118/08/2018

शाखाएँ खोलने की सूचना न देना

परामर्श

 

9.  जैसा कि संबंधित आरोपों के अंतर्गत निर्दिष्ट किया गया है, रु. आठ लाख का उक्त अर्थदंड एसएलए द्वारा एनईएफटी/ आरटीजीएस (जिसके लिए विवरण अलग से सूचित किया जाएगा) के माध्यम से इस आदेश की प्राप्ति की तारीख से 45 दिन की अवधि के अंदर विप्रेषित किया जाएगा। विप्रेषण की सूचना श्री प्रभात कुमार मैती, महाप्रबंधक (प्रवर्तन) को भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण, सर्वे सं. 115/1, फाइनैंशियल डिस्ट्रिक्ट, नानकरामगूडा, गच्चीबौली, हैदराबाद-500032 के पते पर भेजी जाए।

10. एसएलए उपर्युक्त निर्णयों के अनुपालन की पुष्टि इस आदेश की प्राप्ति की तारीख से 21 दिन के अंदर करेगा। यह आदेश बोर्ड की आगामी बैठक में रखा जाएगा तथा एसएलए विचार-विमर्श के कार्यवृत्त की एक प्रति प्रस्तुत करेगा।

11. यदि एसएलए इस आदेश में निहित किसी भी निर्णय से असंतुष्ट है, तो बीमा अधिनियम, 1938 की धारा 110 के अनुसार प्रतिभूति अपीलीय न्यायाधिकरण (एसएटी) को अपील प्रस्तुत की जा सकती है।

 

हस्ता/-

(टी. एल. अलमेलू)

सदस्य (गैर-जीवन)

स्थानः हैदराबाद

दिनांकः 9 जून 2021

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    Final Order in the matter of INTEROCEAN INSURANCE SUVEYORS AND LOSS ASSE, Jun 2021.pdf

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