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Title: अंतिम आदेश
Reference No.: आईआरडीए/ईएनएफ/ओआरडी/ओएनएस/156/09/2018
Date: 19/09/2018
मेसर्स इयोन ग्लोबल इंश्योरेंस ब्रोकर्स लिमिटेड (अब मेसर्स ग्लोबल इंश्योरेंस

(दिनांक10 जनवरी 2018 के`कारण बताओनोटिस~ केलिए उनके उत्तरएवं भारतीय बीमाविनियामक और विकासप्राधिकरण के कार्यालय,फाइनैंशियलडिस्ट्रिक्ट,नानकरामगूडा,हैदराबादमें अध्यक्ष,आईआरडीएआईद्वारा 12 जून2018 को अपराह्न03.30 बजे ली गई वैयक्तिकसुनवाई के दौरानकिये गये प्रस्तुतीकरणोंतथा प्राधिकरणके दिनांक16 अगस्त 2018 केपत्र के प्रत्युत्तरमें आईआरडीए(बीमा दलाल)विनियम,2002 का संदर्भ लेतेहुए यह आदेश(आरोप सं.1 के संबंध में)पारितकरने के लिए दिनांक6 सितंबर2018 के उनके पत्रके अनुसार उनकेद्वारा प्रस्तुतकी गई सहमति केआधार पर)

 

पृष्ठभूमिः

1.  मेसर्सइयोन ग्लोबल इंश्योरेंसब्रोकर्स लि.(अब जिनका नामग्लोबल इंश्योरेंसब्रोकर्स लि.है)कोप्राधिकरण के द्वाराउसके मूल लाइसेंससं. सीबी052/02 के द्वाराएक सम्मिश्र बीमादलाल के कार्यकरने के लिए03 मार्च 2002 कोलाइसेंस प्रदानकिया गया जिसकानवीकरण 2 मार्च2021 तक निरंतर रूपमें किया गया।उक्त दलाल लाइसेंस/पंजीकरणकी शर्तों के अधीनहै तथा उससे अपेक्षितहै कि वह बीमा अधिनियम,1938, बीमा विनियामकऔर विकास प्राधिकरणअधिनियम, 1999 तथाप्राधिकरण द्वाराउनके अधीन जारीकिये गये अन्यविनियमों,परिपत्रोंऔर दिशानिर्देशोंका पालन करे।

2.  बीमाविनियामक और विकासप्राधिकरण(इसमें इसकेबाद "प्राधिकरण"केरूप में उल्लिखित)केअधिकारियों द्वारा26/10/2015 से28/10/2015 तक की अवधिके दौरान मेसर्सग्लोबल इंश्योरेंसब्रोकर्स लि.(इसमें इसकेबाद "बीमादलाल" अथवा"कंपनी" अथवा"एजीआईबी"केरूप में उल्लिखित)कास्थान पर (ऑनसाइट)निरीक्षणसंचालित किया गया।इस निरीक्षण केनिष्कर्ष बीमादलाल को उनकी टिप्पणियोंके लिए 04/01/2016 कोसूचित किये गये।उक्त बीमा दलालने अपना उत्तरप्राधिकरण को दिनांक21/01/2016 के अपने पत्रके द्वारा प्रस्तुतकिया। निरीक्षणके निष्कर्षोंके लिए प्रतिक्रियाऔर समर्थक दस्तावेजोंपर विचार करनेके बाद प्राधिकरणने बीमा दलाल केद्वारा किये गयेविनियामक अपेक्षाओंके कुछ उल्लंघनोंको पाया तथा बीमादलाल को यह कारणबताने के लिए किउचित कार्रवाईक्यों नहीं प्रारंभकी जानी चाहिए,10/01/2018 को एक नोटिसजारी किया। बीमादलाल ने दिनांक09/02/2018 के पत्र केद्वारा प्राधिकरणको अपना उत्तरप्रस्तुत किया।कारण बताओ नोटिसके लिए अपने उत्तरमें बीमा दलालने एक वैयक्तिकसुनवाई के लिएअनुरोध किया।

