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Title: आदेश
Reference No.: आईआरडीए/टीपीए/विविध/ओआरडी/011/01/2018
Date: 22/01/2018
मेसर्स हैपी इंश्योरेंस टीपीए सर्विसेज़ प्रा. लि. के मामले में पंजीकरण प्रमा

मेसर्स हैपीइंश्योरेंस टीपीएसर्विसेज़ प्रा.लि. केमामले में

पंजीकरणप्रमाणपत्र सं.34 (अस्वीकृत)

 

2017 कीसिविल अपील सं.3233 – हैपी इंश्योरेंसटीपीए सर्विसेज़प्रा. लि.बनामभारतीय बीमा विनियामकऔर विकास प्राधिकरण(आईआरडीएआई)केमामले में माननीयसर्वोच्च न्यायालयके दिनांक20 नवंबर 2017 केआदेश के अनुसरणमें।

 

हैपी इंश्योरेंसटीपीए सर्विसेज़प्रा. लि.(हैपी टीपीए)द्वाराफाइल किये गयेदिनांक 8 दिसंबर2017 के अभ्यावेदन(12 दिसंबर2017 को प्राप्त)तथासर्वे सं. 115/1,फाइनैंशियलडिस्ट्रिक्ट,नानकरामगूडा,हैदराबाद-500032स्थितभारतीय बीमा विनियामकऔर विकास प्राधिकरणके कार्यालय मेंसदस्य (गैर-जीवन)द्वारा12 जनवरी 2018 कोअपराह्न 02.30 बजेली गई वैयक्तिकसुनवाई के दौरानकिये गये प्रस्तुतीकरणोंके आधार पर।

 

पृष्ठभूमि

1.  हैपीइंश्योरेंस टीपीएसर्विसेज़ प्रा.लि.(अपीलकर्ता/ हैपी टीपीए)नेपंजीकरण के नवीकरणके लिए अपना आवेदनदिनांक 10 अक्तूबर2015 के पत्र द्वाराप्रस्तुत किया। हैपीटीपीए के नवीकरणआवेदन की जाँचकरते समय यह पायागया कि हैपी टीपीएने 2012-13, 2013-14 और2014-15 की अवधि केलिए 1 करोड़रुपये की अपेक्षितन्यूनतम कार्यशीलपूँजी का अनुरक्षणनहीं किया,जोकि आईआरडीए(टीपीएस्वास्थ्यसेवाएँ) विनियम,2001 के विनियम3(4) के उपबंधोंके अनुसार टीपीएद्वारा अनुपालनकी जानेवाली एकविनियामक अपेक्षाहै।

2.  पंजीकरणप्रमाणपत्र(सीओआर) केनवीकरण के लिएआवेदन और वित्तीयविवरणों सहित अन्यसंलग्न दस्तावेजोंकी जाँच करने केबाद प्राधिकरणने आईआरडीए(टीपीएस्वास्थ्यसेवाएँ) विनियम,2001 के विनियम 14(8)केसाथ पठित विनियम(13) के अंतर्गतनिहित शक्तियोंके अधीन दिनांक19 जुलाई 2016 केआदेश (संदर्भआईआरडीए/टीपीए/विविध/ओआरडी/140/07/2016)केअनुसार हैपी टीपीएके नवीकरण को अस्वीकारकिया।

3.  प्राधिकरणके आदेश से असंतुष्टहोकर हैपी टीपीएने प्राधिकरण केआदेश के विरुद्धमाननीय प्रतिभूतिअपीलीय न्यायाधिकरण(एसएटी) केसाथ संपर्क किया।माननीय एसएटी नेदिनांक 21 दिसंबर2016 के अपने आदेशके अनुसार प्राधिकरणद्वारा पारित आदेशको मान्य ठहराया।हैपी टीपीए नेतब माननीय सर्वोच्चन्यायालय के समक्षएक अपील दायर की।

4.  माननीयसर्वोच्च न्यायालयने दिनांक21 अगस्त 2017 केअपने आदेश के अनुसारहैपी टीपीए कोनिदेश दिया किवह प्रतिवादी(प्राधिकरण)कोसूचित करे कि वह(हैपी टीपीए)कार्यशीलपूँजी में वृद्धिकर चुका है। इसकेअतिरिक्त,माननीयसर्वोच्च न्यायालयने निम्नानुसारनिदेश दियाः

"प्रतिवादीपत्र प्राप्त करनेके बाद वकील कोअनुदेश देगा ताकिवह सही परिप्रेक्ष्यमें न्यायालय कीसहायता कर सके"

