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Title: Order
Reference No.: आईआरडीए/एफएफएण्डए/ओआरडी/विविध/185/11/2018 
Date: 14/11/2018
मेसर्स एक्साइड लाइफ इंश्योरेंस कंपनी लि. के मामले में आदेश

आदेश

संदर्भ सं.:आईआरडीए/एफएफएण्डए/ओआरडी/विविध/185/11/2018        दिनांकः 14.11.2018

मेसर्स एक्साइड लाइफ इंश्योरेंस कंपनी लि. के मामले में आदेश

निम्नलिखित के आधार पर

  1. वित्तीय वर्ष 2012-13 के दौरान कारपोरेट एजेंट आईएनजी वैश्य बैंक को बुनियादी सुविधाओं के लिए किये गये भुगतान के संबंध में मेसर्स एक्साइड लाइफ इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड, पूर्व की आईएनजी वैश्य लाइफ इंश्योरेंस कंपनी लि. (इसमें इसके बाद बीमाकर्ता के रूप में उल्लिखित) को संदर्भः 464.1/ एफएण्डए/ 12/ आरडीएल/ 2012-13/29/अप्रैल 2014 के द्वारा जारी किया गया कारण बताओ नोटिस (इसमें इसके बाद एससीएन के रूप में उल्लिखित) दिनांक 28 अप्रैल 2014 ।
  2. बीमाकर्ता का पत्र ईएसएल/आरईजीएल/47/2013-14 दिनांक 2 जून 2014 ।
  3. वैयक्तिक सुनवाई के दौरान बीमाकर्ता के प्रस्तुतीकरण दिनांक 2 मार्च 2015
  4. 30 अगस्त 2018 को पुनः आयोजित वैयक्तिक सुनवाई के दौरान बीमाकर्ता के प्रस्तुतीकरण

पृष्ठभूमिः 

  1. बीमाकर्ता ने दिनांक 2 मार्च 2012 के परिपत्र सं. आईआरडीए/एफएण्डए/सीआईआर/डेटा/ 066/03/2012 के अनुसार वित्तीय वर्ष 2012-13 के लिए अपनी विवरणियाँ पत्र आईवीएल/ईजीएल/032/2013-14 दिनांक 20 मई 2013 के साथ फाइल की थीं। विवरणी का अवलोकन करने के बाद यह पाया गया कि बीमाकर्ता ने कारपोरेट एजेंट आईएनजी वैश्य बैंक (अब कोटक महिन्द्रा बैंक लि. के साथ विलयित) (इसमें इसके बाद आईवीबी के रूप में उल्लिखित) को बुनियादी सुविधा प्रभारों के लिए (एसटी सहित) ए. 28.96 करोड़ (एसटी सहित) अदा किये थे।
  2. परिपत्र 017/आईआरडीए/परिपत्र/सीए दिशानिर्देश/2005 दिनांक 14 जुलाई 2005 के खंड 21 के उल्लंघनों के संबंध में आईआरडीएआई ने उक्त बीमाकर्ता से पत्र 464.1/1/ एफएण्डए/12/आरडीएल/2012-12/110/2013-14 दिनांक 7 अगस्त 2013 द्वारा स्पष्टीकरण माँगा।