3.  बीमादलाल को आईआरडीएआईके कार्यालय में12/06/2018 को वैयक्तिकसुनवाई का अवसरप्रदान किया गया।बीमा दलाल की ओरसे उक्त वैयक्तिकसुनवाई में श्रीप्रबोध ठक्कर,अध्यक्ष;सुश्रीरश्मि अय्यर,प्रधानअधिकारी; श्रीअनंत पवार,मुख्यदलाली अधिकारी;श्रीसुनील पाल,वित्तनिदेशक और श्रीप्रणव कापडिया,कार्यकारी,वित्तउपस्थित थे। प्राधिकरणकी ओर से डॉ.सुभाषचन्द्र खुंटिआ,अध्यक्ष,श्रीरणदीप सिंह जगपाल,मुख्यमहाप्रबंधक,मध्यवर्ती;श्रीपी. के.मैती,महाप्रबंधक,प्रवर्तन;श्रीजी. आर.सूर्यकुमार, महाप्रबंधक,अध्यक्षमहोदय के कार्यकारीसहायक और श्रीविकास जैन,सहायकमहाप्रबंधक उक्तसुनवाई में उपस्थितरहे।

 

आरोप,उनके प्रत्युत्तरमें प्रस्तुतीकरणऔर निर्णयः

4.  आरोप1: निरीक्षणरिपोर्ट के साथसंलग्न भुगतानवाउचरों से यहस्पष्ट है कि उक्तभारतीय लाइसेंसप्राप्तदलाल (एजीआईबी)नेइयोन समूह के अन्यविदेशी दलाल केसाथ दलाली के25% से 50% तकसाझेदारी की। उनविदेशी दलालोंके पास एजीआईबीके लिए कोई बुनियादीसंरचना का आधारनहीं था। इसकेअलावा, बीमादलाल ने यह प्रस्तुतीकरणकिया कि प्रत्येकदेश में बहुराष्ट्रीयग्राहक एक बहुराष्ट्रीयदलाल को नियुक्तकरते हैं जिसकीउपस्थिति सभी संबंधितदेशों में हो जिससेएक सुसंगत तरीकेसे उसकी वैश्विकअथवा क्षेत्रीयदलाली की अपेक्षापूरी की जा सके।बहुराष्ट्रीयदलाल को किये गयेभुगतान के साथइसे संबद्ध करनेसे यह स्पष्ट हैकि एजीआईबी नेउन विदेशी दलालोंकी सेवा व्यवसायलाने के लिए अनुयाचककी क्षमता मेंली है जिससे आईआरडीए(बीमा दलाल)विनियम,2002 के विनियम21 के अंतर्गतअनुसूची III केपैरा 3()काउल्लंघन होता है।

 

दलालका प्रस्तुतीकरणःदलाल ने प्रस्तुतीकरणकिया कि इयोन केसाथ संयुक्त उद्यमकी अवधि के दौरानएजीआईबी इयोन केभारतीय भागीदारके रूप में उसकेअंतरराष्ट्रीयव्यवसाय का अंगथा तथा बहुराष्ट्रीयनिगमों के बीचप्रवृत्ति सुसंगतरूप में वैश्विकअथवा क्षेत्रीयआधार पर बहुराष्ट्रीयदलालों से अपनीदलाली की आवश्यकताएँपूरी करने की रहीहै तथा इस प्रकार,प्रत्येकदेश में वैयक्तिकदलालों की नियुक्तिकरने के बजाय,बहुराष्ट्रीयग्राहक एक बहुराष्ट्रीयदलाल की नियुक्तिकरते हैं जिसकीउपस्थिति सभी संबंधितदेशों में हो,जिससेएक सुसंगत रूपमें उसकी वैश्विकअथवा क्षेत्रीयदलाली की अपेक्षापूरी की जा सके। इयोनके अंतरराष्ट्रीयव्यवसाय के एकसदस्य के रूप मेंएजीआईबी ने इयोनद्वारा बहुराष्ट्रीयसेवा प्रदान करनेके भाग के रूप मेंभारत में दलालीकी सेवाएँ उपलब्धकराई हैं। उसनेआगे प्रस्तुतीकरणकिया कि अनुसंधान,तकनीकीविश्लेषण,विशेषज्ञता,प्रौद्योगिकी,मानवसंसाधान, सर्वोत्तमप्रथाओं और बहुराष्ट्रीयबीमाकर्ताओं केसाथ वैश्विक संबंधवहन करने के लिएग्राहकों को ऐसेप्रस्ताव करनेकी दिशा में अंतरराष्ट्रीयतौर पर इयोन द्वाराभारी अंशदान कियेजा रहे हैं। तथापि,इसस्थिति के होतेहुए दलाली सेवाएँप्रत्येक अधिकार-क्षेत्रमें केवल संबंधितलाइसेंस-प्राप्तसंस्था के द्वाराही उपलब्ध कराईजाती हैं। इस प्रकारकी सेवाएँ उपलब्धकराने में,ऐसीवैश्विक आवश्यकताएँपूरी करने के लिएवैश्विक मानकोंऔर गतिविधियोंके अनुरूप अंतरराष्ट्रीयतौर पर ऐसे ग्राहकोंकी सर्विसिंग,प्रतिधारण,परामर्शऔर प्रबंध मेंइयोन के अंतरराष्ट्रीयव्यवसाय द्वाराप्रयुक्त संसाधनोंऔर किये गये प्रयासोंसे ऐसी लाइसेंस-प्राप्तसंस्था लाभान्वितहोती है।

