Document Detail

Title: अंतिम आदेश
Reference No.: आईआरडीएआई/ईएनएफ/ओआरडी/ओएनएस/067/04/2019
Date: 30/04/2019
मेसर्स आनंद राठी इंश्योरेंस ब्रोकर्स लिमिटेड के मामले में अंतिम आदेश

सं.आईआरडीएआई/ईएनएफ/ओआरडी/ओएनएस/067/04/2019

 

मेसर्सआनंद राठी इंश्योरेंसब्रोकर्सलिमिटेड

केमामले मेंअंतिम आदेश

 

कारणबताओ नोटिसदिनांक 24दिसंबर 2018 केउत्तर एवंभारतीय बीमाविनियामक औरविकासप्राधिकरण, फाइनैंशियलडिस्ट्रिक्ट,नानकरामगूडा,हैदराबाद केकार्यालय मेंसदस्य (वितरण)की अध्यक्षतामें 12 फरवरी 2019को अपराह्न 3बजे आयोजितवैयक्तिक सुनवाईके दौरान कियेगयेप्रस्तुतीकरणोंके आधार पर

 

I.  पृष्ठभूमिः-

 

1. भारतीयबीमाविनियामक औरविकासप्राधिकरण (इसआदेश में इसकेबाद प्राधिकरणके रूप मेंउल्लिखित) ने 16से 18 अगस्त 2017 तकमेसर्स आनंदराठीइंश्योरेंसब्रोकर्सलि.(इस आदेश मेंइसके बाद दलालअथवा कंपनीके रूप मेंउल्लिखित) काएक आनसाइटनिरीक्षण संचालितकिया था।

2.  प्राधिकरणने निरीक्षणकी रिपोर्ट कीप्रति टिप्पणियाँमाँगते हुएदलाल कोप्रेषित की तथादलाल कीटिप्पणियाँउनके पत्रदिनांक 16नवंबर 2017 द्वाराप्राप्त की गईथीं। उपलब्धदस्तावेजों औरदलाल द्वाराकिये गयेप्रस्तुतीकरणोंकी जाँच करनेके बादप्राधिकरण ने24 दिसंबर 2018 कोकारण बताओनोटिस जारी कीजिसका उत्तरदलाल के द्वाराउनके पत्रदिनांक 12जनवरी 2019 केद्वारा दियागया। उस पत्रमें किये गयेअनुरोध केअनुसार दलालको 12 फरवरी 2019 कोएक वैयक्तिकसुनवाई काअवसर दियागया। श्रीमतीसुप्रियाराठी,प्रधानअधिकारी, श्रीके. के. राव,कार्यकारीनिदेशक औरसुश्रीविनीतापोरवाल,वरिष्ठवाइसप्रेसिडेंटदलाल की ओर सेउक्त सुनवाईमें उपस्थितथे।प्राधिकरण की ओरसे, श्रीसुजयबनर्जी,सदस्य (वितरण),श्री रणदीपसिंह जगपाल,मुख्यमहाप्रबंधक(मध्यवर्ती),श्री प्रभातकुमार मैती,महाप्रबंधक(प्रवर्तन) औरश्री बी.राघवन, उपमहाप्रबंधक(प्रवर्तन)उक्त सुनवाईमें उपस्थितरहे।

3. कारणबताओ नोटिस केलिए दलाल केद्वारा अपनेलिखित उत्तरमें किये गयेप्रस्तुतीकरणों,वैयक्तिकसुनवाई केदौरान कियेगयेप्रस्तुतीकरणोंतथा अपनेप्रस्तुतीकरणोंके प्रमाण केरूप में दलालके द्वाराप्रस्तुतकिये गयेदस्तावेजोंपर प्राधिकरणद्वारा विचारकिया गया तथातदनुसारआरोपों परप्राधिकरण केनिर्णयों काविवरणनिम्नानुसारदिया जाता है।

 

II. आरोप,उनके उत्तरमेंप्रस्तुतीकरणऔर निर्णयः

 

(i) आरोप सं. 1

वित्तीयवर्ष 2016-17 केदौरान दलाल नेदावों के संबंधमें अपनेग्राहक कोदावा परामर्शसेवाएँ प्रदानकी थीं जहाँदावे का आकारदो मामलों मेंएक करोड़रुपये से अधिकहो गया था।उक्त परामर्शकार्य केसंबंध में दलालने निरीक्षणके लिएसंपूर्णदस्तावेजउपलब्ध नहींकराये।पालिसी कीप्रतियों केअभाव मेंउपर्युक्तपालिसियों कीअपेक्षाओँ कास्रोत ज्ञातनहीं है।

 

बीमितव्यक्तिद्वारा दलालको प्रस्तुतकिये गये आदेशमें दलाल के द्वाराकिये जाने केलिएनिम्नलिखितकार्य निहितथेः

क)  वाणिज्यिकउपयोग केकमिशनिंग केपहले/केबाद विकल्पदिये गये बीमाकवरेज के साथविस्तारपरियोजनापरिसंपत्तियोंके समेकन के संबंधमें परामर्श;

ख)   विभिन्नपरिसंपत्तियोंका बीमायोग्यमूल्यप्राप्त करनेएवं उनका मूल्यांकनकरने के लिएकार्यपद्धतिसुझाना;

ग)    आईआरडीए/टीएसीदिशानिर्देशोंके अनुपालनमें बीमा कवरेजके लिए जारीकीजानेवालीनिविदामें शामिलकिये जाने केलिए शर्तों काअभिकल्पनकरना;

घ)    परिसंपत्तियोंऔर कवर कियेगये जोखिम केलिए प्रीमियमका निर्धारणकरना;

ङ)     विभिन्नबीमापालिसियों केअंतर्गतसंभवतः उत्पन्नहोनेवालीहानियों हेतुविभिन्न प्रकारके दावेप्रस्तुतकरने के लिएसंबद्ध कदमोंका विवरण देतेहुएमार्गदर्शननोट्स उपलब्धकराना एवंइसके लिएप्रलेखीकरणकी अपेक्षा;

च)   लंबितदावों केसंबंध मेंसेवाएँउपलब्ध कराना,त्वरित निपटानके लिएबीमाकर्ता/सर्वेक्षक केसाथ समझौतावार्ता करना;

 

उपर्युक्तसेवाओँ केलिए, दलाल कोभुगतान कियेजाने हेतु सहमति-प्राप्तप्रभार/शुल्कप्रत्येकदावे के लिएएक लाख रुपयेतथा अधिकतम 20लाख रुपये केअधीन अधिकदावा निपटानपर 1%, जो भीकम हो, था।इसकेअतिरिक्त,क्रय आदेश(पीओ) दिनांक 26.10.15में यहविनिर्दिष्टकरते हुए एकखंड है कि अधिकतम20 लाख रुपये केअधीन अधिकदावा निपटान पर1%, जो भीपहले हो।

आईआरडीएबीमा दलालविनियम दावोंके लिए एककरोड़ रुपयेसे अनधिक दावोंके लिए दावापरामर्श कीसीमित अनुमतिदेते हैं बशर्तेकि इस प्रकारका दावा ऐसीपालिसी सेउत्पन्न न होजो उसी बीमादलाल अथवाकिसी अन्यबीमा दलाल केद्वारा रखी गईहो।

