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Title: अंतिम आदेश
Reference No.: आईआरडीएआई/ईएनएफ/ओआरडी/ओएनएस/006/01/2018
Date: 12/01/2018
मेसर्स नेट ऐम्बिट इंश्योरेंस ब्रोकिंग इंडिया लि.के मामले में अंतिम आदेश

दिनांक31 अक्तूबर2017 की कारण बताओनोटिस के उत्तरएवं भारतीय बीमाविनियामक और विकासप्राधिकरण,तृतीय तल,परिश्रमभवन, बशीरबाग, हैदराबादमें सदस्य(गैर-जीवन)द्वारा लीगई 08 दिसंबर2017 को पूर्वाह्न11.00 बजे आयोजितवैयक्तिक सुनवाईके दौरान कियेगये प्रस्तुतीकरणोंके आधार पर।

 

पृष्ठभूमिः-

भारतीयबीमा विनियामकऔर विकास प्राधिकरण(इसमें इसकेबाद "प्राधिकरण"केरूप में उल्लिखित)ने17-02-2016 से22-02-2016 तक के दौरानमेसर्स नेट ऐम्बिटइंश्योरेंस ब्रोकिंगइंडिया लि.(इसमें इसकेबाद "दलाल"केरूप में उल्लिखित)कास्थान पर (ऑनसाइट)निरीक्षणकिया। प्राधिकरणने दलाल की टिप्पणियोंकी अपेक्षा करतेहुए निरीक्षण रिपोर्टकी एक प्रति प्रेषितकी तथा दलाल कीटिप्पणियाँ दिनांक01-07-2016 के उनके पत्रद्वारा प्राप्तकी गईं। दलाल केद्वारा किये गयेप्रस्तुतीकरणोंकी जाँच करने केबाद प्राधिकरणने 31-10-2017 कोकारण बताओ नोटिसजारी की जिसकाउत्तर दलाल केद्वारा दिनांक16-11-2017 के पत्र केद्वारा दिया गया। जैसाकि उसमें अनुरोधकिया गया, लालको 08 दिसंबर2017 को एक वैयक्तिकसुनवाई का अवसरदिया गया। उक्तसुनवाई में दलालकी ओर से श्री प्रदीपकुमार चौधरी,प्रधानअधिकारी और श्रीपंकज सचदेवा,सीएफओउपस्थित थे। प्राधिकरणकी ओर से श्री पी.जे.जोसेफ,सदस्य(गैर-जीवन),श्रीरणदीप सिंह जगपाल,मुख्यमहाप्रबंधक(मध्यवर्ती),श्रीप्रभात कुमार मैती,महाप्रबंधक(प्रवर्तन),औरश्री चंदन सिंह,सहायक(प्रवर्तन)उक्तवैयक्तिक सुनवाईके दौरान उपस्थितथे।

कारण बताओनोटिस के लिए अपनेलिखित उत्तर मेंदलाल के द्वाराकिये गये प्रस्तुतीकरणोंऔर वैयक्तिक सुनवाईके दौरान कियेगये प्रस्तुतीकरणोंतथा कारण बताओनोटिस के उत्तरमें एवं वैयक्तिकसुनवाई में अपनेप्रस्तुतीकरणोंके साक्ष्य मेंदलाल के द्वाराप्रस्तुत कियेगये दस्तावेजोंपर प्राधिकरण केद्वारा विचार कियागया और तदनुसारआरोपों पर लियेगये निर्णय काविवरण नीचे दियाजाता है।

