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Title: आदेश
Reference No.: आईआरडीएआई/टीपीए/विविध/ओआरडी/140/08/2018
Date: 31/08/2018
मेसर्स डीजेके हेल्थकेयर इंश्योरेंस टीपीए प्रा. लि. (आवेदक) के मामले में बीम

कारण बताओनोटिस दिनांक24.11.2017 के लिए उत्तरएवं भारतीय बीमाविनियामक और विकासप्राधिकरण के कार्यालय,फाइनैंशियलडिस्ट्रिक्ट,नानकरामगूडा,हैदराबाद मेंवीडियो कान्फरेन्सिंगके माध्यम से07.06.2018 को 14.30 बजेश्री पी. जे.जोसेफ, सदस्य,आईआरडीएआईकी अध्यक्षता मेंआयोजित वैयक्तिकसुनवाई के दौरानकिये गये प्रस्तुतीकरणोंके आधार पर।

 

टीपीए पंजीकरणप्रदान करने कीअपेक्षा करते हुएडीजेके हेल्थकेयरइंश्योरेंस टीपीएप्राइवेट लि.(आवेदक टीपीएकंपनी) द्वाराफाइल किये गयेदिनांक 27.01.2015 केआवेदन एवं प्राधिकरणके साथ किये गयेअनुवर्ती पत्र-व्यवहार के अनुसरणमें।

 

1.      पृष्ठभूमिःआवेदक टीपीए कंपनीने एक अन्य पक्षप्रबंधक(टीपीए)केरूप में कार्यकरने के लिए पंजीकरणप्रमाणपत्र कीअपेक्षा करते हुएसमय-समयपर यथासंशोधितआईआरडीए(अन्य पक्षप्रबंधकस्वास्थ्यसेवाएँ)विनियम,2001 (इसमें इसकेबाद टीपीए विनियम,2001 के रूप मेंउल्लिखित)केउपबंधों के अधीनफार्म टीपीए-1मेंएक आवेदन प्राधिकरणके पास 27.01.2015 कोप्रस्तुत किया।टीपीए कंपनी केरूप में पंजीकरणकी अपेक्षा करतेहुए प्रस्तुत आवेदनसे यह पाया गयाहै कि उक्त कंपनीदस वैयक्तिक प्रवर्तकोंऔर दो हिन्दू अविभक्तपरिवारों(एचयूएफ)केद्वारा प्रवर्तितहै।

क)   उक्तआवेदन की समीक्षाकरने के बाद,आवेदनसे संबंधित कुछप्रासंगिक सूचनाऔर आवेदक कंपनीके प्रवर्तकोंके वित्तीय प्रत्यय-पत्र(क्रेडेन्शियल्स)दिनांक19.05.2015, 07.10.2015 और08.12.2015 के पत्रोंके द्वारा माँगेगये। दिनांक19.05.2015 और07.10.2015 के पत्रजो आवेदन(फार्म टीपीए-1)मेंउल्लिखित पानेवालेके पते पर संबोधितथे, अवितरितरूप में वापस आगये, एकटिप्पणी के साथकि पानेवाला नहींमिला। दिनांक19.05.2015 के पत्रकी स्कैन की हुईप्रति भी आवेदककंपनी के द्वाराप्रस्तुत कियेगये कुछ अभिलेखोंमें उपलब्ध ई-मेलआईडी पर भेजी गई।