 

आईआरडीएबीमा दलालविनियमनिर्धारितकरते हैं किशुल्क दावोंके प्रतिशत केरूप में अभिव्यक्तनहीं कियाजाएगा। तथापि,क्रय आदेश(पीओ) कीशर्तों केअनुसार दलालने ऐसे शुल्कको स्वीकारकिया जो दावामूल्य का कुछप्रतिशत है।

 

जैसाकि दलाल नेस्वयंप्रस्तुतकिया है, पालिसियाँजिनके आधार परदलाल द्वारादावों के संबंधमें सेवाप्रदान की गईहै, उनकेद्वाराअपेक्षितनहीं थीं। अतःपी.ओ. में उल्लिखितरूप में दलालके द्वाराप्रदान की गईसेवाएँवास्तव मेंदावा परामर्शसेवाएँ हैं (नकि दलालीसेवाएँ जोअपने ग्राहकके प्रति दलालका दायित्व हैजिसकेव्यवसाय की वेअपेक्षा करतेहैं)।आईआरडीएआई(बीमा दलाल)विनियम, 2013 केविनियम 32(1)(क) केअनुसार, दावापरामर्शकार्य करने केलिए किसी भीदलाल के लिएमुख्य शर्त यहहै कि दावाआवश्यक रूप से1 करोड़ रुपयेसे अधिक न हो। इसी प्रकार,उपर्युक्तविनियमों का विनियम32(1)(ग)विनिर्दिष्टकरता है किदावा परामर्शकार्य के लिएदलाल केद्वाराप्रभारितकियाजानेवालाशुल्क आवश्यकरूप से दावोंके प्रतिशत केरूप में अभिव्यक्तनहीं कियाजाना चाहिए।परंतु निरीक्षणद्वाराउल्लिखितमामलों में दावाराशि 1 करोड़रुपये से अधिकथी। इसके अलावा,शुल्क दावोंके प्रतिशत केरूप मेंअभिव्यक्तकिया गया है।

इसप्रकार,उपर्युक्ततथ्यों केआधार पर दलाल नेनिम्नलिखितका उल्लंघनकिया है

क)  आईआरडीए(बीमा दलाल)विनियम, 2013 काविनियम 32(1)(क)।

ख)   आईआरडीए(बीमा दलाल)विनियम, 2013 काविनियम 32(1)(ग)।

ग)   आईआरडीए(बीमा दलाल)विनियम, 2013 केविनियम 28 की अनुसूचीVI-एका पैरा 7।

यहभी पाया गयाकि पीओ कीशर्तों कीभाषा इस प्रकारसे शब्दों मेंव्यक्त की गईहै कि वास्तविकप्रयोजनअर्थात्लंबित दावोंपर कार्रवाईकरने के मुख्यउद्देश्य कोछिपाया जासके।

 

दलालका उत्तरः

हमनेप्राधिकारियोंद्वारा बताईगई चिंताओँ/उल्लंघनोंको सावधानीपूर्वकनोट किया हैतथा हमनिम्नानुसार कहनाचाहते हैं :

कृपयाध्यान दें किएपीजीईएनसीओने उनके पीओ मेंउल्लिखित रूपमें विभिन्नबीमा दलाली सेवाओंके लिए हमारीकंपनी कोनियुक्त कियाहै। एपीजीईएनसीओद्वारा दियेगये आदेश मेंनिर्धारितकिया गया हैकि एआरआईबीएलउनके द्वाराप्रदत्तसेवाओं केसंबंध में कोईदलालीप्रभारितनहीं करेगा।हमने उनकेआदेश केअनुसारविभिन्नसेवाएँप्रदान की हैं।विभिन्नराशियों कीपैतृकसंपत्ति की सर्विसिंगभी इसनियुक्ति काएक भाग रहाहै। ये सभीदावे किसीदलाल कीसंबद्धता केबिना ग्राहकद्वारा सीधेप्रस्तुत कीगई पालिसियोंपर थे।

 

कृपयाध्यान दें कि एआरआईबीएलने निपटायेगये दावों केप्रतिशत केआधार परएपीजीईएनसीओको प्रभारितनहीं किया है,यद्यपि आदेशएपीजीईएनसीओमें यह उल्लेखकिया गया हैकि दावापरामर्शकार्य के लिएलगायाजानेवाला हमाराशुल्क दावे केप्रतिशत परहोगा। इसकाउल्लेखएपीजीईएनसीओगलत ढंग से औरअसावधानीवशकिया गया था,परंतु तथ्य यहहै कि प्रतिशतके आधार परकोई शुल्कनहीं लगायागया है।एआरआईबीएल नेदावा परामर्शकार्य के लिएसमग्रप्रतिफल केरूप में 6 लाखप्राप्त कियेहैं, जिसेदावा निपटानकी राशि केसाथ संबद्धनहीं किया गयाहै। ऐसाप्रतीत होताहै कि कार्यआदेश का प्रारूपबनाने मेंएपीजीईएनसीओद्वारा की गईतकनीकीत्रुटि है तथाग्राहकद्वारा प्रयुक्तभाषा पर हमाराकोई नियंत्रणनहीं है एवं इसकारण से हमप्रस्तुतकरते हैं किइस विषय मेंवास्तविकतथ्यों केआधार पर विचारकिया जानाचाहिए, जिनकेअनुसारनिपटाये गये दावोंके प्रतिशत केरूप में कोईभी शुल्क प्रभारितनहीं किया गयाहै अथवा वसूलकिया गया है।

 

पीओनेएपीजीईएनसीओको प्रदत्तसेवाओं को विनिर्दिष्टकिया है तथाउक्त अवधि केदौरान ग्राहकके साथ उऩकीबहुविधआवश्यकताओँके लिए संबद्धरहे तथा मात्रदावा सेवाओँके लिए नहीं।हम यह भीप्रस्तुतकरते हैं किदावा परामर्शकार्य कोछोड़करप्रदत्तकिन्हीं भीअन्य सेवाओंके लिए हमने ग्राहकसे प्रभारवसूल नहींकिया है।

 

वैयक्तिकसुनवाई केदौरान प्रस्तुतीकरणः

कारणबताओ नोटिस केप्रत्युत्तरमें उनके द्वाराकिये गयेप्रस्तुतीकरणोंको दोहराते हुए,दलाल नेस्पष्ट कियाकि उन्होंनेकुल छह दावोंके लिए 1 लाखरुपये प्रतिदावा काएकसमान शुल्कप्रभारितकिया है तथादलाल केद्वारा प्रतिशतके आधार परकोई भी राशिप्रभारितनहीं की गई हैअथवा प्राप्तनहीं की गईहै। दलाल नेआगे प्रस्तुतकिया है किवर्तमान मेंइस प्रकार काकोई करारविद्यमान नहींहै।

निर्णयः

 