5.  प्राधिकरणने माननीय सर्वोच्चन्यायालय के निदेशोंपर दिनांक24 अगस्त 2017 केअपने पत्र के द्वाराकिये गये हैपीटीपीए के प्रस्तुतीकरणोंकी जाँच की। उक्तपत्र की विषय-वस्तुकी जाँच करने परदिनांक 15 सितंबर2017 के पत्र के द्वाराउपयुक्त अनुदेशजारी किये गये। दोनों पक्षकारोंके प्रस्तुतीकरणसुनने के उपरांतमाननीय सर्वोच्चन्यायालय ने दिनांक20 नवंबर 2017 केअपने आदेश के अनुसारकहा कि "परिस्थितियोंकी संपूर्णता परविचार करते हुएहम केवल अपीलकर्ताको अपनी वित्तीयस्थिति के संबंधमें एक नया प्रस्तावप्रस्तुत करनेके लिए स्वतंत्रताप्रदान करना चाहतेहैं जिस पर राज्यप्राधिकरण के द्वाराविधि के अनुसारविचार किया जाएगा।" माननीय सर्वोच्चन्यायालय ने यहनिश्चयपूर्वककहा कि कुछ मामलोंमें विभिन्न आदेशदिये गये हैं जिपरध्यान दिया जानाचाहिए तथा आगेयह कहा कि वे यहप्रतिवादी के विवेकपर छोड़ते हैं।

6.  माननीयसर्वोच्च न्यायालयके दिनांक20 नवंबर 2017 केआदेश के अनुसरणमें हैपी टीपीएने दिनांक8 दिसंबर2017 का एक अभ्यावेदनदाखिल किया है।

7.  12 जनवरी2018 को आयोजित वैयक्तिकसुनवाई में हैपीटीपीए का प्रतिनिधित्वश्री सुशील पोद्दारनिदेशक,श्रीप्रदीप अग्रवाल,अधिवक्ता,श्रीप्रमोद सेठियाअधिवक्ताऔर श्री ई. वी.वेणुगोपाल,अधिवक्ताके द्वारा कियागया। प्राधिकरणकी ओर से श्री सुरेशमाथुर, कार्यकारीनिदेशक (स्वास्थ्य),श्रीडी. वी.एस.रमेश,महाप्रबंधक(स्वास्थ्य),श्रीडी. पी.पट्टनायक,विशेषकार्य अधिकारी(स्वास्थ्यउत्पाद और विश्लेषण),श्रीमोहम्मद अयाज़,सहायकमहाप्रबंधक(स्वास्थ्यविनियम) औरसुश्री मंजु चौधरी,सहायकप्रबंधक (स्वास्थ्यटीपीए) उक्तवैयक्तिक सुनवाईमें उपस्थित थे।

8.  हैपीटीपीए द्वारा दिनांक08 दिसंबर2017 के पत्र के अनुसारप्राधिकरण को प्रस्तुतकिये गये अभ्यावेदनएवं उक्त वैयक्तिकसुनवाई की प्रक्रियाके दौरान कियेगये प्रस्तुतीकरणोंपर भी विचार कियागया।

9.  अपनेअभ्यावेदन मेंहैपी टीपीए द्वाराकिये गये प्रस्तुतीकरणोंपर वैयक्तिक सुनवाईमें निष्कर्ष तथाउनपर लिये गयेनिर्णय निम्नानुसारहैं :

 

हैपीटीपीए द्वारा कियेगये प्रस्तुतीकरणःअन्य बातोंके साथ-साथहैपी टीपीए द्वाराकिये गये प्रस्तुतीकरणसंक्षेप में निम्ननिखितहैं।

10. माननीयसर्वोच्च न्यायालयके आदेश से यह स्पष्टहै कि हैपी टीपीएकार्यशील पूँजी,ईक्विटीअपेक्षा, आदिकी अपेक्षा सहितविनियमों की सभीअपेक्षाओं को पूराकरने के लिए तैयारहै। इसी प्रकारकी परिस्थितियोंमें, अर्थात्गोकुलम, यूनिवर्सलमेडीएड आदि कोजारी रखा गया/ उनका नवीकरणकिया गया यद्यपिउन्होंने कार्यशीलपूँजी, एवंविभिन्न अपेक्षाओंको पूरा नहीं कियातथा यह कि प्राधिकरणके लिए कोई कारणनहीं है कि वह आवेदकके विरुद्ध भेदभावकरे।

11. दिनांक20 नवंबर 2017 केआदेश से यह स्पष्टहै कि प्राधिकरणको अन्यों के मामलोंपर विचार करनाचाहिए जिन्हेंसतर्क किया गयाथा/ चेतावनीदी गई थी, जबकिआवेदक के प्रतिभेदभाव रखा जारहा है तथा इस स्थितिके होते हुए माननीयसर्वोच्च न्यायालयने मामले के इसपहलू पर भी विचारकरने के लिए निदेशदिया था।

12. लेखा-परीक्षिततुलन-पत्रकी प्रति के साथ18 मई 2016 कोसमर्थक दस्तावेजोंके साथ स्पष्टीकरणप्रस्तुत कियेगये। साथ ही,यहभी प्रस्तुत कियागया कि दस्तावेजजो 18 मई2016 को प्रस्तुतकिये गये थे,इलेक्ट्रॉनिकमेल द्वारा29 जून 2016 कोपुनः प्रस्तुतकिये गये, स्पष्टरूप से यह दर्शातेहुए कि 2001 केविनियमों के विनियम3(4) के अंतर्गतअर्हता प्राप्तकरने के लिए आवेदककी कार्यशील पूँजी1 करोड़ रुपयेसे अधिक थी।

