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Title: आदेश
Reference No.: आईआरडीए/एचएलटी/विविध/ओआरडी/094/06/2019
Date: 10/06/2019
मेसर्स युनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड के विषय में आदेश

आईआरडीए/एचएलटी/विविध/ओआरडी/094/06/2019

 

मेसर्सयुनाइटेडइंडियाइंश्योरेंसकंपनी लिमिटेडके विषय मेंआदेश

 

निम्नलिखितके आधार परः

क)  यह आरोपलगाते हुए कि युनाइटेडइंडियाइंश्योरेंसकंपनी लिमिटेड(इस आदेश मेंइसके बाद बीमाकर्ताअथवा कंपनीके रूप मेंउल्लिखित)द्वारा जारीकी गई सामूहिकस्वास्थ्यबीमा पालिसी केअंतर्गतप्रीमियमराशि के प्रतिदावों का प्रतिबंधहै, महानगरटेलीफोन निगमलिमिटेड (इसआदेश में इसकेबाद एमटीएनएलके रूप मेंउल्लिखित) सेप्राप्तशिकायत केसंबंध मेंकारण बताओनोटिस (इसआदेश में इसकेबाद एससीएनके रूप मेंउल्लिखित)(संदर्भ सं. 343/आईआरडीएआई/एचएलटी/शिकायत/एमटीएनएल-यूआईआईसीएल/2018-19दिनांक 08नवंबर 2018)।

ख)   बीमाकर्ताद्वाराप्रावरण पत्रसंदर्भः यूआईआईसीःएचओःसीएमडीएसईसीटीः072:2018-19दिनांक 23नवंबर 2018 के साथअग्रेषितपत्र दिनांक 20नवंबर 2018 केअनुसारउपर्युक्तएससीएन काउत्तर।

ग)   प्राधिकरणके अध्यक्षद्वाराहैदराबाद स्थितअपनेकार्यालय में03 जून 2019 कोआयोजितवैयक्तिकसुनवाई केदौरानबीमाकर्ता औरएमटीएनएल केप्रस्तुतीकरण।

 

पृष्ठभूमि

1) प्राधिकरणको वित्तीयसेवाएँ विभाग,भारत सरकार कोसंबोधितशिकायत(संदर्भ सं.एमटीएनएल/सीओ/पीईआरएस/लंबितमामले/पालिसीसं. 7989/2015-16दिनांक 08मार्च 2017 केअनुसार) की एकप्रति एमटीएनएलसे प्राप्तहुई।शिकायतकर्ता,एमटीएनएलद्वारा यहआरोप लगायागया कि तीनमहीने की अवधिअर्थात् 10.03.2015 से09.06.2015 तक के लिएयूआईआईसीएलद्वारा जारीकी गई सामूहिकस्वास्थ्यबीमा पालिसीके अंतर्गत प्रीमियमराशि के प्रतिदावों काप्रतिबंध है।

2)  प्राधिकरणने बीमाकर्तासे सूचना/स्पष्टीकरणमाँगा तथाबीमाकर्ता केउत्तरों कीसमीक्षा कीगई।

3)  उक्तप्रस्तुतीकरणोंकी जाँच करनेके बाद, एककारण बताओनोटिस (एससीएन)दिनांक 08नवंबर 2018बीमाकर्ता कोआईआरडीए (स्वास्थ्यबीमा) विनियम, 2013के उपबंधों काउल्लंघन करनेके लिए जारीकिया गया।

4)  बीमाकर्ताने उक्तएससीएन काउत्तर 20 नवंबर 2018को दिया तथाएक वैयक्तिकसुनवाई के लिएअनुरोध किया।

5)  शिकायतकर्ता,एमटीएनएल कोभी उक्तवैयक्तिक सुनवाईमें उपस्थितहोने के लिएकहा गया।

6)  उक्तवैयक्तिकसुनवाई 03 जून 2019को आयोजित कीगई।बीमाकर्ता काप्रतिनिधित्वश्री गिरीश राधाकृष्णन,सीएमडी,यूआईआईसीएलऔर श्री संजयजोशी, मुख्यप्रबंधक,प्रधानकार्यालय,यूआईआईसीएलद्वारा कियागया।एमटीएनएल काप्रतिनिधित्वश्री मिलिंदविजय जोशी,निदेशक(वित्त) औरश्रीमती मीनाचौहान, वरिष्ठमहाप्रबंधक, कारपोरेटकार्यालयद्वारा कियागया। प्राधिकरणकी ओर से श्रीसुरेश माथुर,कार्यकारीनिदेशक(स्वास्थ्य),श्री डीवीएसरमेश,महाप्रबंधक(स्वास्थ्य),श्री एस. पवनकुमार, ओएसडी(स्वास्थ्यअनुमोदन) औरश्रीमती मंजुचौधरी, सहायकप्रबंधक (स्वास्थ्य-टीपीए)उक्तवैयक्तिकसुनवाई मेंउपस्थित थे।