 

उसनेआगे यह भी प्रस्तुतीकरणकिया कि उसने प्रत्येकमामले में ऐसीसेवाओं की लागतके लिए व्यावसायिकशुल्क और आबंटितव्ययों का भुगतानकिया है, जोकि ग्राहकों केसर्वोत्तम हितमें है। एजीआईबीने फिर उन खातोंहेतु जो अन्य देशोंमें सेवाओं सेसंबंधित हैं,अपनेअंशदानों के लिएपरामर्श शुल्कभी प्राप्त कियाहै। उसने यह भीप्रस्तुतीकरणकिया कि एजीआईबीद्वारा अदा कियेगये व्यावसायिकशुल्क एजीआईबीके बोर्ड और शेयरधारकोंद्वारा विधिवत्अनुमोदित कियेगये हैं, तथाअंतरण कीमत-निर्धारणप्रयोजनों और एजीआईबीके वार्षिक प्रतिलाभोंके लिए स्वतंत्रसंव्यवहार(आर्म्स लेंग्थ)कीआवश्यकताएँ पूरीकरने के रूप मेंविधिमान्य कियेगये हैं। इस आधारपर ऐसे शुल्क केलिए लेखांकन कोआय-कर प्राधिकारियोंद्वारा सुसंगतरूप में स्वीकारकिया गया है।

 

उसनेयह भी प्रस्तुतीकरणकिया कि संबंधितलाइसेंस-प्राप्तसंस्था (एजीआईबी)कीलाभप्रदता का विचारकिये बिना प्रचुरमात्रा में नियतसेवा प्रभार लगानेसे उक्त संस्थापर भारी वित्तीयभार आ जाता,तथासमझौता वार्ताओंके आधार पर,मामला-दर-मामलाआधार पर दलालीके एक प्रतिशतपर सहमति हुई,जिससेअधिक भुगतान करनेऔर अप्रतिस्पर्धीहोने से बचा é#2332;ासके।

 

निर्णयःवैयक्तिक सुनवाईके दौरान,बीमा दलालने अपने इस दावेके समर्थन मेंदस्तावेजी प्रमाणप्रस्तुत करनेके लिए सहमति दीकि बी.वी.को धारितकरनेवाली इयोनकी सहायक संस्थाओंको कमीशन/राजस्व कीसाझेदारी के शीर्षके अंतर्गत कियेगये भुगतान वास्तवमें व्यावसायिकसेवाएँ प्राप्तकरने के लिए कियेगये भुगतान थे।वैयक्तिक सुनवाईके बाद बीमा दलालने दस्तावेजोंका एक सेट प्रस्तुतकिया; जोनिर्दिष्ट करताहै कि एजीआईबीने बी.वी.धारित करनेवालीइयोन की सहायकसंस्थाओं से कुछसेवाएँ प्राप्तकी थीं। तथापि,वे निरीक्षणटिप्पणी में निर्दिष्टकिये गये भुगतानोंकी योजना(मैपिंग)बी.वी.धारित करनेवालीइयोन की सहायकसंस्थाओं से प्राप्तकिन्हीं विशिष्टसेवाओं के साथप्रस्तुत नहींकर सके। इसके अलावा,बीमा दलालउन विदेशी दलालोंके साथ कोई भी लिखितकरार ऐसी किन्हींसेवाओं के सुस्पष्टउल्लेख और ऐसीसेवाएँ प्राप्तकरने के लिए भुगतानके आधार के साथप्रस्तुत नहींकर सका। अतः वेइसे उचित सिद्धकरने में विफलहुए कि कमीशन/राजस्व कीसाझेदारी के शीर्षके अंतर्गत कियेगये भुगतान व्यवसायलाने के लिए अनुयाचककी क्षमता मेंविदेशी दलालोंको नियुक्त करनेके लिए नहीं थे।अतः बीमा दलालने आईआरडीए(बीमा दलाल)विनियम,2002 के विनियम21 के अंतर्गतअनुसूचीIII के पैरा3() काउल्लंघन किया है।उक्त निरीक्षणटिप्पणी के समर्थनमें एक अनुबंधहै जिसमें61 (इकसठ)पॉलिसियोंकी सूची है,जहाँ ऐसेभुगतान विदेशीदलाल को01/01/2011 से31/12/2011 तक की अवधिके दौरान कमीशन/राजस्व कीसाझेदारी के शीर्षके अंतर्गत कियेगये। इस तथ्य कोध्यान में रखतेहुए कि उक्त उल्लंघनबीमा विधि(संशोधन)अधिनियम,2015 के प्रवर्तनसे पहले किया गया,प्राधिकरणबीमा अधिनियम,1938 की धारा102() केअंतर्गत उसमेंनिहित शक्तियोंके आधार पर उक्तबीमा दलाल को रु.1,00,000 (केवल एक लाखरुपये) काअर्थदंड लगाताहै।