13. कार्यशीलपूँजी का विषयदिशानिर्देशोंका उल्लंघन नहींथा, बल्किएक त्रुटि थी।

14. विभिन्नविनियमों एवं विभिन्नप्रकार के बीमाविनियमों के मामलेमें न्यायनिर्णायकप्राधिकरण द्वाराजारी किये गयेदिशानिर्देशोंका पालन न करनेकी स्थिति मेंचेतावनियाँ जारीकरना, दंडलगाना प्राधिकरणकी निरंतर प्रक्रियारही है तथा हैपीटीपीए के मामलेमें ऐसी प्रथाका अनुसरण न करनेमें प्राधिकरणअथवा न्यायाधिकरणद्वारा दिया गयाकोई औचित्य नहींहै। आगे यह भी प्रस्तुतकिया गया कि न्यायनिर्णायकप्राधिकरण ने कईमामलों में अन्यटीपीए के संबंधमें न केवल न्यूनतमकार्यशील पूँजीको बनाये रखने,बल्किअनेक अधिक गंभीरउल्लंघनों के विषयमें भी गंभीर उल्लंघनोंकी अनदेखी की थी।

15. गोकुलमहेल्थ सर्विसेज़टीपीए लाइसेंसको निरस्त कियागया क्योंकि उसनेअपने स्वयं केवचन-पत्रका पालन नहीं किया।

16. जबकिएक ओर न्यायनिर्णायकप्राधिकरण ने गोकुलमजैसे अन्य टीपीएको कई अवसर प्रदानकिये थे, फिरभी इसके विरुद्धभेदभाव किया जातारहा। आगे यह भीप्रस्तुत कियागया कि न्यायनिर्णायकप्राधिकरण की ऐसीकार्रवाई पूरीतरह से मनमानीहै तथा आवेदक केविरुद्ध भेदभावकरने के लिए कोईकारण अथवा तर्कसंगतिनहीं है।

17. दिल्लीके माननीय उच्चन्यायालय ने"मेसर्स यूनिवर्सलमेडीएड सर्विसंज़लि. बनाम आईआरडीए"शीर्षक2009 की रिट याचिका(सी) सं.7469 में दिनांक15 फरवरी 2010 केअपने आदेश के अनुसारयाचिकाकर्ता केटीपीए लाइसेंसके नवीकरण को विशेषरूप से न्यूनतमकार्य़शील पूँजीबनाये रखने औरअन्य कथित उल्लंघनोंके संबंध में अस्वीकारकरते हुए आईआरडीएद्वारा पारित आदेशको निरस्त किया।

18. न्यायनिर्णायकप्राधिकरण द्वारालाइसेंस का नवीकरणनहीं करने के कारणअत्यंत कठिनाईहुई तथा उसने भारीहानि उठाई।

19. 2017 कीसिविल अपील सं.3233 में दिये गयेदिनांक 20 नवंबर2017 के आदेश के अनुपालनमें निम्नलिखितनये प्रस्ताव प्रस्तुतकिये गये हैं।

क.   हैपीटीपीए ने प्रस्तुतीकरणकिया कि वर्तमानमें उनके पास1,03,84,234 रुपये कीकार्यशील पूँजीहै जैसा कि वित्तीयवर्ष 2016-17 केलेखा-परीक्षिततुलन-पत्रमें प्रतिबिंबितहुआ है।

ख.   हैपीटीपीए ने प्रस्तुतीकरणकिया कि वह4 करोड़ रुपयेकी शेयर पूँजीकी वृद्धि करनेऔर उसे बनाये रखनेका वचन देता हैजैसा कि 2016 केसंशोधित विनियममें अपेक्षित है।

ग.    हैपीटीपीए ने आगे यहभी प्रस्तुतीकरणकिया कि वह2016 के संशोधितविनियमों के अंतर्गतकी गई अपेक्षानुसार1 करोड़ रुपयेकी अथवा वर्तमानविनियमों के अनुसारअनुरक्षण कियेजाने के लिए अपेक्षितकी जानेवाली किसीभी राशि की कार्यशीलपूँजी बनाये रखनेके लिए वचन देताहै।

घ.    हैपीटीपीए ने प्रस्तुतकिया कि न्यायनिर्णायकप्राधिकरण ऐसेअंतराल पर अनुपालनकी लेखा-परीक्षासंचालित कर सकताहै जैसा कि वह आवेदकके लाइसेंस कीसमीक्षा अवधि केदौरान निर्धारितकरे।

ङ.     हैपीटीपीए ने अपनेअभ्यावेदन मेंप्रस्तुतीकरणकिया कि वह(आवेदकहैपीटीपीए) आईआरडीएआईद्वारा लेखा-परीक्षाके दौरान पाई गईकमियों को30 दिन की अवधिके अंदर सुधारनेका वचन देता हैतथा ऐसा न करनेपर आवेदक 60 दिनसे अधिक समय नहींलेगा। आवेदक किन्हींभी अन्य शर्तोंका पालन करने केलिए तैयार है औरउनका पालन करेगाजो निर्धारित कीगई हैं।