  1. बीमाकर्ता ने अपने पत्र आईवीएल/आरईजीएल/80/2013-14 दिनांक 23 अगस्त 2013 और आईवीएल/आरईजीएल/85/2013-14 दिनांक 13 सितंबर 2013 द्वारा अपना प्रत्युत्तर निम्नानुसार प्रस्तुत कियाः
  • आईवीबी को उक्त भुगतान उल्लेखनीय रूप में ब्रांड दर्शनीयता और जागरूकता में सुधार लाने के साथ-साथ अपने प्रशिक्षण, उत्पाद रोल आउट और विपणन अभियानों को प्रभावी रूप में निष्पादित करने हेतु बुनियादी संरचना के उपयोग को इष्टतम बनाने के लिए आईवीबी के साथ किये गये एक नये करार के कारण था।
  • उक्त नया करार प्रशिक्षण/ उत्पादों का प्रारंभ संचालित करने के लिए और तदर्थ आधार पर बीमाकर्ता के विज्ञापन और सामग्रियों का प्रदर्शन करने के लिए प्रोजेक्टर, प्रिंटर, टेलीफोन, बैठक कक्ष आदि जैसी आईवीबी शाखा की बुनियादी सुविधाओँ के उपयोग पर आधारित था।  प्रत्येक सेवा के लिए कोई विशिष्ट विभाजन नहीं है तथा प्रत्येक महीने में आईवीबी की 590+ शाखाओं में से लगभग 400 शाखाओं की सुविधाओं के उपयोग के आधार पर 2.168 करोड़ भारतीय रुपयों की नियत राशि सेवा कर सहित, के लिए सहमति व्यक्त की गई और आईवीबी को भुगतान किया गया।   
  • उपर्युक्त बुनियादी सुविधाओँ से संबंधित करार के अंतर्गत आईवीबी को किया गया भुगतान एक स्वतंत्र करार था औऱ बीमा व्यवसाय से इसका कोई संबंध नहीं था।
  • किये गये भुगतान बीमा व्यवसाय/प्राप्त प्रीमियम के साथ संबद्ध नहीं थे तथा इस कारण से इनको कारपोरेट एजेंट संबंधी दिशानिर्देशों के खंड 21 के दायरे से बाहर  माना जा सकता है।

  1. आईआरडीएआई का दिनांक 14 जुलाई 2005 का उपर्युक्त परिपत्र एजेंसी कमीशन के अलावा कारपोरेट एजेंटों के साथ केवल सह-ब्रांड युक्त विक्रय साहित्य के व्ययों की ही साझेदारी करने की अनुमति देता है तथा इस प्रकार का व्यय उचित होना चाहिए और किसी भी रूप में विक्रय अथवा कारपोरेट एजेंट द्वारा अर्जित प्रीमियम में सफलता के साथ इसे संबद्ध नहीं किया जाना चाहिए।  अतः आईआरडीएआई द्वारा यह महसूस किया गया कि आईवीबी को किया गया भुगतान ऊपर उद्धृत परिपत्र के खंड 21 के अंतर्गत निर्धारित भुगतानों के अंदर नहीं आता तथा इस कारण से यह बीमा अधिनियम, 1938 के उपबंधों के अंतर्गत प्राधिकरण द्वारा जारी किये गये निदेशों का अनुपालन नहीं करने के समान है।  इसके परिणामस्वरूप, आईआरडीएआई द्वारा इस संबंध में बीमाकर्ता को दिनांक 28 अप्रैल 2014 के पत्र के अनुसार एक एससीएन जारी किया गया।

आरोपः

  1. बीमाकर्ता ने दिनांक 14 जुलाई 2005 के आईआरडीएआई परिपत्र 017/आईआरडीए/ परिपत्र/सीए दिशानिर्देश/2005 के खंड 21 का उल्लंघन करते हुए आईवीबी को बुनियादी सुविधा प्रभारों के लिए ए 28.96 करोड़ (एसटी सहित) का भुगतान किया है।

आरोप का उत्तरः

  1. एक्साइड लाइफ ने दिनांक 2 जून 2014 के अपने पत्र के द्वारा अपने प्रस्तुतीकरणों को दोहराया और इसके अतिरिक्त यह निर्दिष्ट किया है कि बुनियादी सुविधा करार के अंतर्गत आईवीबी को किया गया भुगतान एक नियत भुगतान के आधार पर किया गया एक स्वतंत्र करार है तथा यह जीवन बीमा व्यवसाय की मात्रा के साथ संबद्ध नहीं है। साथ ही, उन्होंने इसके अलावा निर्दिष्ट किया है कि विभिन्न स्थानों पर तदर्थ/अस्थायी आधार पर ऐसी सुविधाओं की व्यवस्था करने के लिए यह किफायती है।  उऩ्होंने यह भी सूचित किया है कि इस प्रकार के प्रयोजनों के लिए आईवीबी के साथ तालमेल व्यवस्था एक स्वतंत्र संव्यवहार की संविदा है जिसका कारपोरेट एजेंसी करार के अंतर्गत दायित्वों के साथ किसी भी प्रकार का सह-संबंध नहीं है। उन्होंने एक वैयक्तिक सुनवाई के लिए भी अनुरोध किया।