ख)   जबकिउक्त आवेदन समीक्षाके अधीन था,टीपीएविनियम,2001 में कुछ संशोधनकिये गये तथा प्राधिकरणने 14.03.2016 कोआईआरडीएआई(अन्य पक्षप्रबंधकस्वास्थ्यसेवाएँ)विनियम,2016 (इसमें इसकेबाद टीपीए विनियम,2016 के रूप मेंउल्लिखित)कोअधिसूचित किया। टीपीएविनियम,2016 के विनियम26(3) के उपबंधोंके अनुसार प्राधिकरणके विचाराधीन स्थितसभी आवेदन टीपीएविनियम,2016 का अनुपालनकरनेवाले होनेचाहिए। टीपीए विनियम,2001 के विनियम,3(3) के उपबंधोंके अनुसार,आवेदकटीपीए कंपनी केपास 1 करोड़रुपये की न्यूनतमप्रदत्त पूँजीहोगी, जबकिटीपीए विनियम,2016 के विनियम6(2) के उपबंधोंके अनुसार टीपीएके रूप में पंजीकरणप्रमाणपत्र कीअपेक्षा करनेवालीआवेदक टीपीए कंपनीके पास कम से कम4 करोड़ रुपयेकी प्रदत्त पूँजीहोगी। 08.06.2016 केपत्र के अनुसारआवेदक टीपीए कंपनीको सूचित कियागया कि टीपीए विनियम,2016 के उपबंधोंके अनुसार नयाआवेदन प्रस्तुतकरे। आवेदक टीपीएकंपनी ने दिनांक05.12.2016 के पत्रके अनुसार नयाआवेदन (इसमेंइसके बाद आवेदनके रूप में उल्लिखित)प्रस्तुतकिया।

2.     आवेदनकी जाँच करते समय,विभिन्नवैयक्तिक प्रवर्तकोंकी प्रमाणित निवलमालियत के संबंधमें वित्तीय उचितसावधानी बरतनेके भाग के रूप मेंछह प्रवर्तकोंके संबंध में आगेऔर जानकारी विभिन्नअवसरों पर अर्थात्19.01.2017, 10.03.2017 और22.06.2017 को माँगीगई।

3.     प्रस्तुतकी गई सूचना मेंकमियाँ पाने केबाद, प्राधिकरणने यह स्पष्टीकरणमाँगते हुए किटीपीए विनियम,2016 के विनियम8(2)() केसाथ पढ़े जानेवालेविनियम10(1)() केउपबंधों के अनुसारआवेदक टीपीए कंपनीके आवेदन को क्योंनहीं अस्वीकारकरना चाहिए,एककारण बताओ नोटिसदिनांक24.11.2017 जारी किया।आवेदक टीपीए कंपनीको यह भी बतानेके लिए कहा गयाकि क्या वह कोईवैयक्तिक सुनवाईचाहती है। आवेदककंपनी ने पत्रदिनांक18.12.2017 के द्वाराअपने प्रस्तुतीकरणकिये और सूचितकिया कि वह वैयक्तिकसुनवाई चाहती है।प्राधिकरण ने ई-मेलदिनांक12.04.2018 के द्वारा13.04.2018 को वैयक्तिकसुनवाई प्रदानकरने के बारे मेंसूचना दी। परंतुई-मेलदिनांक12.04.2018 के अनुसारआवेदक टीपीए कंपनीने उक्त वैयक्तिकसुनवाई को स्थगितकरने का अनुरोधकिया और कुछ अतिरिक्तसूचना जो अपेक्षितसमय-सीमाओंके अंदर प्रस्तुतनहीं की गई थी,प्रस्तुतकरने के लिए30 दिन का अतिरिक्तसमय माँगा। प्राधिकरणने दिनाक24.05.2018 के पत्रके द्वारा आवेदककंपनी से पुनःकहा कि वह07.06.2018 को आयोजितवैयक्तिक सुनवाईके लिए उपस्थितरहे, तथायह स्पष्ट रूपसे उल्लेख कियागया कि ऐसा न करनेपर अभिलेखों मेंउपलब्ध सामग्रीके आधार पर आगेकी आवश्यक कार्रवाईके लिए मामले कीजाँच की जाएगी।प्राधिकरण ने07.06.2018 को एक वीडियोकान्फरेंसिंगके माध्यम से एकवैयक्तिक सुनवाईका अवसर प्रदानकिया। आवेदक कंपनीके प्रतिनिधियोंने उक्त वीडियोकान्फरेंस मेंप्राधिकरण के नईदिल्ली क्षेत्रीयकार्यालय से भागलिया।