 

20. हैपीटीपीए ने इस प्रस्तावपर कोई भी आदेशपारित करने सेपहले वैयक्तिकसुनवाई का अवसरप्रदान करने काअनुरोध किया।

21. वैयक्तिकसुनवाई के दौरान12 जनवरी 2016 कोहैपी टीपीए द्वारालिखित प्रस्तुतीकरणभी किये गये।

22. हैपीटीपीए प्रत्येक50 लाख रुपये केओरियन्टल बैंकऑफ कॉमर्स के दिनांक17 नवंबर 2017 के5 चेक भी लाया,यहकहते हुए कि वहएक वर्तमान शेयरधारकसे प्राप्त है।

23. हैपीटीपीए ने कंपनीकार्य मंत्रालयके 2003 के परिपत्रसं. 1 का भी संदर्भदिया जो वार्षिकआम सभा (एजीएम)मेंस्वीकरण के बादवार्षिक लेखोंको पुनः खोलने/ संशोधित करनेकी अनुमति देताहै। यह प्रस्तुतकिया गया कि वर्तमानमामले में सुधारेगये वार्षिक लेखोंको वार्षिआमसभा में स्वीकारकिया गया तथा विधिके अनुसार उन्हेंप्राधिकारियोंके पास फाइल कियागया एवं संबंधितप्राधिकारियोंने उन्हें स्वीकारकिया।

24. हैपीटीपीए द्वारा प्रस्तुतीकरणकिया गया कि उन्होंनेकभी कोई गलतबयानीनहीं की है तथाउन्होंने केवललेखों में असावधानीवशहुई एक त्रुटिको सुधारा है एवंकोई कारण नहींहै कि प्राधिकरणउनके साथ भेदभावरखे।

25. हैपीटीपीए ने वित्तीयवर्ष 2015-16 औरवित्तीय वर्ष2016-17 के लिए हैपीटीपीए और गणपतिप्रमोटर्स के लेखा-परीक्षितवित्तीय आंकड़ेभी दर्शाये हैंजिससे यह प्रदर्शितकिया जा सके किहैपी टीपीए कोदी गई रकम के तौरपर दीर्घावधि केअग्रिम के रूपमें गणपति प्रमोटर्सके लेखा-परीक्षितखातों में1 करोड़ रुपयेकी राशि दिखाईगई है। टीपीए नेप्रस्तुतीकरणकिया कि 1 करोड़रुपये की राशिको हैपी टीपीएद्वारा त्रुटिवशचालू देयता केरूप में दिखायागया तथा इस त्रुटिको बाद में उसीदिन सुधारा गया।लेखांकन की दोहरीप्रविष्टि की प्रणालीके मामले में गणपतिप्रमोटर्स के तुलन-पत्रमें दीर्घावधिअग्रिम को दीर्घावधिउधार को छोड़करतुलन-पत्रमें अन्य प्रकारसे नहीं दिखायाजा सकता। यह प्रस्तुतीकरणकिया गया कि उसनेइसे त्रुटिवश चालूदेयता के रूप मेंदर्शाया था जिसेउसी दिन सुधारागया था।

 

हैपीटीपीए के प्रस्तुतीकरणोंका समाधानः

26. यहकहा गया कि हैपीटीपीए के विरुद्धबताया गया मुख्यउल्लंघन यह हैकि उन्होंने आईआरडीए(टीपीए-स्वास्थ्यसेवाएँ) विनियम,2001 के विनियम3(4) के अंतर्गतअपेक्षित रूप में1 करोड़ रुपयेकी न्यूनतम कार्यशीलपूँजी की अपेक्षाको बनाये नहींरखा।

27. उपर्युक्तविनियम का पाठनिम्नानुसार हैः

"अपनेकार्यचालन के दौरानकिसी भी समय टीपीएके पास 1 करोड़रुपये से कम कार्यशीलपूँजी नहीं होगी।"

28. यहपाया गया कि हैपीटीपीए ने टीपीएलाइसेंस प्रदानकरने से लेकर अर्थात्वित्तीय वर्ष2012-13, वित्तीयवर्ष 2013-14 औरवित्तीय वर्ष2014-15 के लिए लगातार1 करोड़ रुपयेकी न्यूनतम कार्य़शीलपूँजी अपेक्षाको बनाये नहींरखा, जैसाकि यहाँ नीचे उल्लिखितहैः

राशि लाख रुपये में

क्रम सं.