आनसाइटनिरीक्षण केदौ#2352;ान दलाल केद्वारा प्रस्तुतकिये गयेदस्तावेजीप्रमाण केअनुसार यहस्पष्ट है किदलाल ने 1करोड़ रुपयेसे अधिक राशिके दावों केलिए दावापरामर्शकार्य दोअवसरों परदिया है। यहआईआरडीए (बीमादलाल) विनियम, 2013के विनियम 32(1)(क)का उल्लंघनहै। अतःउपर्युक्तउल्लंघन केलिए बीमा अधिनियम,1938 की धारा 102 केअंतर्गतनिहितशक्तियों केआधार परप्राधिकरणउक्त दलाल पर2,00,000 रुपये (केवलदो लाख रुपये)का अर्थदंड(दो मामलों केलिए 1 लाखरुपये प्रति मामलातथा यह मानतेहुए कि दावापरामर्श कार्यदो भिन्नतारीखों परप्रदान कियागया था) लगाताहै।

 

दावापरामर्शकार्य परप्रभारितशुल्क के मामलेमें, दलाल ने प्रस्तुतकिया है कि इनसेवाओँ के लिएउनके द्वाराप्रभारित कीगई नियत राशिके अलावा,उन्होंनेनिपटाये गयेदावों केप्रतिशत केरूप में कोईभी अन्य राशिप्रभारितनहीं की है।उन्होंनेप्रस्तुतकिया है किउनके ग्राहकद्वारा जारीकिये गये पीओमें दलाल केलिए भुगतान,दावे केप्रतिशत केआधार परउल्लिखित है –जिसे वेग्राहक की ओरसे असावधानीवशहुई त्रुटिके रूप मेंमानते हैं –तथा आगेउन्होंनेप्रस्तुतकिया है किदावे केप्रतिशत केआधार पर कोईराशिप्रभारितनहीं की गईहै। जबकि दलालका यहप्रस्तुतीकरणरिकार्ड परलिया गया है,दलाल ने यहस्पष्ट नहींकिया है कि तथाकथितअसावधानीवशहुई त्रुटिने उनका ध्यानतब तक क्योंनहीं आकर्षितकिया जब तकनिरीक्षण टीमने उन्हेंबताया तथाउन्होंनेसंबंधितग्राहक सेअनुरोध करनेके लिए क्योंनहींकार्रवाई कीताकि शर्तेंविनियामकअपेक्षाओंके अनुपालनमें हों। दलालको इसके लिएचेतावनी दी गईहै तथा यहसुनिश्चितकरने के लिएभविष्य मेंसावधान रहनेके लिएनिर्देश दियागया कि इसप्रकार केअननुपालन कापुनः आवर्तन नहो।

 

(ii) आरोपसं. 2

उक्तदलाल ने आनंदराठीग्लोबलफाइनैंसलिमिटेड सेशेयरों कीजमानत पर वर्ष2015-16 में 3.13 करोड़रुपये के तथावर्ष 2016-17 में 50 लाखरुपये के ऋणप्राप्त कियेहैं। इसकेअलावा, उक्तऋण के लिएशर्तों कीअनुसूचीनिर्दिष्ट करतीहै कि गिरवीरखे जानेवालेशेयरों कीसूची को आनंदराठीग्लोबलफाइनैंसलिमिटेडद्वाराअनुमोदितकिया जानाचाहिए। समापनखंड भी आनंदराठीग्लोबलफाइनैंसलिमिटेड केविवेक पर है।इसकेअतिरिक्त,उक्त दलालबारंबार आनंदराठीग्लोबलफाइनैंसलिमिटेड से ऋणप्राप्त करतेहुए देखा गयाहै जिसकी चुकौतीएक महीने केअंदर की गईहै।प्राधिकरण ने अपनेपहले केदिनांक 16अप्रैल 2014 केआदेश में दलालऔर उनकी मूलकंपनीअर्थात् आनंदराठीग्लोबलफाइनैंसलिमिटेड केबीच निधियोंके अंतरण कोतत्काल रोकनेका निर्देशदिया था।यद्यपि वर्ष 2015-16और 2016-17 के दौरानआनंद राठीग्लोबलफाइनैंसलिमिटेड कोनिधियों काकोई अंतरणनहीं किया गयाथा, फिर भी अपनीसमूहकंपनियों कोनिधियों केअंतरण के साथसंबद्ध करतेहुए लेनदेनकरने केद्वारा उक्त दलालप्राधिकरण केआदेश सं.आईआरडीए/आईएण्डसी/ओआरडी/ओएनएस/275/12/2014दिनांक 16दिसंबर 2014 का सहीमायने मेंपालन नहींकिया है।

 

दलालका उत्तरः

हमप्रस्तुतकरते हैं किएआरआईबीएल नेएआरजीएफएल,एनबीएफसी, एकसमूह की एकसहयोगी कंपनीसे स्वतंत्रऔर पर्याप्तदूरी से युक्तआधार परओवरड्राफ्टसुविधाएँप्राप्त कीहैं। एआरआईबीएलके पास किसीअन्यएनबीएफसी सेयह सुविधाप्राप्त करनेका विकल्प है।एआरजीएफएल कोउनसे प्राप्तकिये गयेकार्यशीलपूँजी ऋण केलिए सामान्यब्याज अदाकिया गया है।चूँकि उक्तलेनदेनस्वतंत्रआधार पर है,अतःएआरजीएफएल केप्रतिएआरआईबीएलद्वारा तथाविलोमतः कोईपक्षपात नहींकिया गया है।संलग्न लेजरकी प्रति सेकृपया ध्यानदें कि एआरआईबीएलने एआरजीएफएलसे राशि उधारली है तथाउसकी चुकौतापूर्णतः कर दीहै। यह निधियोंका अंतरण नहींहै, यहकार्यशीलपूँजी की व्यवस्थाहै तथानिधियाँ वापसउक्तएनबीएफसी को जमाकर दी गई हैं।

 

आईआरडीएके दिसंबर 2014 केआदेश मेंअधिशेष मूल कंपनीको उधार देनेका उल्लेखकिया गया है,जो प्रथा पूरीतरह बंद की गईहै, तथाएआरआईबीएल केपास उपलब्ध सभीअधिशेषनिधियों कानिवेशम्युचुअलनिधियों अथवाबैंकों के पासमीयादीजमाराशियोंमें किया गयाहै। अतः हमनिवेदन करतेहैं कि प्राधिकरणके दिनांक 16दिसंबर 2014 केआदेश का कोईउल्लंघन नहींकिया गया है।

 

निर्णयः

इसआरोप केअंतर्गतमुख्य घटकदलाल और उसकीसमूह संस्थाके बीच किसीभी प्रयोजन केलिए निधियों काअंतरण है; निधिका यह अंतरणअनेक बार घटितहुआ है। वास्तवमें इस प्रकारके लेनदेनोंके कारण हीप्राधिकरण कादिनांक 16दिसंबर 2014 काआदेश इनकानिषेध करने केलिए परिकल्पितकिया गया है।इस संबंध में,दलाल ने उनकेऔर उऩकी समूहकंपनी (जिसकेसंबंध में वेदावा करते हैंकि वह एनबीएफसीथा) के बीच दलालकी अल्पकालिकनिधिगतअपेक्षाएँपूरी करने केप्रयोजन केलिए निधियोंके अंतरण सेइनकार नहींकिया है।वैयक्तिकसुनवाई केबाद, दलाल नेवर्ष 2015-16 और 2016-17 केलिए अपने लेजरखाते कीप्रतिलिपिप्रस्तुत कीहै जिसमें वहप्रयोजननिर्दिष्टकिया गया हैजिसके लिएउन्होंनेअपनी समूहकंपनी सेअल्पकालिक ऋणलिया था। दलालके द्वाराउधार ली गईनिधियों केउपयोग केसंबंध मेंदलाल केद्वाराप्रस्तुत विवरणपर ध्यान देतेहुए,प्राधिकरण यहपरामर्श देताहै कि दलाल कोचाहिए कि वहअपनी समूह कंपनीसे इस प्रकारके बारंबारअल्पकालिकउधार लेने सेबचे।