वैयक्तिक सुनवाईः

  1. श्री आर. के. नायर, तत्कालीन सदस्य (एफएण्डआई) के द्वारा 2 मार्च 2015 को एक वैयक्तिक सुनवाई का अवसर दिया गया। तथापि, चूँकि श्री नायर द्वारा अपना पदत्याग करने से पहले कोई आदेश पारित नहीं किया गया, अतः अधोहस्ताक्षरकर्ता के द्वारा बीमाकर्ता को आईआरडीएआई, हैदराबाद में 30 अगस्त 2018 को पुनः वैयक्तिक सुनवाई का एक और अवसर दिया गया। श्री क्षितिज जैन, सीईओ और एमडी, श्री अनिल कुमार सी., सीएफओ औऱ श्रीमती अर्पिता सेन, बीमाकर्ता की सीसीओ उपस्थित थे। प्राधिकरण की ओर से श्री ए. रमणा राव, महाप्रबंधक (एफएण्डए-जीवन), श्री जी. आर. सूर्यकुमार, महाप्रबंधक (अध्यक्ष के ईएम), और श्रीमती बी. पद्मजा, उप महाप्रबंधक (एफएण्डए-जीवन) भी उपस्थित थे।

  1. सुनवाई के दौरान बीमाकर्ता ने अपने प्रस्तुतीकरणों को दोहराया तथा सूचित किया किः
  • ……. उक्त भुगतान लगभग 400 शाखाओं के लिए लगभग ए50,000/- प्रति बैंक शाखा प्रति माह की नियत लागत पर अखिल भारतीय आधार पर बैंक की बुनियादी सुविधाओं के उपयोग के लिए था। यह एक्साइड लाइफ के कर्मचारियों द्वारा बैंक की बुनियादी सुविधाओं के उपयोग के लिए भुगतान है।
  • …….. आईवीबी की 400+ शाखाओं में बीमाकर्ता के औसतन लगभग एक या दो अधिकारी उपस्थित थे। आईवीबी बैंक शाखाओं की वर्तमान बुनियादी संरचना का उपयोग किया गया। यह व्यवस्था इस प्रकार की बुनियादी सुविधाओं के उपयोग के लिए सारे भारत में बहुविध वैयक्तिक करार करने की तुलना में वाणिज्यिक तौर पर कम खर्चीली के रूप में देखी गई।
  • ……… बीमाकर्ता ने 33 बैंकों (सहकारी बैंकों) के साथ कारपोरेट एजेंसी व्यवस्थाएँ की हैं, परंतु उनमें से किसी भी बैंक के साथ बुनियादी सुविधाओं की साझेदारी करने के लिए उनकी कोई व्यवस्था नहीं है क्योंकि उपयोग के लिए उनमें से किसी भी बैंक के पास भारत भर की बुनियादी सुविधाएँ उपलब्ध नहीं हैं।
  • ………. वर्ष 2014 के बाद आईवीबी (अब कोटक महिन्द्रा बैंक लि.) को ऐसा कोई भुगतान नहीं किया गया है क्योंकि बीमाकर्ता के साथ उक्त बैंक अब कारपोरेट एजेंट नहीं रहा है।   