वित्तीय वर्ष

चालू आस्ति

चालू देयता

कार्यशील पूँजी

()

1

2012-13

95.99

3.87

92.12

2

2013-14

93.37

21.03

72.34

3

2014-15

66.20

33.36

32.84

 

29. हैपीटीपीए के प्रस्तुतीकरणकि वह कार्यशीलपूँजी, ईक्विटीअपेक्षा आदि सहितविनियमों की सभीअपेक्षाओं को पूराकरने के लिए तैयारहै, पर विचारकिया गया। तथापि,यहस्पष्ट किया जाताहै कि पंजीकरणप्रमाणपत्र केनवीकरण का अस्वीकरणइस आदेश में उल्लिखितवित्तीय वर्षोंअर्थात् वित्तीयवर्ष 2012-13, वित्तीयवर्ष 2013-14 औरवित्तीय वर्ष2014-15 के लिए उसकेद्वारा न्यूनतमकार्यशील पूँजीकी अपेक्षाओं कोपूरा नहीं करनेके कारण है। हैपीटीपीए का तर्ककि इसी प्रकारकी परिस्थितियोंमें गोकुलम,यूनिवर्सलमेडीएड आदि कोजारी रखा गया/उनकानवीकरण किया गयायद्यपि उन्होंनेकार्यशील पूँजीकी अपेक्षा कोपूरा नहीं कियातथा कोई कारण नहींकि प्राधिकरण उसकेविरुद्ध भेदभावकरे, निम्नलिखितकारणों से स्वीकार्यनहीं हैः

क.   श्रीगोकुलम टीपीए केलाइसेंस का नवीकरणप्रथमतः यह ध्यानमें रखते हुए24.03.2011 से23.03.2014 की अवधि केलिए किया गया किउक्त टीपीए कंपनीने पूर्ववर्तीअवधि में कोई व्यवसायनहीं किया तथायह कि सभी व्यावसायिकप्रयोजनों के लिएउक्त टीपीए बाजारमें अस्तित्व मेंनहीं था। इस प्रकार,इसआश्वासन के आधारपर उक्त लाइसेंसका नवीकरण कियागया कि वह न्यूनतमकार्यशील पूँजीका अनुरक्षण करेगा।यह वर्ष 2011 मेंथा। बादमें, प्राधिकरणअधिक गहन समीक्षाकरता रहा तथा जबश्री गोकुलम कानवीकरण अपेक्षितथा, तब द्वितीयतः(24.03.2014 से23.03.2017 तक की अवधिके लिए) उसकेनवीकरण को अस्वीकारकिया गया जो उसकेद्वारा न्यूनतमकार्यशील पूँजीगतअपेक्षाओं का पालनलगातार नहीं करनेके कारण था। इसप्रकार, इनटीपीए की व्यावसायिकपृष्ठभूमि को ध्यानमें रखते हुए मैंनिश्चयपूर्वककहता हूँ कि श्रीगोकुलम और हैपीटीपीए के प्रतिकिया गया व्यवहारसमान है। इन प्रस्तुतीकरणोंपर कि श्री गोकुलमहेल्थ सर्विसेज़टीपीए का लाइसेंसनिरस्त किया गयाक्योंकि वह अपनेस्वयं के वचन कापालन नहीं किया,यहस्पष्ट किया जाताहै कि उक्त वचन-पत्रन्यूनतम कार्यशीलपूँजी को बनायेरखने से संबंधितहै तथा इस प्रकारकरने में उसकीविफलता को इसमेंसंदर्भित विनियमोंके उल्लंघन केरूप में माना गया,अतःश्री गोकुलम टीपीएके नवीकरण को अस्वीकारकिया गया।

ख.   मेडी-एडसर्विसेज़ लि.केमामले के संबंधमें माननीय दिल्लीउच्च न्यायालयने पाया कि कार्यशीलपूँजी की अपेक्षाको उक्त टीपीएद्वारा पूरा कियागया है जैसा किविनियमों में निर्धारितहै। तथापि,आईआरडीएआईद्वारा लगाई गईयह शर्त कि निवेशका अनुरक्षण केवलएक अनुसूचित बैंकमें ही किया जानाचाहिए, उच्चन्ययालय द्वारास्वीकार नहीं कियागया, क्योंकियह शर्त टीपीएविनियम, 2001 मेंनिर्धारित नहींहे। इस प्रकार,हैपीटीपीए द्वारा उल्लिखितउदाहरण तुलनीयनहीं है।

ग.    आगेयह भी स्पष्ट कियाजाता है कि स्फूर्तिटीपीए के मामलेमें नवीकरण कोआदेश संदर्भ सं.आईआरडीए/टीपीए/विविध/ओआरडी/229/12/2015दिनांक31.12.2015 के अनुसारअस्वीकृत कियागया क्योंकि इसटीपीए कंपनी नेन्यूनतम पूँजीगतअपेक्षाओं को पूरानहीं किया था। इसप्रकार, इसीप्रकार का व्यवहारहैपी टीपीए केविषय में भी कियागया।

 