 

(iii)    आरोप सं. 3

वर्ष2016-17 के लिए दलालके लेजर खातेव्यक्त करते हैंकि दलाल नेपरामर्शशुल्क के रूपमें 50 लाख रुपयेका भुगतानकिया है। दलालने उक्तभुगतान के लिएविवरणप्रस्तुतनहीं किया।परंतु दलाल केद्वाराप्रस्तुतकिये गयेपरामर्शदाताके रूप में एकव्यक्ति केसाथ दिनांक 4अप्रैल 2016 कोकिये गये करारसे विदित होताहै किपरामर्शदाताने एआरआईबीएल(अर्थात्दलाल) को ग्राहकभेजने का प्रस्तावकिया है।

 

बीमादलाल विनियमकी आचरणसंहितानिर्धारित करतीहै कि दलाल कोयह पुष्टिकरनी चाहिए किवह व्यवसायलाने के लिएएजेंटों अथवाअनुयाचकों(कैन्वासर्स)को नियुक्तनहीं करता।

 

उपर्युक्तमामले मेंउक्त करारनिर्दिष्ट करताहै कि दलालग्राहकों कोभेजने के लिएएक व्यक्ति कोनियुक्त करनेके द्वारा बीमाव्यवसायप्राप्त कररहा है। इसप्रकार दलालव्यवसाय लानेके लिएपरामर्शदाताके रूप मेंएजेंट अथवाअनुयाचक कीनियुक्ति कररहा है।

 

इसप्रकारउपर्युक्तकृत्य केद्वारा दलाल नेआईआरडीए (बीमादलाल) विनियम, 2013के विनियम 28की अनुसूचीVI-एके पैरा 3(ख) काउल्लंघन कियाहै।

 

दलालका उत्तरः

संबंधितव्यक्ति एकलंबी अवधि सेएआरआईबीएल काएक कर्मचारीरहा है तथाकुछ समय केलिए दुबईस्थानांतरितकिया गया है।वह जब भारतवापस आ गया है,तब पुनः वह 1अप्रैल 2017 से एकपूर्णकालिककर्मचारी है(नियुक्ति पत्रइसके साथसंलग्न है)।चूँकि वहकंपनी में रहाहै और उसकेपास तकनीकी औरउत्पादसंबंधी विशेषज्ञताहै, अतः हमनेउसकीनियुक्तिपरामर्शदाताके रूप में कीथी जिसके लिएउसे परामर्शशुल्क काभुगतान कियागया था। उसकेद्वारा कोईग्राहक नहींभेजा गया (रिफ़रनहीं कियागया) था, जैसाकि अभिलेखोंसे अत्यंतस्पष्ट होगा। उसअवधि के दौरानजब उसेपरामर्शशुल्क का भुगतानकिया गया था,तब वह एकतकनीकीविशेषज्ञ के रूपमें परामर्शदे रहा था औरसहायता कर रहाथा। उक्त करारमें असावधानीवशएक त्रुटि रहगई जहाँरिफ़रल केविषय का उल्लेखकिया गया। हमप्रस्तुतकरते हैं किउक्त विषय मेंकोई भीन्यायिकधारणा बनानेके लिएवास्तविकतथ्यों परविचार कियाजाए तथा वास्तवमें उसकेद्वारा कोई भीग्राहक रिफ़रनहीं किया गयाथा।

 

अतःहम प्रस्तुतकरते हैं किआईआरडीए (बीमाग्राहक)विनियम, 2013 केविनियम 28 कीअनुसूचीVI-एके पैरा 3(ख) काकोई उल्लंघननहीं किया गयाहै।

 

निर्णयः

संबंधितव्यक्ति केसाथ, जिसकीनियुक्ति परामर्शदाताके रूप में कीगई है, दलाल केद्वारा कियेगये करार केअवलोकन सेविदित होता हैकि करार मेंकेवल एक हीप्रयोजन काउल्लेख किया गयाहै तथा वहप्रयोजन दलालके लिए `ग्राहकभेजना(रिफ़रिंगक्लायंट्स)है। इसके लिएदलाल ने एकविलक्षणप्रस्तुतीकरणदिया है किपरामर्शदाताके कार्य केरूप में रिफ़रलके उल्लेख केसंबंध मेंकरार मेंअसावधानीवशएक त्रुटि रहगई थी। यदिउक्त करार मेंकुछ सेवाओँ काउल्लेख कियागया होता और रिफ़रलभी जोड़ाजाता, तो दलालका यह तर्क किग्राहकों के रिफ़रलका समावेशअसावधानीवशकिया गया था,कुछ सीमा तककुछविश्वसनीयताके साथ देखाजाता। परंतु स्थितियह नहीं है और एआरआईबीएलको ग्राहकभेजना(रिफ़र करना)केवल एकमात्रप्रयोजन हैजिसके लिएपरामर्शदाताकी नियुक्तिकी गई थी।

 

इसकेअलावा, उसीकरार कीसामान्यशर्तों के खंड(i) केअंतर्गत यहकहा गया है कि एआरआईबीएलबुनियादीसुविधाएँ,सेवाओँ/उत्पादोंका समूह,व्यावसायिकसहायता उपलब्धकराएगा, जैसाकि ग्राहकोंकी प्राप्तिऔर अनुरक्षणके लिए आवश्यकहो। येसब दर्शातेहैं किपरामर्शदाताकी नियुक्तिकी शर्तेंउक्त करार मेंउल्लिखितउसकी नियुक्तिके प्रयोजन केभी अनुरूपहैं। यह स्पष्टरूप से दलालके इसप्रस्तुतीकरणका खंडन करताहै कि उक्तकरार में असावधानीवशत्रुटिरह गई थी।

 

इसकेअतिरिक्त,उक्त करार की शुल्कसंरचनाके अंतर्गत यहउल्लिखित हैकि परामर्शदातामहीने केअंतिम दिन कोअथवा उससेपहले एक बीजक(इनवाइस) प्रस्तुतकरेगा,जो कि उसस्थिति मेंसामान्य नहींहै जहाँ परामर्शदाताकी नियुक्तिएक नियत शुल्कके आधार पर कीगई हो। इस तर्कको नकारने कीबात पर ध्यानदेना चाहिए किजबपरामर्शदाताको भुगतानकरने के लिए 50लाख रुपये कावार्षिक परामर्शशुल्कनिर्धारितकिया गया हो,तब उक्त सेवाओँके लिए बीजक(इनवाइस)प्रस्तुतकरने की आवश्यकताकहाँ रहती है।

 