 

5.  आरोप2: बीमा दलालने अपतटीय(विदेशी)दलालोंको सीधे प्रीमियमविप्रेषित करनेके लिए ग्राहकोंको अनुमति देनेके द्वारा दलालविनियम, 2013 केविनियम 34(1) और34(2) का उल्लंघनकिया है, जोनिर्धारित करतेहैँ कि यदि भारतमें लाइसेंसप्राप्तकोई बीमाकर्ता/पुनर्बीमाकर्ताविदेशी पुनर्बीमाकर्ताओंके पास पुनर्बीमाव्यवसाय के स्थाननके लिए किसी विदेशीदलाल की सेवाओंका उपयोग करताहै, तो ऐसास्थानन प्राधिकरणद्वारा लाइसेंसीकृतकिसी बीमा दलालके माध्यम से होगा;जोआईआरडीए (बीमादलाल) विनियम,2013 के विनियम27 (अनुसूचीV) के अनुसार धनराशिसंगृहीत करने औरविप्रेषित करनेके लिए बीमा दलालकी असमर्थता कोभी दर्शाता है।

 

दलालका प्रस्तुतीकरणःबीमा दलाल ने प्रस्तुतीकरणकिया कि बीमा विनियम,2013 के विनियम27(2) का अर्थ होगाकि प्रीमियम कोसंगृहीत करना औरविप्रेषित करनापुनर्बीमा दलालके लिए अधिदेशात्मक(मैंडेटरी)नहींहै तथा पक्षकारयह निर्धारित करनेके लिए स्वतंत्रहैं कि प्रीमियमका भुगतान किसमाध्यम से कियाजाए। उन्होंनेआगे प्रस्तुतीकरणकिया कि सभी मामलोंमें समुद्रपार(विदेशों में)पुनर्बीमास्थाननों के लिएएजीआईबी को प्राथमिकदलाल के रूप मेंनियुक्त किया गयाहै, इस स्थितिके होते हुए स्थाननएजीआईबी के माध्यमसे आईआरडीएआई(बीमा दलाल)विनियम,2013 के विनियम34 के अनुसार कियेगये हैं तथा चूँकिदलाल एजीआईबी कादायित्व अपने ग्राहकके लिए पुनर्बीमाकवर की संरचनाकरना, अपेक्षाकरना और परामर्शदेना है, अतःप्रीमियम को सँभालनाउपर्युक्त के लिएप्रासंगिक है।इसके अलावा उसनेप्रस्तुतीकरणकिया कि इस व्यवस्थाका अनुसरण वित्तीयवर्ष 2014-15 केदौरान एजीआईबीके पुनर्बीमा स्थाननोंके केवल 13.21% मेंअपवाद के रूप मेंकिया गया। हालही तक अध्यर्पण(सीडिंग)करनेवालेभारतीय बीमाकर्ताओंके लिए अनुभूतऋण जोखिमों केकारण भारतीय दलालोंके माध्यम से ऐसेबड़े भुगतान करनेमें कठिनाई होतीथी। अन्य मामलोंमें अंतिम ग्राहकोंद्वारा भुगतानमें विलंब होताथा, जिस समयऐसे बीमाकर्ताओंके लिए यह आवश्यकथा कि भुगतान सीधेविदेश में जमाकिये जाएँ,जिससेविलंब के कारणकवरेज की हानिसे बचा जा सके।

 