30. हैपीटीपीए के प्रस्तुतीकरणोंकी जाँच की गई किप्राधिकरण को उनअन्यों के मामलोंको ध्यान में रखनाचाहिए जिन्हेंसतर्क किया गयाथा/ चेतावनीदी गई थी, जबकिआवेदक के प्रतिभेदभाव बरता जारहा है तथा यह किप्राधिकरण की यहनिरंतर प्रथा हैकि वह विभिन्नविनियमों/ दिशानिर्देशोंका पालन नहीं कियेजाने की स्थितिमें अनदेखी करे,चेतावनियाँजारी करे, दंडलगाये तथा यह किउसके मामले मेंइसका अनुसरण नहींकरने का औचत्यनहीं है। तथापि,हैपीटीपीए द्वारा विशिष्टदृष्टांतों कोउद्धृत नहीं कियागया। यहकहना होगा कि प्राधिकरणकी विनियामक कार्रवाइयाँप्राधिकरण द्वाराअधिसूचित विनियमोंऔर उनके अधीन प्रयोज्यसांविधिक उपबंधोंके ढाँचे के अंदरहैं। इसउदाहरण में,नवीकरणके लिए आवेदन कोअस्वीकृत करनेकी प्राधिकरण कीकार्रवाई आईआरडीए(टीपीएस्वास्थ्यसेवाएँ) विनियम,2001 के विनियम14(8) के साथ पढ़ेजानेवाले विनियम13 के अंदर है।

31. हैपीटीपीए के विवादपर कि लाइसेंसका नवीकरण नहींकरने के कारण अत्यंतकठिनाई हुई है,यहस्पष्ट किया जाताहै कि प्रत्येकटीपीए प्राधिकरणद्वारा स्थापितविनियामक ढाँचेके अधीन है।

32. इनप्रस्तुतीकरणोंकी जाँच की गई किसमर्थक दस्तावेजोंके साथ स्पष्टीकरण18 मई 2016 कोप्रस्तुत कियेगये थे और यह किदस्तावेज जो18 मई 2016 कोप्रस्तुत कियेगये थे वे यह दर्शातेहुए इलेक्ट्रॉनिकमेल के माध्यमसे 29 जून2016 को पुनः प्रस्तुतकिये गये कि कार्यशीलपूँजी विनियमोंका पालन करती है,तथाइस संबंध में टिप्पणियाँनिम्नानुसार हैं:

क)   दस्तावेजोंकी जाँच करने केबाद यह देखा गयाकि वित्तीय वर्ष2015-16 के लिए लेखा-परीक्षितवार्षिक रिपोर्टका पहला पाठ18 मई 2016 कोप्रस्तुत कियागया – जहाँ कार्यशीलपूँजी 47.08 लाखरुपये के रूप मेंसूचित की गई तथावित्तीय वर्ष2015-16 के लिए लेखा-परीक्षितवार्षिक रिपोर्टका दूसरा पाठ29 जून 2016 कोप्रस्तुत कियागया जहाँ कार्यशीलपूँजी 147.08 लाखके रूप में दर्शाईगई। मेरेसुविचारित मत में,जहाँवित्तीय वर्ष2015-16 के लिए वार्षिकरिपोर्ट की न्यूनतमकार्यशील पूँजीसे संबंधित अंतर्निहितखातों में महत्वपूर्णपरिवर्तन हैं,वहाँहैपी टीपीए यहदावा नहीं करेगाकि उन्होंने वहीदस्तावेज29 जून 2016 कोपुनः प्रेषित किया। इसप्रकार, उनकेप्रस्तुतीकरणस्वीकार्य नहींहैं।

ख)   आगेयह भी पाया गयाकि हैपी टीपीएके लेखा-परीक्षकोंने पहली रिपोर्टके वित्तीय आंकड़ोंमें परिवर्तन करनेऔर लेखा-परीक्षितरिपोर्ट का दूसरापाठ तैयार करनेके लिए किसी कारणका उल्लेख नहींकिया। यह तथ्यभी कि लेखा-परीक्षकोंने दूसरी लेखा-परीक्षारिपोर्ट तैयारकरने के लिए कारणविनिर्दिष्ट नहींकिया है, प्राधिकरणके दिनांक19 जुलाई 2016 केआदेश में स्पष्टकिया गया है।

ग)    हैपीटीपीए के प्रस्तुतीकरणोंपर कि कार्यशीलपूँजी का विषयदिशानिर्देशोंका उल्लंघन नहींबल्कि एक त्रुटिहै, यह स्पष्टकिया जाता है किवह वित्तीय वर्ष2012-13, वित्तीयवर्ष 2013-14 औरवित्तीय वर्ष2014-15 के लिए कार्यशीलपूँजी की अपेक्षाओंका पालन लगातारनहीं कर रहा है,जैसाकि इस आदेश मेंविवरण दिया गयाहै, जो कि इसआदेश में विनिर्दिष्टविनियामक उपबंधोंका एक उल्लंघनहै।