उपर्युक्तसभी तथ्य औऱपरिस्थितियाँअधिक स्पष्टरूप सेप्रमाणितकरती हैं किपरामर्शदाताकी नियुक्तिका प्रयोजनकेवल दलाल केलिए ग्राहक कोरिफ़र करना हीहै। दलाल कीयह दलील किपरामर्शदाताद्वारा कोईग्राहक रिफ़रनहीं किया गयाहै, एक सारहीनऔर कमजोर दलीलहै क्योंकिदलाल नेनिरीक्षण दलद्वारा माँगेगये दस्तावेजऔर अभिलेखप्रस्तुतनहीं किये हैंतथा निरीक्षणटीम ने इससंबंध मेंटिप्पणी कीहै। अतः दलालके लिए यहकहना किपरामर्शदाताके द्वाराउन्हें कोई भीग्र&##2366;हक रिफ़रनहीं किया गयाहै, जबउन्होंनेनिरीक्षण टीमको द(स्तावेजोंकी) सीमितपहुँच उपलब्धकराई है, कोईसमर्थनीय उत्तरनहीं है।

 

उपर्युक्तके आधार परप्राधिकरण इसनिष्कर्ष परपहुँचता है किपरामर्शदाताकी नियुक्ति ग्राहकको रिफ़रकरने केप्रयोजन केलिए था तथाइसके द्वारा दलालने विनियम 28 केअंतर्गतअनुसूचीVI-एके खंड 3(ख) काउल्लंघन कियाहै जो व्यवसायलाने के लिएदलाल केद्वारा किसीएजेंट अथवाअनुयाचक कीनियुक्ति कोनिषिद्ध करताहै। तथापि, चूँकिकोई दस्तावेजनिरीक्षण केदौरान उपलब्धनहीं करायागया जिससेप्राधिकरण उसअवधि कानिर्धारण करसके जिसमें इसप्रकार कारिफ़रल जारीरहा हो, अतः यहनिष्कर्षनिकाला जाताहै कि दलाल नेकरार की तारीखकी स्थिति केअनुसार उक्तविनियम का उल्लंघनकिया है।

 

अतःबीमा अधिनियम,1938 की धारा 102 केअंतर्गत निहितशक्तियों केआधार परप्राधिकरणदलाल पर (करारपर हस्ताक्षरकरने की तारीखको उल्लंघन कीतारीख के रूपमें मानतेहुए) 1,00,000 रुपये(केवल एक लाखरुपये) काअर्थदंडलगाता है। इसकेअतिरिक्त,दलाल को यह भीनिर्देश दियाजाता है कि वहकरार, यदि अबकोई विद्यमानहो, तत्कालप्रभाव सेसमाप्त करे,जो अनुयाचकोंको प्रत्यक्षअथवाअप्रत्यक्षरूप सेव्यवसाय लानेके लिए अनुमतिदेता हो।

(iv)    आरोप सं. 4

दलालके द्वारा लीगईव्यावसायिकक्षतिपूर्तिपालिसी मेंकिसी बेईमानीसे युक्त,कपटपूर्ण,आपराधिक अथवादुर्भावपूर्णकार्य अथवाचूक का कवरेजशामिल नहींहै। उक्त पालिसीमें बीमाएजेंटों केरूप में उनकेकार्यकलापोंके दौरानबीमाकृत केद्वारा कियेगये किसीउपेक्षापूर्णकार्य, त्रुटिअथवा चूक कोभी कवर नहींकिया गया है।

 

यहअपवर्जनआईआरडीए बीमादलालविनियमों के अनुसारनिर्धारितव्यावसायिकक्षतिपूर्ति (पीआई)पालिसी कीअपेक्षाओं कीअवहेलना करताहै जो यह कहताहै कि उक्तबीमा कवर कोअवश्यनिम्नलिखितके विरुद्धबीमा दलाल कीक्षतिपूर्तिकरनी चाहिएः

Ø  उनकीओर से अथवाउनकेकर्मचारियोंऔर निदेशकोंकी ओर से कोईत्रुटि अथवाचूक अथवाउपेक्षा;

Ø  किसीवित्तीय अथवाकपटपूर्णकार्य अथवाचूक केपरिणामस्वरूपधनराशि अथवाअन्य संपत्ति कीहानि जिसकेलिए बीमा दलालकानूनी तौर परउत्तरदायी है;

Ø  दस्तावेजोंकी कोई हानितथा ऐसेदस्तावेजों कोप्रतिस्थापितकरने अथवापुनःस्थापितकरने में कीगई लागतें औरव्यय;

Ø  बीमादलाल केकर्मचारियोंअथवाभूतपूर्व कर्मचारियोंद्वारा कियेगये बेईमानीसे भरे अथवाकपटपूर्णकार्य अथवाचूकें।

 

दलाल केद्वारा ली गईव्यावसायिकक्षतिपूर्तिपालिसी के साथसंबद्धअपवर्जनव्यावसायिकक्षतिपूर्ति(पीआई) केअंतर्गतकवरेज की अवहेलनाकरता है। दलालकाप्रस्तुतीकरणकि उक्त अपवर्जनबीमाकृत केदावों सेसंबंधित हैजिसकाउद्देश्यव्यावसायिकक्षतिपूर्तिके अंतर्गतकवर किया जानानहीं है, स्पष्टरूप से उक्तखंड का गलतअर्थ निकालनाहै तथा इसकारण से उक्तत्रुटि कोछिपाने काप्रयास है जोयह निर्दिष्टकरता है किदलाल ने उक्तव्यावसायिकक्षतिपूर्ति(पीआई) पालिसीजानबूझकर लीहै जिससे उक्तविनियामकअपेक्षा काअनुपालन नहींहोता।

 

उपर्युक्ततरीके से दलालने आईआरडीए(बीमा दलाल)विनियम, 2013 केविनियम 13 कीअनुसूची-III केपैरा 1(घ) काउल्लंघन कियाहै।

 

दलाल काउत्तरःहमनेउपर्युक्तसरोकारों कासावधानीपूर्वकअवलोकन कियाहै तथा हमनिम्नानुसारदोहराते हैं:

1. उक्तव्यावसायिकक्षतिपूर्तिकी व्यवस्था पिछले14 वर्षों से नेशनलइंश्योरेंसकंपनी लि. केसाथ उनकी मानकवाक्यरचना केसाथ की गई है।

2.  हमनेकवरेज केसंबंधित भागका पुनःअवलोकन कियाहै और पालिसीदस्तावेज कीतुलना मेंउसकी जाँच कीहै।

3.  पालिसीके परिचालनखंड कासंबंधित भागनिम्नानुसारउल्लेख करताहैः

क्षतिपूर्तिकेवल…….हानियों सेउत्पन्न होनेवालेदावे के लिएही लागू है….. जोदलाल के कर्मचारियोंद्वारा कियेगये बेईमानीके अथवा कपटपूर्णकार्यों अथवाचूकों……. सेउत्पन्नहोनेवालेव्यावसायिककर्तव्य केभंग के कारण……प्रथमतःबीमाकृत केलिए किया गयाहो।