7) उक्तएससीएन मेंउठाये गयेप्रश्नों परबीमाकर्ताद्वारा कियेगयेप्रस्तुतीकरणके संबंध मेंनिष्कर्षनिम्नानुसारहैं :

 

आरोपः

8) अनुमोदितस्वास्थ्यबीमा उत्पादका बाद में संशोधनअथवा आशोधनकरने(प्रीमियम कीसीमा तक दावोंकी उच्चतमसीमानिर्धारितकरने) के लिएप्राधिकरण कापूर्व अनुमोदनप्राप्त नकरना एवंप्राधिकरण कापूर्वअनुमोदनप्राप्त कियेबिना एकउत्पाद का विपणनकरनाआईआरडीए(स्वास्थ्यबीमा) विनियम, 2013 केविनियम 4(ख) केसाथ पठितविनियम 4(क) काउल्लंघन है।

 

बीमाकर्ताके प्रस्तुतीकरणः

9) बीमाकर्तानेप्रस्तुतीकरणकिया किशिकायतकर्ता,एमटीएनएलसामूहिकस्वास्थ्यबीमा पालिसीके नवीकरण केलिए निविदाप्रक्रिया कोअंतिम रूपनहीं दे सका जिसकेलिए नियततारीख 09 मार्च 2015थी तथा यह किएमटीएनएल नेबीमाकर्ता सेसमानुपातिकप्रीमियम के (यथानुपात)आधार पर तीनमहीने के लिएपालिसी का अवधि-विस्तारकरने के लिएअनुरोध किया।प्रारंभ मेंबीमाकर्ता नेएमटीएनएल केअनुरोध कोअस्वीकारकिया, परंतुबाद मेंएमटीएनएल केबारंबारआग्रह करने परबीमाकर्ताउसी पालिसी काअवधि-विस्तारकरने के लिएसहमत हुआ।

10)बीमाकर्ता नेआगेप्रस्तुतीकरणकिया कि चूँकियह अवधि-विस्तारके लिए केवलएक बार(वन आफ़) आधारपर कंपनी कीसामान्यव्यवहार से अलगहटकर तथाएमटीएनएल कोउनकी नवीकरणप्रक्रियामें सहायताप्रदान करनेके लिए सहमतिदी जा रही थी,अतः कंपनी नेएक शर्त पर इसप्रकार करनेका प्रस्तावकिया कि बढ़ाईगई अवधि के दौरानदेय दावों केलिए प्रदत्तप्रीमियम के स्तरपर उच्चतमसीमानिर्धारित कीजाए। बीमाकर्ताने तर्क दियाकि एमटीएनएलइन शर्तों के लिएसहमत हुआ तथातदनुसारपालिसी कीअवधि तीन महीनेके लिए बढ़ाईगई और यह शर्तभी पालिसीअनुसूची काभाग थी।तथापि, बादमें एक नियमितनवीकरणपालिसी मानकशर्तों पर एकवर्ष अर्थात्10 जून 2015 से 09 जून 2016तक के लिएजारी की गई।

11)बीमाकर्ता नेयह भीप्रस्तुतीकरणकिया कि प्रदत्तप्रीमियम कीसीमा तक दावोंके लिए उच्चतमसीमा कानिर्धारणकरना केवल एकबार का करारही था जोदोनोंपक्षकारों केबीच विस्तृतविचार-विमर्शकरने के बादतथापारस्परिकसहमति के साथएक अनुपूरककरार के द्वाराकिया गया। बीमाकर्ताने पुष्टि कीकि इस प्रकारदावों केसंबंध मेंउच्चतम सीमाका निर्धारणकरना एमटीएनएल(अथवा वास्तवमें किसी भीअन्य ग्राहक)की किसीवार्षिकपालिसी का भागनहीं है,परंतु उसकीसामान्यसमाप्ति सेआगे पालिसी केअवधि-विस्तारके लिए यह एकपारस्परिकतौर पर सहमति-प्राप्तऔर केवल एकबार (वन आफ़) कीगई व्यवस्थाथी। एमटीएनएलने पालिसी का अवधि-विस्तारकरने का चयन पूरीतरह जानकारीरखते हुए औरशर्तों केसाथसहमत होते हुएकिया तथायूआईआईसीएलने तदनुसारपारस्परिकरूप से सहमतिप्राप्त इनशर्तों केअनुसार उक्तदावों कानिपटान किया।

12)बीमाकर्ता नेइसकेअतिरिक्तपुष्टि की किउन्होंनेउत्पाद काआशोधन नहींकिया।

 