घ)    12जनवरी2018 को आयोजित वैयक्तिकसुनवाई में हैपीटीपीए द्वारा प्रस्तुत15 जुलाई 2016 कोसंपन्न वार्षिकआम सभा (एजीएम)केकार्यवृत्त सेयह पाया गया हैकि लेखा-परीक्षितवार्षिक रिपोर्टके कौन-सेपाठ को अंगीकृतकिया गया है इसकाकोई विशिष्ट उल्लेखनहीं है तथा वित्तीयवर्ष 2015-16 केलिए लेखा-परीक्षितवार्षिक रिपोर्टके दूसरे पाठ मेंकिये गये सुधारोंका भी कोई उल्लेखनहीं है। इस प्रकारयह पाया गया हैकि वार्षिक आमसभा (एजीएम)केकार्यवृत्त मेंवित्तीय वर्ष2015-16 के लिए लेखा-परीक्षितवार्षिक रिपोर्टके दूसरे पाठ केसंबंध में संपूर्णमहत्वपूर्ण जानकारीप्रकट नहीं कीगई है, जिसेमैं एक गंभीर चूकमानता हूँ।

ङ)     प्रदर्शए के रूप में माननीयप्रतिभूति अपीलीयन्यायाधिकरण(एसएटी) कोटीपीए द्वारा प्रस्तुत"लेखा-परीक्षारिपोर्ट का शुद्धिपत्र"से यह पाया गयाहै कि पहली लेखा-परीक्षारिपोर्ट पर अपराह्न12.15 बजे हस्ताक्षरकिये गये थे तथादूसरी लेखा-परीक्षारिपोर्ट पर हस्ताक्षरउसी दिन अर्थात्11 अप्रैल2016 को अपराह्न1.00 बजे किये गयेथे। साथ ही,यहभी पाया गया किलेखा-परीक्षकोंने भी यह उल्लेखकिया कि "मूलरूप में हमारेद्वारा हस्ताक्षरित31.03.2016 को समाप्तवित्तीय वर्ष केलिए लेखा-परीक्षकोंकी रिपोर्ट सहितवित्तीय आंकड़ोंकी समस्त प्रतिलिपिएवं निदेशकों सेपक्का अश्वासनकि उनके द्वाराकोई फोटोकॉपी नहींकी गई है, प्राप्तकरने पर हमने वित्तीयविवरण के साथ एकलेखा-परीक्षारिपोर्ट जारी कीथी जिसे हमारेद्वारा विधिवत्स्पष्ट किया गयाथा।" यहआश्चर्यजनक हैकि लेखा-परीक्षकोंद्वारा यह टिप्पणीकरने के बावजूदहैपी टीपीए नेन केवल 18.05.2016 कोपहला पाठ प्रस्तुतकिया, बल्किस्पष्ट रूप सेत्रुटि को समझनेके बाद 29.06.2016 कोदूसरा पाठ प्रस्तुतकिया। हैपी टीपीएने अपने लिखितप्रस्तुतीकरणमें निश्चयपूर्वककहा कि दूसरा पाठसही है। वित्तीयवर्ष 2015-16 केलिए लेखा-परीक्षितवार्षिक रिपोर्टके प्रस्तुतीकरणका समूचा तरीकामेरी राय में अधिकसंदेहास्पद है,इसलिएक्योंकि उक्त शुद्धिपत्रको लेखा-परीक्षितवार्षिक रिपोर्टके दूसरे पाठ काभाग नहीं बनायागया है। यह स्पष्टनहीं है कि उक्तटीपीए ने प्रथमतःपहला पाठ प्रस्तुतकिया, जबउनके अनुसार दोनोंपाठ एक ही दिन मेंतैयार किये गयेथे। अंतिम रूपसे, यह मानतेहुए भी कि उनकेदूसरे पाठ को विचरार्थलिया जाना चाहिए,यहकेवल वित्तीय वर्ष2015-16 के लिए कार्यशीलपूँजीगत अपेक्षाको आवृत करता है।यह भी नवीकरण प्रदानकरने के लिए योग्यनहीं है, क्योंकिविनियम 3(4) कीअपेक्षा पूरी नहींकी जाती। तदनुसार,मैंमहसूस करता हूँकि दूसरे प्रस्तुतीकरणमें की गई विशिष्टसुधारित प्रविष्टियोंकी जाँच-पड़तालकरने की आवश्यकतानहीं है।

च)    वैयक्तिकसुनवाई में हैपीटीपीए के इन प्रस्तुतीकरणोंकी जाँच की गई किभारत सरकार,वित्तऔर कंपनी कार्यमंत्रालय द्वाराजारी किये गये2003 के परिपत्रसं. 1 के अनुसारआईआरडीएआई के विनियमोंसहित अन्य कानूनोंकी अपेक्षाएँ पूरीकरने के लिए लेखोंको पुनः खोला जासकता है और उनकासंशोधन किया जासकता है। यह पायागया कि इसके अंदरउल्लिखित परिपत्रकिसी भी कंपनीको अन्य बातोंके साथ-साथअपने लेखों कोपुनः खोलने औरउन्हें संशोधितकरने की अनुमतिकेवल सही और उचितदृष्टिकोण प्रदर्शितकरने के उद्देश्यकी प्राप्ति हेतुकिसी अन्य कानूनकी तकनीकी अपेक्षाओंका पालन करने केलिए ही देता है। उपर्युक्त पैरामें की गई टिप्पणियोंको ध्यान में रखतेहुए इस प्रस्तुतीकरणके गुणों पर विचारकरने की आवश्यकतानहीं है।