अपवर्जनोंका संबंधितअंशनिम्नानुसारकहता हैः

कंपनीबीमाकृत कोउनके द्वाराकिये गये किसीभी दावे केसंबंध मेंक्षतिपूर्तिनहीं करेगी

ख)जिसकेसंबंध मेंबीमाकृत…..अथवा बीमाकृतके द्वारा उससमय नियोजितकिसी

व्यक्तिके द्वाराकिये गयेबेईमानी सेभरे, कपटपूर्ण,आपराधिक अथवादुर्भावपूर्ण

कार्यअथवा चूकद्वारा सीधे अंशदानकिया गया हो।

4. क. उक्तकवरेज अंशबीमाकृत केलिए व्यावसायिककर्तव्य केभंग के कारणअन्यपक्षकारों केद्वारा कियेगये दावों कोनिर्दिष्टकरता है जोआईआरडीए कीशर्त कीअपेक्षा केअनुसार है।

ख. उक्तअपवर्जनबीमाकृत(अर्थात्दलाल) के दावोंको निर्दिष्टकरता है,दूसरे शब्दोंमें प्रथमपक्षकार कीहानियों कोनिर्दिष्टकरता है जोव्यावसायिकक्षतिपूर्ति(पीआई) पालिसी मेंशामिल कियेजाने के लिएउद्दिष्ट नहींहैं तथा एकअलगविश्वस्ततागारंटी/वाणिज्यिकअपराध पालिसीकी विषय-वस्तुहैं।

5. इसकेअतिरिक्त हमयह भीप्रस्तुतकरते हैं कि हमनेइस विषय परबीमा कंपनीके

अधिकारियोंके साथविस्तृतविचार-विमर्शकिया है तथाइस पर उनकीराय आपके

तत्कालसंदर्भ के लिएइसके साथसंलग्न है।

6. अन्यअपवर्जन(पालिसी केअनुसार सं. सी)बीमा एजेंटोंके रूप मेंबीमाकृत के

कार्यकलापोंसे संबंधितहै। चूँकिदलाल को एजेंटके रूप मेंकार्य करने कीअनुमति नहींहै, अतःपालिसीअपवर्जन उक्तकवरेज कोप्रभावित नहींकरता।

7. इस संबंधमें हमनेमेसर्सन्यूइंडिया एश्योरेंसकंपनी लि.,मेसर्सओरियन्टलइंश्योरेंस

कंपनी लि.औरमेसर्सयुनाइटेडइंडिया इंश्योरेंसकंपनी लि. कीपालिसीवाक्यरचना का

अवलोकनकिया है तथासभी उक्त 4सरकारीक्षेत्रउपक्रमों(पीएसयू) कीवाक्यरचना

एकसमानहै।

8. इस तथ्य कोध्यान मेंरखते हुए किइसी प्रकार कीबाजारवाक्यरचनाविद्यमान है,हमारे

द्वाराजानबूझकर एकऐसी पालिसीप्राप्त करनेका प्रश्न हीनहीं उठता, जोप्राधिकरण

केविनियमों काउल्लंघन करे।

9.बीमाकर्ता कीधारणा औरप्रस्तुतकिये गये हमारेस्पष्टीकरणको देखते हुएआपसे हमारा

अनुरोध हैकि आपव्यावसायिकक्षतिपूर्ति(पीआई) पालिसीको सहीमानें।

 

वैयक्तिकसुनवाई केदौरानप्रस्तुतीकरणः

दलाल नेव्यावसायिकक्षतिपूर्ति(पीआई) पालिसीको उक्तविनियमों काअनुपालनकर्ताबनानेके लिए एकपृष्ठांकनकरवाने हेतुबीमाकर्ता सेसंपर्क करनेके लिए सहमतिदी।

 

निर्णयः

दलाल केप्रस्तुतीकरणोंपर दलाल के इसआश्वासन सहितध्यान दियागया है कि वेव्यावसायिक क्षतिपूर्ति(पीआई) पालिसीपर एकपृष्ठांकन करवानेके लिएबीमाकर्ता सेसंपर्ककरेंगे जिससेउक्त पालिसीको सभी प्रकारसे उक्तविनियमों कापूर्णताःअनुपालनकर्ताबनाया जा सके।दलाल को सूचितकिया जाता हैकि उक्तपालिसी मेंउपर्युक्तपृष्ठांकनकरवाने के बादव्यावसायिकक्षतिपूर्तिपालिसी की एकप्रति प्रस्तुतकरे।

 

(v) आरोपसं. 5

बीमा दलालसे कहा गया किवह आनसाइटनिरीक्षण प्रारंभकरने से पहले 141नमूना जीवनपालिसियों केसंबंध मेंबीमाउत्पादों कीअपेक्षा(सालिसिटेशन)से संबंधितदस्तावेजोंका पूरा सेट(बीमाकर्ता औरपालिसीधारकके साथ समस्तपत्रादि सहित)प्रस्तुतकरे। इसकेअलावा, बीमादलाल से 567 नमूनागैर-जीवनपालिसियों केलिए इसीप्रकार केदस्तावेजप्रस्तुतकरने के लिएकहा गया।

तथापि,नमूना जीवनपालिसियों केलिए

Ø एकनमूना पालिसीके लिए भी भावतुलना औरअधिदेश(मैंडेट)(नमूनापालिसियों केलिए) एक नमूनाजीवन पालिसीके लिए भीप्रस्तुतनहीं कियागया।

Ø  13मामलों के लिएप्रस्तावफार्म उपलब्धकराया गया तथाएजेंट गोपनीयरिपोर्ट 8 नमूनामामलों के लिएप्रस्तुतकिया गया।

Ø  पालिसीअनुसूची औरलाभ निदर्शन(जिनमें से अधिकांशपर हस्ताक्षरनहीं कियेगये) 58 नमूना मामलोंके लिएप्रस्तुतकिया गया।

Ø आवश्यकताविश्लेषण केसंबंध में कोईप्रलेखीकरणप्राप्त नहींकिया गया।

 

इसकेअलावा, नमूनागैर-जीवनपालिसियों केलिए

Ø 138 नमूनागैर-जीवनपालिसियों केलिए केवल पालिसीप्रमाणपत्रप्रस्तुतकिया गया।

Ø  6नमूनागैर-जीवनपालिसियों केलिए लिखितअधिदेश(मैंडेट)प्रस्तुतकिया गया।

Ø  एकनमूनागैर-जीवनपालिसी के लिएभी भाव तुलना(कोटकंपैरिजन)प्रस्तुतनहीं किया गया।

Ø आवश्यकताविश्लेषण केसंबंध में कोईप्रलेखीकरणप्राप्त नहींकिया गया।

 

आईआरडीएबीमा दलालविनियम, 2013 कीअनुसूचीI केअनुसारप्रत्यक्षदलाल केकार्यों मेंशामिल हैं,ग्राहक केव्यवसाय औरजोखिम प्रबंधदर्शन की विस्तृतसूचनाप्राप्त करना,ग्राहक केव्यवसाय औरजोखिम-अंकनसूचना सेपरिचित होना,बीमारक्षा(कवर) हेतुकीमत-निर्धारणशर्तें तयकरने के लिएजोखिम का आकलनकरने मेंबीमाकर्ता कीअपेक्षानुसारआवश्यकजोखिम-अंकनसूचना उपलब्धकराना, ग्राहककेविचारार्थबीमाकर्तासे प्राप्त भाव(कोटेशन)प्रस्तुतकरना। किसीदस्तावेजी प्रमाणके अभाव मेंयह समझा जाएगाकि दलाल के यहाँअधिदेशप्राप्त करनेऔरआवश्यकताओंका विश्लेषणकरने की प्रथाविद्यमाननहीं है।

