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Title: स्वास्थ्य बीमा संविदाओं में अपवर्जनों के मानकीकरण संबंधी दिशानिर्देशों के उपबंधों के संबंध में संशोधन तथा स्वास्थ्य बीमा में मानकीकरण संबंधी आशोधन दिशानिर्देश प्रति, सभी बीमाकर्ता और टीपीए, जहाँ भी ला
Reference No.: आईआरडीएआई/एचएलटी/आरईजी/सीआईआर/046/02/2020
Date: 10/02/2020
स्वास्थ्य बीमा संविदाओँ में अपवर्जनों के मानकीकरण संबंधी दिशानिर्देश

स्वास्थ्य बीमा संविदाओं में अपवर्जनों के मानकीकरण संबंधी दिशानिर्देशों के उपबंधों के संबंध में संशोधन तथा स्वास्थ्य बीमा में मानकीकरण संबंधी आशोधन दिशानिर्देश

प्रति, सभी बीमाकर्ता और टीपीए, जहाँ भी लागू हो

संदर्भ सं. : आईआरडीएआई/एचएलटी/आरईजी/सीआईआर/046/02/2020 दिनांकः 10-02-2020

स्वास्थ्य बीमा संविदाओँ में अपवर्जनों के मानकीकरण संबंधी दिशानिर्देश संदर्भ सं. आईआरडीएआई/एचएलटी/ आरईजी/सीआईआर/177/09/2019 के उपबंधों तथा स्वास्थ्य बीमा में मानकीकरण संबंधी आशोधन दिशानिर्देश संदर्भ सं. आईआरडीएआई/एचएलटी/आरईजी/सीआईआर/176/09/2019 दिनांक27 सितंबर2019 की ओर ध्यान आकर्षित किया जाता है। बीमा अधिनियम,1938 की धारा34(1) तथा आईआरडीए अधिनियम,1999 की धारा14(2)() में निहित शक्तियों के अंतर्गत, निम्नलिखित संशोधन जारी किये जाते हैं।

I.                   स्वास्थ्य बीमा में मानकीकरण संबंधी आशोधन दिशानिर्देशों के खंड 1में निम्नलिखित परिवर्तन लागू किये जाएँगे (संदर्भः आईआरडीएआई/एचएलटी/आरईजी/सीआईआर/176/09/2019):

क्रम सं.

संदर्भ

वर्तमान

नया

1

पहले से चल रही बीमारी की परिभाषा

 

(विदेश यात्रा बीमा के लिए लागू नहीं)

पहले से चल रही बीमारी का आशय है कोई स्थिति, बीमारी, क्षति अथवा रोगः

)जिसका निदान बीमाकर्ता द्वारा जारी की गई पालिसी की प्रभावी तारीख से पहले 48 महीने के अंदर किसी चिकित्सक द्वारा किया गया हो अथवा

)जिसके लिए पालिसी अथवा उसकी बहाली की प्रभावी तारीख से पहले 48 महीने के अंदर किसी चिकित्सक द्वारा डाक्टरी सलाह दी गई हो या चिकित्सा की सिफारिश की गई हो अथवा चिकित्सक से प्राप्त की गई हो।

)एक ऐसी स्थिति जिसके लिए यदि कोई लक्षण और/या संकेत नैदानिक बीमारी अथवा चिकित्सा की स्थिति में पालिसी के निर्गम से तीन महीने के अंदर प्रस्तुत किये गये हों और परिणाम निकले हों।

(जीवन बीमाकर्ता बहाली पर पीईडी की प्रयोज्यता के लिए मानदंड परिभाषित करें)

पहले से चल रही बीमारी का आशय है कोई स्थिति, बीमारी, क्षति अथवा रोगः

)जिसका निदान बीमाकर्ता द्वारा जारी की गई पालिसी अथवा उसकी बहाली की प्रभावी तारीख से 48 महीने के अंदर किसी चिकित्सक द्वारा किया गया हो

अथवा

)जिसके लिए बीमाकर्ता द्वारा जारी की गई पालिसी अथवा उसकी बहाली की प्रभावी तारीख से 48 महीने के अंदर किसी चिकित्सक द्वारा डाक्टरी सलाह दी गई हो अथवा चिकित्सा की सिफारिश की गई हो अथवा चिकित्सक से प्राप्त की गई हो

 

(जीवन बीमाकर्ता बहाली पर पीईडी की

प्रयोज्यता के लिए मानदंड परिभाषित करें)

 

) (हटाया गया)

II.                स्वास्थ्य बीमा संविदाओँ में अपवर्जनों के मानकीकरण संबंधी दिशानिर्देशों के अध्याय III में निम्नलिखित परिवर्तन लागू किये जाएँगे (संदर्भः आईआरडीएआई/एचएलटी/आरईजी/सीआईआर/177 /09/2019):

क्रम सं.