निर्णयःअपने प्रस्तुतीकरणमें बीमा दलालने आईआरडीएआई(बीमा दलाल)विनियम,2013 के विनियम27(2) का भिन्नरूप से अर्थ लगातेहुए तथा यह प्रस्तुतकरते हुए कि यहएक बाजार की प्रथाहै, विदेशीदलाल को अध्यर्पकबीमाकर्ता द्वारापुनर्बीमा प्रीमियमके सीधे भुगतानको तर्कसंगत ठहरानेका प्रयास किया।दूसरी ओर,उन्होंनेप्रस्तुतीकरणकिया कि इस व्यवस्थाका अनुसरण अपवादके रूप में वित्तीयवर्ष 2014-15 केदौरान एजीआईबीके पुनर्बीमा स्थाननोंके केवल 13.21% मेंकिया गया। इसकेअलावा, यहप्रस्तुतीकरणकरते हुए कि उनमामलों में जहाँप्रीमियम एजीआईबीके माध्यम से नहींभेजा गया था,दलाली काअंश उनके द्वाराप्राप्त किया गया,उन्होंनेयह साबित करनेकी अपेक्षा कीकि वे व्यवसायके सही मॉडल काअनुसरण कर रहेथे, जोस्पष्ट रूप सेऐसे विदेशी दलालको पुनर्बीमा व्यवसायसौंपने के रूपमें प्रतीत होताहै, जिसकेपास भारत में दलालीव्यवसाय करने केलिए लाइसेंस नहींहै। तथापि,दलाल के इसप्रस्तुतीकरणको ध्यान में रखतेहुए कि अप्रैल2017 से वे भारतीयअध्यर्पक की ओरसे सभी विप्रेषणसँभाल रहे हैं,आरोप पर बलनहीं दिया जा रहाहै, परंतुबीमा दलाल को परामर्शदिया जाता है किवह आईआरडीएआई(बीमा दलाल)विनियम,2018 के विनियम38(1) और 38(2) काअनुपालन सुनिश्चितकरे।

 

निर्णयोंका सारांशः

 

6.  निर्णयोंका सारांश निम्नानुसारइस क्रम में हैः

आरोप सं.

आरोप का संक्षिप्त शीर्षक और उल्लंघन किये गये उपबंध

निर्णय

1

आरोपः विदेशी दलालों के साथ दलाली की साझेदारी करना

 

उपबंधः आईआरडीएआई (बीमा दलाल) विनियम, 2002 के विनियम 21 के अंतर्गत अनुसूची III का पैरा 3()

एक लाख रुपये का अर्थदंड

2

आरोपः ग्राहक के द्वारा विदेश स्थित पुनर्बीमा दलाल को पुनर्बीमा प्रीमियम सीधे विप्रेषित करना

 

उपबंधः दलाल विनियम, 2013 का 34(1) और 34(2)

परामर्श

निष्कर्षःजैसा कि संबंधितआरोपों के अंतर्गतनिर्देश दिया गयाहै, रु.1,00,000/- (केवल एकलाख रुपये)का अर्थदंडबीमा दलाल के द्वाराइस आदेश की प्राप्तिकी तारीख से15 दिन की अवधिके अंदर एनईएफटी/आरटीजीएसके माध्यम से(जिसका विवरणअलग से सूचित कियाजाएगा) विप्रेषितकिया जाएगा। विप्रेषणकी सूचना श्रीप्रभात कुमार मैती,महाप्रबंधक(प्रवर्तन)को भारतीयबीमा विनियामकऔर विकास प्राधिकरण,सर्वे सं.115/1, फाइनैंशियलडिस्ट्रिक्ट,नानकरामगूडा,गच्चीबौली,हैदराबाद– 500032 के पते परभेजी जाए।

 

8. दलालइस आदेश के पैरा4 और5 मेंउल्लिखित सभी निर्देशोंके संबंध में अनुपालनकी पुष्टि इस आदेशकी प्राप्ति कीतारीख से21 दिन के अंदरकरेगा। यह आदेशदलाली फर्म कीलेखा-परीक्षासमिति के समक्षरखा जाएगा और बोर्डकी तत्काल अगलीबैठक में भी प्रस्तुतकिया जाएगा तथाबीमा दलाल चर्चाके कार्यवृत्तकी एक प्रति प्राधिकरणको प्रस्तुत करेगा।

 

9. यदिबीमा दलाल इस आदेशमें निहित किसीभी निर्णय से असंतुष्टहै, तोबीमा अधिनियम,1938 की धारा110 के अनुसारप्रतिभूति अपीलीयन्यायाधिकरण(एसएटी)को एक अपीलप्रस्तुत की जासकती है।

 

 

(डॉ.सुभाष चन्द्रखुंटिआ)

अध्यक्ष

दिनांकः19 सितंबर2018

 

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    Final order in the matter of Onsite inspection of AON Global Insurance Brok.pdf

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