एमटीएनएलके प्रस्तुतीकरणः

13)बीमाकर्ता नेवर्तमानपालिसी कानवीकरण प्रदानकरते समय एकऩई शर्त शामिलकी जिसके लिएउसे निविदाप्रक्रियाप्रारंभ करनीपड़ी। चूँकिनिविदाप्रक्रियामें कुछ समयलगनेवाला था,अतः पालिसी केभंग होने सेबचने के लिएवर्तमानशर्तों परबीमाकर्ता से तीनमहीने काअंतरिम अवधि-विस्तारकी अपेक्षा कीगई। तथापि,बीमाकर्ता नेएकपक्षीय तौरपर और किसी सुस्पष्टलिखित सहमतिके बिना दावोंकी राशि कोउसके द्वाराअदा किये गयेप्रीमियम तकप्रतिबंधितकर दिया। यहरु. 2.25 करोड़रुपये की राशिके बकायादावों के रूपमें परिणतहुआ, जोएमटीएनएलद्वारा व्ययकिये गये।महत्वपूर्णशर्त काविशिष्ट रूपसे कभी उल्लेखनहीं किया गयातथा दोनोंपक्षकारों केद्वाराहस्ताक्षरितअनुपूरक करारमें इसे शामिलनहीं किया गया।नौ महीने कीअवधि के लिएपालिसी कानवीकरण करनेके लिएएमटीएनएलद्वारा कियेगये अनुरोध कोबीमाकर्ताद्वारा नहीं मानागया। यदि यहअनुरोध मानलिया जाता, तोपालिसी कानवीकरण पूरेएक वर्ष कीसामान्यपद्धति में होगया होता।

14)एमटीएनएल नेतर्क दिया किप्रीमियमराशि तक दावोंकोप्रतिबंधितकरना बीमे कीसंविदा केप्रयोजन को हीविफल कर देता हैतथाउपर्युक्तपालिसी के अवधि-विस्तारके कारणएमटीएनएल नेसमानुपातिकआधार परसंपूर्णप्रीमियमराशि काभुगतान किया है। यह भीप्रस्तुतकिया गया किइस स्थिति के होतेहुए बीमे कीसंविदा अपनास्वरूप ही खोदेती हैक्योंकि यदिदावों कोप्रीमियम राशितक सीमित करदिया जाता हैतो वहएमटीएनएल द्वाराकिये गये अपनेस्वयं के बीमेके समान होगा।

15)एमटीएनएल नेप्रस्तुतकिया कि उसनेबीमाकर्ता के स्तरपर अपनीशिकायत की तथाइसका नियमितरूप से अनुवर्तनकिया गया तथाप्राधिकरण सेअनुरोध किया किप्राधिकरण 18%कीदर से ब्याजके साथउपर्युक्तराशि कीप्रतिपूर्तिकरने के लिएबीमाकर्ता कोसूचित करे।

 

प्राधिकरणका निर्णयः

16)बीमाकर्ता औरएमटीएनएल केप्रस्तुतीकरणोंकी जाँच करनेपरनिम्नानुसारपाया गयाः

क)  यह पायागया कि तीनमहीने की अवधिके लिए संदर्भितसामूहिकपालिसी केनवीकरण सेपहले उक्त पक्षकारों(बीमाकर्ता औरएमटीएनएल) केबीच विस्तृतचर्चाएँ हुईथीं।बीमाकर्ताद्वारा प्रस्तुतकिये गयेदस्तावेजोंसे यह पायागया किप्रदत्तप्रीमियमोंतक देयता कोसीमित करतेहुए तीन महीनेके लिए पालिसीका अवधि-विस्तारकरने के लिएसहमत होते हुएएमटीएनएल केदिनांक 09मार्च 2015 केपत्र परबीमाकर्ता केअधिकारियोंद्वारा एकपृष्ठांकनकिया गया। यहदेखा गया किइस पृष्ठांकनपर बीमाकर्ताके अधिकारियोंद्वाराहस्ताक्षरकिये गये थे।