प्रत्युत्तर पर विचारः

  1. यह देखा गया है कि आईआरडीएआई ने इसी प्रकार के उल्लंघन अर्थात् बीमाकर्ता की ब्रांड छवि का निर्माण करने के प्राथमिक उद्देश्य से विज्ञापनों के लिए तथा बैंक के विभिन्न स्थानों पर विक्रय कियोस्क स्थापित करने और रोड शो और ग्राहक जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करने के लिए वित्तीय वर्ष 2009-10 और 2010-11 में आईवीबी को अनुमत एजेंसी कमीशन को छोड़कर अऩ्य प्रकार के भुगतान हेतु आदेश दिनांक 30.07.2012 के द्वारा दंड लागू किया।
  2. कारपोरेट एजेंसी दिशानिर्देशों के खंड 21 के अनुसार, बीमाकर्ता सह-ब्रांडिंग विक्रय साहित्य हेतु उचित व्ययों के लिए कारपोरेट एजेंट को अनुमत एजेंसी कमीशन को छोड़कर कोई अन्य राशि अदा नहीं करेगा चाहे प्रशासन प्रभार के रूप में हो अथवा व्ययों की प्रतिपूर्ति या लाभ कमीशन या किसी अन्य प्रकार सेयह प्रमाणित हो गया है कि बीमाकर्ता ने आईवीबी को बुनियादी सुविधाओं हेतु 28.96 करोड़ रुपये अदा किये, जो बीमाकर्ता का कारपोरेट एजेंट और उसका शेयरधारक था, जैसा कि ऊपर पैरा 3(ख) के अंतर्गत प्रस्तुत किया गया है। यह राशि देय पात्र कमीशन से अघिक थी।
  3.  बीमाकर्ता ने वित्तीय वर्ष 2012-13 में अपने कारपोरेट एजेंट को एक नियत राशि का भुगतान एक अलग शीर्ष अर्थात् तदर्थ आधार पर आईवीबी शाखाओं के बुनियादी सुविधाओं के उपयोग के अंतर्गत करना जारी रखा, जो कि कारपोरेट एजेंसी दिशानिर्देशों के खंड 21 का उल्लंघन है।    

 

निर्णयः

  1.  वित्तीय वर्ष 2012-13 के दौरान अपने कारपोरेट एजेंट को बुनियादी सुविधा प्रभारों हेतु बीमाकर्ता द्वारा किये गये ए 28.96 करोड़ रुपये के भुगतान कारपोरेट एजेंसी दिशानिर्देशों के खंड 21 के उपर्युक्त उपबंधों का उल्लंघन करते हुए किये गये हैं। अतः वित्तीय वर्ष 2012-13 में बीमा अधिनियम, 1938 की धारा 40ए के साथ पठित कारपोरेट एजेसी दिशानिर्देशों के खंड 21 के उपबंधों का उल्लंघन करने के लिए बीमा अधिनियम, 1938 की धारा 102 को लागू करते हुए बीमाकर्ता पर ए 2 लाख रुपये (रुपये दो लाख) का अर्थदंड लगाया जा रहा है।  
  2.  इसके अलावा, इस आदेश को एक्साइड लाइफ के बोर्ड की लेखा-परीक्षा समिति के समक्ष प्रस्तुत किया जाए और साथ ही, बीमाकर्ता की बोर्ड बैठक में रखा जाए, ताकि बोर्ड उक्त उल्लंघन को ध्यान में रख सके और भविष्य में ऐसे उल्लंघनो से बचने के लिए निवारक कदम उठा सके। प्राधिकरण को उन बैठकों के कार्यवृत्तों की प्रतियाँ उपलब्ध कराई जाएँ।
  3.  ए 2 लाख (दो लाख रुपये) की उक्त अर्थदंड की राशि बीमाकर्ता द्वारा इस आदेश के निर्गम की तारीख से 21 दिन की अवधि के अंदर शेयरधारकों के खाते में नामे डालकर एनईएफटी/आरटीजीएस के माध्यम से (जिसके लिए विवरण अलग से सूचित किया जाएगा) विप्रेषित की जाएगी। विप्रेषण की सूचना श्री ए. रमणा राव, महाप्रबंधक (एफएण्डए-जीवन) को भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण, सर्वे सं. 115/1, फाइनैंशियल डिस्ट्रिक्ट, नानकरामगूडा, हैदराहबाद-500032, ई-मेल आईडी finance.life@irda.gov.in के पते पर भेजी जाए।
  4.  यदि बीमाकर्ता इस आदेश में निहित किसी भी निर्णय से असंतुष्ट है तो बीमा अधिनियम, 1938 की धारा 110 के अनुसार प्रतिभूति अपीलीय न्यायाधिकरण (एसएटी) को एक अपील प्रस्तुत की जा सकती है।

स्थानः हैदराबाद

दिनांकः 14 नवंबर 2018

अध्यक्ष   

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