4.     आवेदककंपनी का प्रतिनिधित्व(1) श्री दिनेशकुमार जैन,(2) डॉ.दिनेशबन्सल, (3) सीएअंकिता प्रभाकर,और(4) श्री वीरेन्द्रकुमार मिगलानीके द्वारा कियागया। आईआरडीएआईकी ओर से(1) श्री सुरेशमाथुर, कार्यकारीनिदेशक(स्वास्थ्य),(2) श्री डी.वी.एस.रमेश,महाप्रबंधक(स्वास्थ्य),(3) सुश्री मंजुचौधरी, सहायकप्रबंधक(स्वास्थ्य)उपस्थितथे।

5.     आरोपःआईआरडीएआई(टीपीएस्वास्थ्यसेवाएँ)विनियम,2016 के विनियम8(2) ()के साथ पढ़ेजानेवाले विनियम10(1)()का उल्लंघन।

निम्नलिखितवैयक्तिक प्रवर्तकोंके वित्तीय प्रत्यय-पत्रों(क्रेडेन्शियल्स)केसंबंध में दिनांक24.11.2017 के कारणबताओ नोटिस मेंउठाये गये विषय,दिनांक18.12.2017 के अपनेपत्र में आवेदककंपनी के द्वाराकिये गये प्रस्तुतीकरण,दिनांक07.06.2018 की वैयक्तिकसुनवाई में कियेगये प्रस्तुतीकरणऔर उन पर टिप्पणियाँइसके नीचे क्रमशःदी गई हैं।

क.   श्रीकार्तिक बन्सल

इस वैयक्तिकप्रवर्तक ने आवेदकटीपीए कंपनी में60 लाखरुपये प्रदानकिये। तथापि,इसप्रवर्तक के वित्तीयआंकड़ों(फाइनैंशियल्स)केसमर्थन में प्रस्तुतनिवल मालियत काप्रमाणपत्र संतोषजनकनहीं पाया गया।

आवेदक टीपीएकंपनी ने,अन्यबातों के साथ-साथ,प्रस्तुतकिया कि यह प्रवर्तकएक कंपनी में नियुक्तहै तथा उसके पासवित्तीय वर्ष2016-17 के लिए आईटीआरप्रमाणपत्र केअनुसार आय है।आगे यह भी प्रस्तुतीकरणकिया गया कि जीवनबीमा के बीमितराशि के मूल्यको अभ्यर्पण मूल्यके रूप में लियागया और यह कि एकअन्य प्रवर्तकके पास धारित भूमिके विक्रय की आगमराशि, जिसमेंवह एक सह-लाभार्थीथा, से एकएफडी लिया गया।

 

प्राधिकरणके निष्कर्षः इस प्रवर्तकके निवल मालियतप्रमाणपत्रोंके संबंध में,

अर्थात्12-01-2016 की स्थितिके अनुसार (टीपीए में पूँजीप्रदान करने सेपहले)

और31-12-2016 की स्थितिके अनुसार (टीपीए में पूँजीप्रदान करने केबाद)

प्रस्तुतसूचना से यह पायागया है कि उक्तप्रवर्तक की निवलमालियत, प्रदान

की गईपूँजी के स्रोतोंका समर्थन नहींकर रही है।

 

ख.   सुश्रीज्योति बन्सल

इस प्रवर्तकने आवेदक टीपीएकंपनी में 62लाख रुपयेप्रदान किये हैं।तथापि, उक्तप्रवर्तक के वित्तीयआंकड़ों के समर्थनमें प्रस्तुत निवलमालियत प्रमाणपत्रसंतोषजनक नहींपाया गया है।

आवेदक टीपीएकंपनी ने,अन्यबातों के साथ-साथ,प्रस्तुतीकरणकिया कि यह प्रवर्तकएक स्कूल में नियुक्तहै तथा इसके पासवित्तीय वर्ष2015-16 के लिए आईटीआरप्रमाणपत्र केअनुसार आय है।आगे यह भी प्रस्तुतकिया गया कि एकअन्य प्रवर्तकके साथ धारित भूमिके विक्रय की आगमराशि, जिसमेंवह कथित रूप सेएक सह-लाभार्थीहै, से एकएफडी लिया गया।

 