 

इसकेअतिरिक्त,आईआरडीए बीमादलाल विनियम, 2013की अनुसूचीVI-एमेंनिर्धारित आचरण-संहितायह निर्धारितकरती है किदलाल यह सुनिश्चितकरेगा किप्रस्तावितपालिसी संभावितग्राहक कीआवश्यकताओँके लिएउपयुक्त है, यहस्पष्ट कियाजाए कि कोईपालिसी अथवापालिसियाँक्योंप्रस्तावितकी गई हैं तथाकीमत, कवरअथवा सेवा केतौर परतुलनाएँउ&##2346;लब्ध कराएगाजहाँउत्पादों काविकल्प कवर कीअवधि बताएगाजिसके लिएकोटेशनविधिमान्यरहेगा यदिप्रस्तावितकवर तत्काललागू नहींकिया जाता।ऊपर बतायेअनुसारअपेक्षित सूचनाप्रस्तुत नकरनानिर्दिष्टकरता है कि दलालने उक्त आचरणसंहिता कापालन उचित रूपसे नहीं कियाहै।

 

उक्तदस्तावेजनहीं रखना(तथा निरीक्षणके लिए उपलब्धनहीं कराना)यह अर्थ देताहै कि दलाल नेउस पर रखे गयेदायित्वों कानिर्वहण नहींकिया है तथानिम्नलिखितका उल्लंघनकिया है—

 

क)  बीमाविनियामक औरविकासप्राधिकरण(बीमा दलाल)विनियम, 2013 केविनियम 4 कीअनुसूचीI कापैरा 1.

ख)   बीमाविनियामक औरविकासप्राधिकरण(बीमा दलाल)विनियम, 2013 कीअनुसूचीVI-एका पैरा 3.

ग)   बीमाविनियामक औरविकासप्राधिकरण(बीमा दलाल)विनियम, 2013 कीअनुसूचीVI-एका पैरा 2(i)

 

दलालका उत्तरः

हमयह प्रस्तुतकरना चाहतेहैं कि पूर्वमें हमारे पासएक विकेन्द्रीकृतअभिलेखअनुरक्षणप्रणाली थी, जहाँवैयक्तिकसंबंधप्रबंधक उनकेद्वारा सर्विसकी गईपालिसियों सेसंबंधितभौतिक दस्तावेजरख रहे थे। अबहमारे पाससुधारित आईटीऔरप्रलेखीकरणभंडारणप्रणालियाँहैं, जिनके द्वाराअधिदेश(मैंडेट),क्यूसीआर आदिजैसे सभी संबंधितदस्तावेजोंकी स्कैन कीगई प्रतियाँकेन्द्रीकृतस्थान पर रखीजाती हैंजिससे आसानीसे उन्हेंनिकाला जा सकेऔर उनकासत्यापन कियाजा सके।

 

निर्णयः

दलालको यह अवश्यध्यान रखनाचाहिए कि उनकेकार्य कोनियंत्रितकरनेवालेकानून के अंतर्गतविभिन्नउत्तरदायित्वऔरजिम्मेदारियाँपूरी करने केलिए तथा सुचारुरूप से उनकेव्यवसाय कासंचालन करनेके लिए यहअपरिहार्य हैकि वे उक्तविनियमों में अधिदेशात्मककियेगये अभिलेखउचित रूप सेरखें। केवलयही नहीं,बल्कि दलालप्राधिकरणद्वारा माँगागया कोई भीअभिलेख अथवादस्तावेजप्राधिकरण कोउपलब्ध करानेके दायित्व केअधीन है। ऐसान करने परआईआरडीए (बीमादलाल) विनियम, 2013के विनियम 41(1)(ख)के अंतर्गतकार्रवाई कीजा सकती है।इसके अलावा,इस मामले मेंनिरीक्षण कीप्रक्रिया केदौरान माँगेगये दस्तावेजदलाल केद्वाराप्रस्तुत न कियेजाने के कारणनिरीक्षण टीमविभिन्नविनियामकउपबंधोंके संबंध मेंदलाल केअनुपालन केबारे में नहींजान सकी। इसकेअतिरिक्त,दलाल केद्वाराअपनाये दृष्टिकोणने प्राधिकरणकी निरीक्षणटीम को दलाल केद्वाराअनुसरण की जारही वास्तविकप्रथा की जाँचकरने सेप्रतिबंधितकिया। दलाल कोइस प्रकार कादृष्टिकोण दर्शानेके लिएचेतावनी दीजाती है।तथापि, इस बातकी ओर ध्यानदिया गया हैकि उन्होंनेआईटी औरदस्तावेजभंडारणप्रणालियोंका सुधार कियाहै तथा इन्हेंआसानी सेनिकालने औरसत्यापन करनेके लिए एककेन्द्रीकृतस्थान पर रखाहै। दलाल कोनिर्देश दियाजाता है कि अबसे निरीक्षणटीम कोदस्तावेज औरअभिलेख जब भीमाँगे जातेहैं तब वेउपलब्ध कराएतथा संपूर्णसहयोग प्रदानकरे।

 

(vi)    आरोप सं. 6

दलालद्वाराअनुसरण की गईविक्रय कीप्रथाओँ कीदृष्टि सेनमूनापालिसियों कीजाँच ने निम्नलिखितबातें प्रकटकी हैं:

 

क)  दलाल काविवरण जैसेएजेंसी कूट,लाइसेंस संख्या,नाम, शाखा कूटका उल्लेखप्रस्तावफार्म मेंनहीं किया गयाहै।

ख)   एकपालिसी केप्रस्तावफार्म मेंअर्हता-प्राप्तव्यक्ति कानाम प्रीमियमरजिस्टर के अनुसारअर्हता-प्राप्तव्यक्ति कीतुलना में भिन्नहै।

ग)    कुछपालिसियों केसंबंध मेंप्रस्तावफार्म परपालिसीधारकद्वाराहस्ताक्षरनहीं किये गयेहैं।

घ)   प्रस्तावफार्म केअनुसारव्यवसाय कीअपेक्षाकरनेवालाव्यक्ति बीमादलाल द्वाराप्रस्तुत रूपमेंअर्हता-प्राप्तव्यक्तियोंकी सूची मेंनहीं है।

 

आईआरडीए(बीमा दलाल)विनियम, 2013अधिदेशात्मकबनाते हैं किप्रत्येकबीमा दलाल यहसुनिश्चितकरेगा कि उनकेआंतरिकनियंत्रण औरप्रणालियाँव्यवसाय केआकार, स्वरूपऔर जटिलता केलिए पर्याप्तहैं। दलाल नेवर्ष 2016-17 के लिए 27.63करोड़ रुपयेकी दलालीअर्जित की हैतथा हाल हीमें संमिश्रदलाल के रूपमें लाइसेंसप्राप्त कियाहै, तथापि

वह पद्धतिजिसमें दलालकार्य कर रहाहै जो कि ऊपरविस्तार सेबताये अनुसारअभिलेखों केअभाव सेस्पष्ट है,दर्शाती है किदलाल के आंतरिकनियंत्रणपर्याप्तनहीं हैं।

 