1.  आरोपसं. 1

एकग्राहक की6 (छह) पॉलिसियोंका नमूना जाँचकरने पर यह पायागया कि 3 (तीन)वित्तीयसेवा परामर्शदाता(एफएससी),जिन्होंनेपॉलिसियाँ प्राप्तकरते समय दलालका प्रतिनिधित्वकिया था, दलालके कर्मचारियोंकी सूची में नहींहैं। दलाल की एमआईएसमें इन पॉलिसियोंके अभिलेखों कीआगे और जाँच करनेपर यह पाया गयाकि दलाल की ओर सेइन पॉलिसियों कासमापन एक ऐसे कर्मचारीके द्वारा कियागया जो एफएससीसे भिन्न है,जैसाकि प्रस्ताव फार्ममें बताया गयाहै। तथापि,दलालका कोई भी कर्मचारीझारखंड राज्य मेंजहाँ से इन पॉलिसियोंका स्रोतीकरण कियागया था और उस अवधिके दौरान जब येपॉलिसियाँ जारीकी गई थीं, कार्यनहीं कर रहा था।अतः यह माना जासकता है कि इन पॉलिसियोंकी अपेक्षा अनुयाचकोंके रूप में एक अन्यपक्षकार संस्थाकी सहायता से कीजा रही थी। इसकेअतिरिक्त,यहपाया गया कि दलालके द्वारा किरायेपर लिये गये कुछकर्मचारियों केपास उनका अपनावैयक्तिक एजेंटलाइसेंस है। अतःइसने आईआरडीए(बीमा दलाल)विनियम,2013 के विनियम28 के अधीन अनुसूचीVI-ए के खंड3() केअनुसार आचरण संहिताका उल्लंघन कियाहै, जिसमेंयह निर्धारित कियागया है कि "प्रत्येकबीमा दलाल यह पुष्टिकरेगा कि वह व्यवसायको लाने के लिएएजेंटों अथवा अनुयाचकोंको नियुक्त नहींकरेगा"

 

दलालके प्रस्तुतीकरणः-

दलालने प्रस्तुतीकरणकिया कि वह बीमाव्यवसाय प्राप्तकरने के लिए दूरस्थविपणन (डिस्टैंसमार्केटिंग) कीपद्धति का अनुसरणकरता रहा है;अतःवह झारखंड मेंबीमा व्यवसाय कीअपेक्षा कर पारहा है। उसने किसीएजेंट अथवा अनुयाचककी सेवाओं का उपयोगनहीं किया है।वह उन मामलों मेंबीमा कंपनी कीसहायता लेता रहाहै जिनमें उसकेपास कोई स्थानीयप्रतिनिधि नहींहै। उसने पुष्टिकी कि उसने किसीभी क्षमता मेंसंबंधित एफएससीकी नियुक्ति नहींकी है तथा यह प्रतीतहोता है कि वे बीमाकर्ताकी ओर से अथवा बीमाकृतव्यक्तियों कीओर से कार्य कररहे हैं। उनकेसाथ किसी प्रतिफलअथवा दलाली कीसाझेदारी नहींकी गई है।

 

दलालने यह भी प्रस्तुतीकरणकिया है कि वह पर्याप्तसावधानी बरतताहै तथा प्रत्येककर्मचारी से वचन-पत्रलेता है कि वह रोजगारकी अवधि के दौरानकिसी भी व्यावसायिकगतिविधि में भागनहीं लेगा/लेगी। वैयक्तिककर्मचारियों द्वारादिये गये वचन-पत्रोंके आधार पर वह सद्भावनाके साथ उनकी भर्तीकरता है।

 

निर्णयः-

निरीक्षणकी अवधि के दौरानदलाल से प्राप्तकिये गये प्रस्तावफार्मों की प्रतियाँयह दर्शाती हैंकि पॉलिसियाँ ऐसेव्यक्तियों द्वाराप्राप्त की गईहैं जिन्हें दलालअपने कर्मचारियोंके रूप में माननेसे इनकार कर रहाहै। कारण बताओनोटिस के उत्तरमें दलाल ने इनव्यक्तियों कीपहचान के बारेमें पूरी अनभिज्ञतादर्शाई है,जिन्होंनेदलाल की ओर से वित्तीयसेवा परामर्शदाताओं(एफएससी)के रूप मेंप्रस्ताव फार्मपर हस्ताक्षर कियेहैं। इन छह पॉलिसियोंमें से चार पॉलिसियोंमें उक्त एफएससीने दलाल की मुहरका उपयोग करतेहुए प्रस्ताव फार्मोंपर हस्ताक्षर कियेहैं। दलाल ने इनव्यक्तियों केहस्ताक्षर और प्रस्तावफार्मों पर अपनीमुहर के उपयोगको स्पष्ट करनेमें विफल हुआ है।इसके अलावा,यह टिप्पणीकेवल छह पॉलिसियोंके नमूने के आधारपर है, जोयह निर्दिष्ट करताहै कि ऐसे और भीउदाहरण हो सकतेहैं।

 