प्राधिकरणके निष्कर्षः इसप्रवर्तक के द्वाराप्रस्तुत कियेगये 12-01-2016 कीस्थिति के अनुसार(टीपीए मेंपूँजी प्रदान करनेसे पहले)निवलमालियत प्रमाणपत्रऔर 31-12-2016 कीस्थिति के अनुसार(टीपीए मेंपूँजी प्रदान करनेके बाद) निवलमालियत प्रमाणपत्रसे यह पाया गयाकि उक्त प्रवर्तकके द्वारा प्रदानकी गई पूँजी केस्रोत ज्ञात नहींहैं तथा अपेक्षितपूँजी प्रदान करतेसमय उक्त प्रवर्तकके पास पर्याप्तचालू आस्तियाँनहीं थीं।

 

ग.     सुश्रीअर्पणा बन्सल

इस प्रवर्तकने आवेदक टीपीएमें 33 लाखरुपये प्रदानकिये हैं। तथापि,इसप्रवर्तक के वित्तीयआंकड़ों के समर्थनमें प्रस्तुत निवलमालियत प्रमाणपत्रसंतोषजनक नहींपाया गया है।

 

आवेदक टीपीएकंपनी ने,अन्यबातों के साथ-साथ,यहप्रस्तुतीकरणकिया कि यह प्रवर्तकएक डॉक्टर है तथावित्तीय वर्ष2016-17 के लिए आईटीआरके अनुसार इसकेपास आय है। आगेयह भी प्रस्तुतकिया गया कि विवाहके समय इस प्रवर्तकके स्वामित्व मेंकुछ मूल्यवान वस्तुएँथीं तथा बाद मेंकुछ समय के दौरानखरीदी गई वस्तुएँउचित मूल्यांकनन होने के कारणपहले के प्रमाणपत्रोंमें ये शामिल नहीकी गई थीं। आवेदककंपनी के द्वाराआगे यह भी प्रस्तुतकिया गया कि यहप्रवर्तक प्रारंभमें ईशान अस्पतालोंके रु. 50,000के मूल्य केशेयरों की अभिदाताथीं, तथापिईशान अस्पतालोंकी प्रदत्त पूँजी30 लाख रुपये तकबढ़ाई गई और उसकोरु. 14.5 लाख केमूल्य के और शेयरआबंटित किये गये।

 

प्राधिकरणके निष्कर्षःपत्र दिनांक05-12-2016 के द्वाराप्रस्तुत31-03-2015 की स्थितिके अनुसार निवलमालियत प्रमाणपत्र(टीपीए मेंपूँजी प्रदान करनेके पहले)तथा31-12-2016 की स्थितिके अनुसार निवलमालियत प्रमाणपत्र(टीपीए कंपनीमें पूँजी प्रदानकरने के बाद)नेअपेक्षित पूँजीप्रदान करने केलिए निधियों केस्रोतों का समर्थननहीं किया। इसकेअतिरिक्त,यहभी पाया गया किटीपीए में पूँजीप्रदान करते समयउक्त प्रवर्तकके पास पर्याप्तचालू आस्तियाँनहीं थीं।

 

घ.     श्रीदिनेश बन्सल

इस प्रवर्तकने आवेदक टीपीएकंपनी में 38.50लाख रुपयेप्रदान किये। तथापि,इसप्रवर्तक के वित्तीयआंकड़ों के समर्थनमें प्रस्तुत निवलमालियत प्रमाणपत्रसंतोषजनक नहींपाया गया।