संदर्भ

वर्तमान

नया

1

अपवर्जन के

(अपवर्जित प्रदाताः

कूट-ईएक्ससीएल11)

अपवर्जन के (अपवर्जित प्रदाताः कूटईएक्ससीएल11)

 

बीमाकर्ता द्वारा विशिष्ट रूप से अपवर्जित तथा अपनी वेबसाइट पर प्रकटीकृत / पालिसीधारकों को सूचित किसी अस्पताल में अथवा किसी चिकित्सा कर्मी द्वारा अथवा किसी अन्य प्रदाता के पास चिकित्सा के लिए किये गये व्यय स्वीकार्य नहीं हैं। तथापि, किसी दुर्घटना के बाद जीवन के लिए संकटमय स्थितियों में स्थिरीकरण के स्तर तक व्यय देय हैं, परंतु पूरे दावे के नहीं।

(स्पष्टीकरणः अपवर्जित प्रदाताओं का विवरण पालिसी दस्तावेज के साथ दिया जाएगा। बीमाकर्ता वेबसाइट में अद्यतन सूची अपलोड करते हुए, उसके बारे में पालिसीधारकों को सूचित करने के लिए संचार के विभिन्न साधनों, जैसे -मेल, एसएमएस का प्रयोग करें।)

अपवर्जन के (अपवर्जित प्रदाताः कूटईएक्ससीएल11)

 

बीमाकर्ता द्वारा विशिष्ट रूप से अपवर्जित तथा अपनी वेबसाइट पर प्रकटीकृत / पालिसीधारकों को सूचित किसी अस्पताल में अथवा किसी चिकित्सा कर्मी द्वारा अथवा किसी अन्य प्रदाता के पास चिकित्सा के लिए किये गये व्यय स्वीकार्य नहीं हैं। तथापि, जीवन के लिए संकटमय स्थितियों में अथवा किसी दुर्घटना के बाद स्थिरीकरण के स्तर तक व्यय देय हैं, परंतु पूरे दावे के नहीं।

 

(स्पष्टीकरणः अपवर्जित प्रदाताओं का विवरण पालिसी दस्तावेज के साथ दिया जाएगा। बीमाकर्ता वेबसाइट में अद्यतन सूची अपलोड करते हुए, उसके बारे में पालिसीधारकों को सूचित करने के लिए संचार के विभिन्न साधनों, जैसै -मेल, एसएमएस का प्रयोग करें।)

2

अपवर्जन क्यू (संतति-निरोध, बंध्यता और अनुर्वरताः कूट- ईएक्ससीएल17)

अपवर्जन क्यू (संतति-निरोध, बंध्यता और अनुर्वरताः कूट-ईएक्ससीएल17)

संतति-निरोध, बंध्यता और अनुर्वरता से संबंधित व्यय। इसमें शामिल हैं :

(i)               किसी भी प्रकार का गर्भनिरोध, बंध्यीकरण

(ii)             सहायता-प्राप्त प्रजनन सेवाएँ जिनमें शामिल हैं, कृत्रिम गर्भाधान और उन्नत प्रजनक प्रौद्योगिकियाँ जैसे आईवीएफ, जेडआईएफटी, जीआईएफटी, आईसीएसआई

(iii)           सगर्भता कोखदान

(iv)           बंध्यीकरण का विपर्यय

अपवर्जन क्यू (बंध्यता और अनुर्वरताः कूट- ईएक्ससीएल17)

बंध्यता और अनुर्वरता से संबंधित व्यय। इसमें शामिल हैं :

 

(i)               किसी भी प्रकार का गर्भनिरोध, बंध्यीकरण

(ii)             सहायता-प्राप्त प्रजनन सेवाएँ जिनमें शामिल हैं, कृत्रिम गर्भाधान और उन्नत प्रजनक प्रौद्योगिकियाँ जैसे आईवीएफ, जेडआईएफटी, जीआईएफटी, आईसीएसआई

(iii)           सगर्भता कोखदान

(iv)           बंध्यीकरण का विपर्यय

बीमाकर्ताओँ और अन्य पक्ष प्रबंधकों, जहाँ भी लागू हो, को सूचित किया जाता है कि उपर्युक्त परिवर्तनों का ध्यान रखें और अनुपालन सुनिश्चित करें।

 

इसे सक्षम प्राधिकारी का अनुमोदन प्राप्त है।

(सुरेश माथुर)

कार्यकारी निदेशक

 

 

 

 

 

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