 

33. इसप्रकार, यहदेखा जा सकता हैकि हैपी टीपीएआईआरडीए (टीपीएस्वास्थ्यसेवाएँ) विनियम,2001 के विनियम3(4) का उल्लंघनकरते हुए आईआईडीएआईद्वारा निर्धारितन्यूनतम कार्यशीलपूँजी की अपेक्षाएँपूरी करने मेंलगातार विफल रहाहै।

34. मैंहैपी टीपीए काध्यान प्राधिकरणके दिनांक19 जुलाई 2016 केअंतिम आदेश संदर्भःआईआरडीए/टीपीए/विविध/ओआरडी/140/07/2016केओर आकर्षित करताहूँ जिसमें यहस्पष्ट रूप सेउल्लेख किया गयाहै कि उक्त टीपीएन्यूनतम कार्यशीलपूँजीगत अपेक्षाओँको लगातार पूरानहीं कर रहा है।

 

प्राधिकरणका निर्णयः

35. उपर्युक्तकारणों से दिनांक08 दिसंबर2017 के अभ्यावेदनमें किये गये प्रस्तुतीकरणोंऔर दिनांक12 जनवरी 2018 कीवैयक्तिक सुनवाईमें किये गये प्रस्तुतीकरणोंकी समीक्षा करनेपर तथा आईआरडीए(टीपीएस्वास्थ्यसेवाएँ) विनियम,2001 के विनियम14 (8) के साथ पठितविनियम 13 केअंतर्गत मेरे पासनिहित शक्तियोंका विवेकपूर्णप्रयोग करते हुएमैं हैपी टीपीएद्वारा दाखिल कियेगये अभ्यावेदनमें कोई गुण पानेमें असमर्थ हूँतथा इस कारण सेमैं यह कहने केलिए बाध्य हूँकि प्राधिकरण हैपीटीपीए के नवीकरणआवेदन को अस्वीकारकरते हुए दियेगये दिनांक19 जुलाई 2016 केअपने अंतिम आदेशपर कायम है। हैपीटीपीए को निम्नलिखितका पालन करने केलिए सूचित कियाजाता हैः

क.   हैपीटीपीए को अपनीकंपनी के नाम सेशब्द टीपीए कोहटाने के लिए सूचितकिया जाता है तथायह कि वे टीपीएव्यवसाय नहीं करेंगे।

ख.   सभीबीमाकर्ता जिनकाहैपी टीपीए केसाथ टीपीए करारहै, किसी अन्यटीपीए, यदिकोई हो, कीनियुक्ति सहितऐसे वैकल्पिक कदमतत्काल उठाएँ,जोहैपी टीपीए द्वारासेवा प्रदत्त पॉलिसीधारकोंकी आवश्यकताएँपूरी करना जारीरखने के लिए आवश्यकहों।

ग.    हैपीटीपीए अपने द्वाराकिये गये टीपीएव्यवसाय से संबंधितडेटा संग्रहण एवंबहियाँ, अभिलेखअथवा दस्तावेजआदि संबंधित बीमाकर्ताओंको तत्काल प्रस्तुतकरेगा।

घ.    हैपीटीपीए उन पॉलसीधारकोंको, जिनकेसंबंध में पॉलिसियाँप्रचलित हैं,सेवाप्रदान करने केलिए उपयुक्त वैकल्पिकव्यवस्थाएँ करनेमें बीमा कंपनियोंके साथ सहयोग करेगा।

ङ.     हैपीटीपीए संबंधितबीमा कंपनियोंऔर नेटवर्क प्रदाताओं,यदिकोई हों, केसाथ विद्यमान खातोंका समाधान करेगाऔर उन्हें बंदकरेगा।

 

यह भी ध्यानरखा जाना चाहिएकि आईआरडीएआई(टीपीएस्वास्थ्यसेवाएँ) विनियम,2016 के विनियम10 (3) के उपबंधोंके अनुसार आवेदक,जिसकेविरुद्ध प्राधिकरणद्वारा पंजीकरणप्रमाणपत्र प्रदानकरने से अस्वीकरणका आदेश पारितकिया गया हो,ऐसेअस्वीकरण की तारीखसे दो वर्ष की अवधिके लिए टीपीए केरूप में पंजीकरणप्रमाणपत्र प्रदानकरने के लिए प्राधिकरणको नया आवेदन प्रस्तुतनहीं करेगा।

 

तदनुसार,माननीयसर्वोच्च न्यायालयके दिनांक20 नवंबर 2017 केआदेश का अनुपालनकरते हुए हैपीटीपीए के दिनांक08 दिसंबर2017 के अभ्यावेदनका निपटान कर दिया गयाहै।

 

सदस्य(गैर-जीवन)

 

स्थानःहैदराबाद

दिनांकः22-01-2018

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