आवेदक टीपीएकंपनी ने,अन्यबातों के साथ-साथ,प्रस्तुतीकरणकिया कि यह प्रवर्तकएक डॉक्टर है तथाइसके पास वित्तीयवर्ष 2016-17 केलिए आईटीआर केअनुसार आय है।आवेदक टीपीए कंपनीके द्वारा आगेयह भी प्रस्तुतीकरणकिया गया कि यहप्रवर्तक प्रारंभमें ईशान अस्पतालोंके रु. 50,000 केमूल्य के शेयरोंका अभिदाता था,तथापि,बादमें ईशान अस्पतालोंकी प्रदत्त पूँजी30 लाख रुपयोंतक बढ़ाई गई औरउसको 14.5 लाखरुपये के मूल्यके अतिरिक्त शेयरआबंटì#2367;त किये गये।आवेदक टीपीए कंपनीने आगे यह भी प्रस्तुतीकरणकिया कि दिनांक03-10-2017 का निवलमालियत प्रमाणपत्रबैंक खाते मेंनिधियों की उपलब्धताके आधार पर प्रदानकिया गया था। उक्तआवेदक ने आगे यहभी प्रस्तुत कियाकि आवेदन करनेके बाद डीजेकेटीपीए में कियागया निवेश उक्तनिवल मालियत प्रमाणपत्रमें प्रतिबिंबितनहीं हुआ।

 

प्राधिकरणके निष्कर्षःदिनांक05-12-2016 के अनुसारप्रस्तुत31-03-2015 का निवलमालियत प्रमाणपत्र(टीपीए मेंपूँजी प्रदान करनेसे पहले)तथा31-12-2016 की स्थितिके अनुसार निवलमालियत प्रमाणपत्रने पूँजी प्रदानकरने के लिए निधियोंके स्रोतों कासमर्थन नहीं कियातथा प्रवर्तक कीतरल आस्तियाँ कंपनीमें उसकी शेयरधारिताके अनुरूप नहींहैं।

 

ङ.   सुश्रीकुसुम लताः

इस प्रवर्तकके द्वारा आवेदकटीपीए कंपनी में33.50 लाख रुपयेकी पूँजी प्रदानकी गई थी। तथापि,इसप्रवर्तक के वित्तीयआंकड़ों के समर्थनमें प्रस्तुत निवलमालियत प्रमाणपत्रसंतोषजनक नहींपाया गया है।

आवेदक टीपीएकंपनी ने,अन्यबातों के साथ-साथ,प्रस्तुतीकरणकिया कि इस प्रवर्तकके पास वित्तीयवर्ष 2016-17 केलिए आईटीआर केअनुसार आय है।आवेदक द्वारा आगेयह भी प्रस्तुतकिया गया कि उक्तप्रवर्तक की शेयरधारितारु. 33.50 लाखहै, जो प्रवर्तकके द्वारा पहलेही प्रदान की गईहै तथा उसने यहभी संकल्प कियाहै कि यदि आवश्यकहो, तो टीपीएकी चलनिधि को पूराकरने के लिए गैर-तरलआस्तियों का निपटानभी किया जाएगा आवेदकने आगे यह भी प्रस्तुतकिया कि चूँकिउक्त प्रदत्त पूँजीटीपीए के लिए आवेदनप्रस्तुत करनेसे पहले प्रदानकी गई थी,अतःआवेदन प्रस्तुतकरने के बाद डीजेकेटीपीए में कियागया निवेश उक्तनिवल मालियत प्रमाणपत्रमें प्रतिबिंबितनहीं हुआ।

 

प्राधिकरणके निष्कर्षःइस प्रवर्तक के31-03-2015 के निवलमालियत प्रमाणपत्रमें प्रदर्शितअंतर्निहित चालूआस्तियाँ(पूँजी प्रदानकरने से पहले)तथा31-12-2016 की स्थितिके अनुसार निवलमालियत प्रमाणपत्र(पूँजी प्रदानकरने के बाद)केसंबंध में पायागया है कि वह प्रदानकी गई पूँजी केअनुरूप नहीं है।

 

च.     सुश्रीमीना बन्सल

इस प्रवर्तकने आवेदक टीपीएकंपनी में 50लाख रुपयेप्रदान किये हैं।तथापि, इसप्रवर्तक के वित्तीयआंकड़ों के समर्थनमें प्रस्तुत निवलमालियत प्रमाणपत्रसंतोषजनक नहींपाया गया है।

 