उपर्युक्तपद्धति सेदलाल नेआईआरडीए (बीमादलाल) विनियम, 2013के विनियम 31(1) औरविनियम 8(2)(xiv) काउल्लंघन कियाहै।

 

दलाल काउत्तरः

भौतिकदस्तावेजोंकी भंडारणप्रणाली काविकेन्द्रीकरणकिया गया था। तथापि,निरीक्षण केसमय के दौरानहम संपूर्णप्रणालियोंका सुधार करनेकी प्रक्रियामें थे। हमारेपास अब सुधारीगई आईटीप्रणालियाँ विद्यमानहैं जिनमेंकेन्द्रीकृतस्कैन कियेगयेदस्तावेजोंका भंडारणशामिल है।हमने निरीक्षणके दौरान बताईगई कमियों केविरल मामलोंको दूर करनेके लिएमेकर-चेकरप्रणाली प्रारंभकी है।

 

आपकेअवलोकन के लिएहमारी प्रणालीकेस्क्रीनशाटसंलग्न हैं,जो प्रलेखीकरणभंडारण के लिएप्रारंभ की गईनई आईटी प्रणालीको उजागर करतेहैं।

अतः हमारानिवेदन है किचूँकिदस्तावेज अंशतःउपलब्ध करायेजा सके हैं,अतः कुछदस्तावेजोंकी अनुपलब्धताको बीमाविनियमन केउपबंधों केउल्लंघन केरूप में नमाना जाए।

 

निर्णयः

उक्त आरोपनिरीक्षणद्वारा परीक्षणकी गई नमूनापालिसिय़ोंमें उनके द्वारादेखी गईकमियों केकारण दलाल केपास उपलब्धआंतरिकनियंत्रणोंके अभाव केबारे में व्यक्तकरता है।परंतु दलाल काउत्तरदस्तावेज प्रस्तुतन करने के लिएकारणों के बारेमें अधिकबताता है।निरीक्षण टीमद्वारा बताईगई कमियाँ,अपूर्णताएँऔर त्रुटियाँआगे चलकर पालिसीधारकके लिए हानिकरसिद्ध हो सकतीहैं। इस पर भी,निरीक्षण केद्वारा बताईगई कमियाँ दूरकरने के लिएठोस उपाय करनेके बदले दलालने एक क्षणिक(पासिंग)टिप्पणी की हैकि उन्होंनेकमियों को दूरकरने के लिए एकमेकर-चेकरप्रणालीप्रारंभ कीहै। दलाल को ऐसीप्रवृत्ति केलिए चेतावनीदी जाती हैतथा निर्देशदिया जाता हैकि यह देखनेके लिए वह जिम्मेदारीऔर सावधानी केसाथ कार्य करेकि प्रस्तावफार्म जैसेसभीदस्तावेजोंमें ग्राहक सेसंबंधित सभीविवरण शामिलकियेजाएँ;साथही, दलाल को यहअवश्यसुनिश्चितकरना चाहिए किजहाँ भीआवश्यक हैवहाँ फार्मोंमें सभी संबंधितोंके द्वाराहस्ताक्षरकियेजाएँ। इसकेअतिरिक्त,दलाल को यहअवश्य देखनाचाहिए किनिरीक्षण टीमद्वारा बताईगई कमियों, अपूर्णताओँऔर त्रुटियोंकीपुनरावृत्तिन हो।

 

III. निर्णयोंका सारांशः

 

आरोप सं.

उल्लंघन किये गये उपबंध के उल्लंघन का संक्षिप्त विवरण

प्राधिकरण का निर्णय

1

दलाल द्वारा दावा परामर्श कार्य

दलाल विनियम, 2013 का विनियम 32(1)(क) और विनियम 32(1)(ग)

विनियम 28 के अंतर्गत अनुसूचीVI-ए का खंड 7

2 लाख रुपये का अर्थदंड, चेतावनी और निर्देश

2

अपनी समूह संस्था से बारंबार ऋण प्राप्त करना

प्राधिकरण का आदेश सं. एआईआरडीए/आईएण्डसी/आईआरडीए/ओएनएस/275/12/2014 दिनांक 16-12- 14

परामर्श

3

परामर्शदाता की नियुक्ति

दलाल विनियम, 2013 के विनियम 28 के अंतर्गत अनुसूचीVI-ए का खंड 3(ख)

1 लाख रुपये का अर्थदंड और निर्देश

4

व्यावसायिक क्षतिपूर्ति पालिसी द्वारा विनियामक शर्तों का अनुपालन न करना

दलाल विनियम, 2013 के विनियम 13 के अंतर्गत अनुसूचीIII का खंड 1(घ)

परामर्श

5

अभिलेख न रखना

दलाल विनियम 2013 के

विनियम 4 के अंतर्गत अनुसूचीI का खंड 1

विनियम 28 के अंतर्गत अनुसूचीVI-ए का खंड 3

विनियम 28 के अंतर्गत अनुसूचीVI-ए का खंड 2(i)

चेतावनी

6

आंतरिक नियंत्रण का अभाव

दलाल विनियम, 2013 का विनियम 31(1) और विनियम 8(2)(xiv)

चेतावनी और निर्देश

 

 

iv. निष्कर्षः जैसा किसंबंधितआरोपों केअंतर्गतनिर्देश दियागया है, रु. 3,00,000/-(केवलतीन लाखरुपये) काअर्थदंड उक्तबीमा दलाल केद्वारा इसआदेश कीप्राप्ति कीतारीख से 15 दिनकी अवधि केअंदर एनईएफटी/आरटीजीएस(जिसका विवरणअलग से सूचितकिया जाएगा)विप्रेषितकिया जाएगा।विप्रेषण कीसूचना श्रीप्रभात कुमारमैती,महाप्रबंधक(प्रवर्तन) कोभारतीय बीमाविनियामक औरविकासप्राधिकरण,सर्वे सं. 115/1, फाइनैंशियलडिस्ट्रिक्ट,नानकरामगूडा,गच्चीबौली,हैदराबाद-500032 केपते पर भेजीजाए।

 

दलाल इसआदेश के पैरा 1और 2 में उल्लिखितसभीनिर्देशों केसंबंध मेंअनुपालन की पुष्टिइस आदेश कीप्राप्ति कीतारीख से 21 दिन केअंदर करेगा।यह आदेश दलालकीलेखा-परीक्षा समितिके समक्ष रखाजाएगा और साथही, बोर्ड की अगलीतत्काल बैठकमें भीप्रस्तुतकिया जाएगातथ#2366; बीमा दलालउक्तविचार-विमर्शकेकार्यवृत्तकी एक प्रतिप्राधिकरण कोप्रस्तुतकरेगा।

 

 

 

यदि बीमादलाल इस आदेशमें निहितकिसी भी निर्णयसे असंतुष्टमहसूस करताहै, तो बीमाअधिनियम, 1938 कीधारा 110 केअनुसार एकअपीलप्रतिभूतिअपीलीयन्यायाधिकरण(एसआईटी) कोप्रस्तुत कीजा सकती है।

 

(सुजयबनर्जी)

सदस्य(वितरण)

स्थानःहैदराबाद

दिनांकः29अप्रैल 2019

  • Download


  • file icon

    Final order in the matter of M_s Anand Rathi Insurance Brokers Ltd.pdf

    ५.१ MB