ख)  इसकेअतिरिक्त यहभी पाया गयाकि ऊपरसंदर्भितपृष्ठांकन सेयुक्त दिनांक09 मार्च 2015 केपत्र कीप्राप्ति-स्वीकृतिएमटीएनएलद्वारा दी गईथी, यद्यपिस्वीकृति केसंकेत के तौरपर विशिष्टरूप सेहस्ताक्षरनहीं किये गयेथे। उक्तदोनोंपक्षकारों केद्वारा किये गयेदिनांक 10मार्च 2015 केअनुपूरक करारमें स्वीकृतिपत्र केप्रस्ताव केरूप मेंदिनांक 09 मार्च2015 के पत्र कासंदर्भ दियागया तथा यहपत्र इस अनुपूरककरार केअनुलग्नकोंमें से एकअनुलग्नक था।इसके अलावा यहभी पाया गयाकि एमटीएनएलको उक्तसामूहिकस्वास्थ्यबीमा पालिसीतीन महीने कीअवधि के लिएएक जोखिम-अंकनटिप्पणी स्वीकृतिपत्र दिनांक 09मार्च 2015 केअनुसार यूआईआईसीकी देयताप्रदत्तप्रीमियम तकसीमित कर दीगईकेसाथ जारी कीगई। इसप्रकार,एमटीएनएल कोदेयता कोसीमित करने कीशर्त लागूकरने की जानकारीथी, परंतु इसविषय को नहींउठाया गया औरकरार पर हस्ताक्षरकिये गये।

ग)   यह देखागया किबीमाकर्ताद्वाराप्रस्तावितउत्पाद सामूहिकस्वास्थ्यपालिसीहै जो यूआईएनःआईआरडीए/एनएल-एचएलटी/यूआईआईआई/पी-एच/V.I/236/13-14सेयुक्त है।लागू की गईप्रतिबंधात्मकशर्तेंउपर्युक्तउत्पाद कीशर्तों का भागनहीं हैं जोआईआरडीएआई केपास फाइल कियागया है। वैयक्तिकसुनवाई मेंबीमाकर्ताद्वारा इसे भीस्वीकार कियागया। इसप्रकार यहदेखा गया किबीमाकर्ता नेएक ऐसा उत्पादप्रस्तावितकिया था जोप्राधिकरण केपास फाइल कीगई शर्तों के अनुसारनहीं था।दूसरे,बीमाकर्ता नेप्राप्तप्रीमियम तकदेयता कोसीमित करनेमें अनुचितव्यवहार कियाहै, इस प्रकारबीमे केअंतर्गतग्राहक केसंरक्षण केस्तर केप्रभाव कोतीव्रता सेबाधा पहुँचाईगई है। तीसरे,तीन महीने कीअवधि के लिएउत्पाद कोप्रस्तावितकरनाबीमाकर्ता केलिए अनुचितथा, जबकिपालिसी कीअवधिसामान्यतः एकवर्ष होनीचाहिए।

घ)   आशोधितशर्तों के साथउत्पाद काविपणन और प्रस्तावकरने केद्वाराबीमाकर्ता नेआईआरडीए (स्वास्थ्यबीमा) विनियम, 2013के विनियम 4(क) केसाथ पठितविनियम 4(ख) केउपबंधों काउल्लंघन कियाहै।

17)अतः बीमाअधिनियम, 1938 कीधारा 102 केउपबंधों के अनुसारइसके द्वाराबीमाकर्ता पर1 लाख रुपये काअर्थदंडलगाया जाताहै।

18)बीमाकर्ता कोयह सुनिश्चितकरने का भीनिर्देश दियाजाता है किप्रत्येकबीमा उत्पादका प्रस्तावऔर विपणनस्थापित औरलागू वर्तमानविनियामकढाँचे केअनुसार कियाजाए।

19)बीमाकर्ताद्वारा रु. 1,00,000 (केवलएक लाख रुपये)का उक्तअर्थदंडइसआदेश कीप्राप्ति कीतारीख से 45 दिनकी अवधि केअंदर एनईएफटी/आरटीजीएसद्वाराविप्रेषितकिया जाएगा(जिसका विवरणअलग से सूचितकिया जाएगा)।विप्रेषण कीसूचना श्रीडीवीएस रमेश,महाप्रबंधक(स्वास्थ्य)को भारतीयबीमाविनियामक औरविकास प्राधिकरण,सर्वे सं. 115/1,फाइनैंशियलडिस्ट्रिक्ट,नानकरामगूडा,हैदराबाद- 500 032के पते परभेजी जाए।

20)इसकेअतिरिक्त,

1) उक्तआदेशबीमाकर्ता केबोर्ड केसमक्ष आगामीबोर्ड बैठकमें प्रस्तुतकिया जाएगातथा बीमाकर्ताविचार-विमर्शकेकार्यवृत्तकी एक प्रतिप्राधिकरण कोउपलब्धकराएगा।

2) यदिबीमाकर्ता इसआदेश केनिर्णय सेअसंतुष्ट है,तो बीमाअधिनियम, 1938 कीधारा 110 केअनुसार प्रतिभूतिअपीलीयन्यायाधिकरण(एसआईटी) को अपीलप्रस्तुत कीजा सकती है।

 

 

(डा.सुभाष सी.खुंटिआ)

अध्यक्ष

स्थानःहैदराबाद

दिनांकः10/06/2019

 

 

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