आवेदक टीपीएकंपनी ने,अन्यबातों के साथ-साथ,प्रस्तुतकिया कि इस प्रवर्तकके पास वित्तीयवर्ष 2015-16 केलिए आईटीआर केअनुसार आय है तथाप्रवर्तक ने संकल्पकिया है कि यदिआवश्यकता हो,तोटीपीए व्यवसायमें अपने निवेशकी आगम राशि प्रदानकी जाएगी। आवेदककंपनी ने आगे यहभी प्रस्तुत कियाकि बहुत पहले सेही उक्त प्रवर्तकके स्वामित्व मेंसूचीबद्ध कंपनियोंके शेयर हैं जोउसकी आय और पिछले20 वर्ष की बचतराशि से खरीदेगये थे एवं चूँकिप्राधिकरण ने अधिकतरनिवल मालियत कीअपेक्षा की थी,अतःउन्होंने निवलमालियत प्रमाणपत्रमें इन्हें शामिलकिया। आगे यहभी प्रस्तुत कियागया कि निवल मालियतमें 4.4 लाखरुपये के अनुमानितवृद्धिशील मूल्यसहित, जीवनपॉलिसियों के अभ्यर्पणमूल्य को शामिलकिया गया।

 

प्राधिकरणके निष्कर्षः12-01-2016 की स्थितिके अनुसार निवलमालियत प्रमाणपत्र(टीपीए मेंपूँजी प्रदान करनेसे पहले)और31-12-2016 की स्थितिके अनुसार निवलमालियत प्रमाणपत्र(टीपीए मेंपूँजी प्रदान करनेके बाद) प्रदर्शितचालू आस्तियाँप्रदान की गई पूँजीके अनुरूप नहींथीं।

 

आवेदक टीपीएकंपनी ने07.06.2018 को आयोजितवैयक्तिक सुनवाईमें प्रस्तुतीकरणकिया कि वह कंपनीमें एक निदेशकऔर शेयरधारक कोसमाविष्ट करनेका प्रस्ताव करतीहै। उसने आगे यहभी प्रस्तुतीकरणकिया कि ऊपर संदर्भितछह प्रवर्तकोंके संबंध में निधियोंके स्रोतों केसमर्थन में दस्तावेजउपर्युक्त वैयक्तिकसुनवाई की तारीखसे एक महीने केअंदर प्रस्तुतकिये जाएँगे। आवेदककंपनी ने उक्तदस्तावेज / सूचना प्राधिकरणको प्रस्तुत करनेके लिए अतिरिक्तसमय की भी माँगकी। आवेदक टीपीएकंपनी ने दिनांक06.07.2018 के पत्र केद्वारा सूचित कियाकि वे उक्त दस्तावेज13.07.2018 तक प्रस्तुतकरेंगे। तथापि,आवेदक टीपीएकंपनी ने वैयक्तिकसुनवाई में कियेगये प्रस्तुतीकरणके अनुसार कोईसूचना / दस्तावेजप्रस्तुत नहींकिये।

 

7.प्राधिकरण कानिर्णयःउपर्युक्त छह प्रवर्तकोंकी निवल मालियतके संबंध में आवेदकटीपीए कंपनी केप्रस्तुतीकरणोंमें कोई गुण नहींहै। इसमें संदर्भितरूप में विभिन्नअवसरों पर आवेदकटीपीए कंपनी केद्वारा प्रस्तुतसूचना को ध्यानमें रखते हुए,प्राधिकरणआईआरडीएआई (टीपीए – स्वास्थ्यसेवाएँ) विनियम,2016 के विनियम8(2)() के साथ पढ़े जानेवालेविनियम 10(1)()के अनुसार पंजीकरणप्रमाणपत्र कीअपेक्षा करते हुएआवेदक टीपीए कंपनीके द्वारा प्रस्तुतआवेदन को अस्वीकारकरता है।

 

यदि आवेदकटीपीए कंपनी इसआदेश में निहितकिसी भी निर्णयसे असंतुष्ट है,तो बीमा अधिनियम,1938 की धारा 110 के उपबंधों केअनुसार प्रतिभूतिअपीलीय न्यायाधिकरण(एसएटी) केसमक्ष अपील प्रस्तुतकी जा सकती है।

 

सदस्य(गैर-जीवन)

स्थानःहैदराबाद

दिनांकः31-08-2018

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