छहपॉलिसियों मेंसे ये चार पॉलिसियाँ,जिनकी अपेक्षाअनुयाचकों के रूपमें एफएससी कीनियुक्ति के द्वाराकी गई थी, आईआरडीए(बीमा दलाल)विनियम,2013 के विनियम28 के अंतर्गतअनुसूचीVI-ए के खंड3() केउल्लंघन के पुष्टीकृतमामले हैं। इसकेअलावा, इनपॉलिसियों की अपेक्षाचार अलग-अलगदिनांकों पर कीगई थी। अतः धारा102()के अंतर्गतअपने में निहितशक्तियों का प्रयोगकरते हुए,प्राधिकरणउक्त दलाल पर4,00,000/- रुपये(केवल चारलाख रुपये)का अर्थ-दंडलगाता है जिसकीगणना चार दिन केलिए प्रति दिनएक लाख रुपये केआधार पर की गई हैजिस अवधि के दौरानयह देखा गया हैकि उक्त उल्लंघनजारी रहा है। इसकेअतिरिक्त,दलाल को यहनिर्देश दिया गयाहै कि वह आईआरडीए(बीमा दलाल)विनियम,2013 के विनियम28 के अंतर्गतअनुसूचीVI-ए के खंड3() काअक्षरशः अनुपालनसुनिश्चित करे।

 

2.  आरोपसं. 2:-

दलालने टेली-कॉलरोंकी सूची प्रस्तुतकी तथा यह पायागया कि सत्ताईस(27) टेली- कॉलरदिल्ली में कार्यकर रहे थे। निरीक्षणटीम ने दिल्लीस्थित दलाल केटेली-कॉलिंगकेन्द्र का निरीक्षणकिया तथा यह पायागया कि उस केन्द्रमें कुल 92 व्यक्तिकार्य कर रहे थे।यह सूचित कियागया कि उनमें से90 टेली-कॉलरके रूप में कार्यकर रहे थे। अतःनिरीक्षण टीम कोगलत सूचना दी गईथी तथा दलाल व्यावसायिकतरीके से कार्यनहीं कर रहा है।

 

प्राधिकरणने दिनांक31.07.2015 के अपने पत्रके द्वारा दलालको अगली सूचनातक टेली-कॉलिंगपरिचालन बंद करनेके लिए सूचित कियाथा तथा उसके बादउसको दिनांक18.01.2016 के पत्र केद्वारा इस प्रकारकरने की अनुमतिदी गई थी। टेली-कॉलिंगप्रयोजन के लिएप्रयुक्त की जारही एक प्रणालीमें यह पाया गयाकि अभिलेख उस अवधिके लिए भी उपलब्धहै जब टेली-कॉलिंगअनुमति-योग्यनहीं था। अतः प्राधिकरणद्वारा अनुदेशदिये जाने के बावजूददलाल ने टेली-कॉलिंगकार्य को बंद नहींकिया।

 

दलालके प्रस्तुतीकरणः-

दलालने प्रस्तुतीकरणकिया कि उसने27 टेली-कॉलरोंकी सूची उपलब्धकराई जो 2011 मेंजारी किये गयेदूरस्थ विपणन संबंधीदिशानिर्देशोंके अंतर्गत कीगई अपेक्षा केलिए प्रमाणित आधारथी। निरीक्षण केदौरान प्रतिबिंबित92 कर्मचारियोंमें निम्नलिखितशामिल थेः

1.  27 सेअधिक टेली-कॉलरजो वास्तव मेंकॉलिंग कर रहेथे।

2.  58 कर्मचारीदूरस्थ विपणन संबंधीदिशानिर्देशोंके अंतर्गत अपेक्षितरूप में आवश्यकप्रशिक्षण प्राप्तकर रहे थे।

3.  7 कर्मचारीसहायक कार्यसे थे।

 

निरीक्षणटीम द्वारा निरीक्षणकिये गये टेली-कॉलिंगकेन्द्र में कार्यरत92 व्यक्ति व्यवसायप्राप्त करने केप्रयोजन के लिएटेली-कॉलिंगमें पूर्णतः नियुक्तनही थे। प्रशिक्षित27 टेली-कॉलरोंको छोड़कर उनमेंसे किसी का भी उपयोगव्यवसाय की प्राप्तिके लिए नहीं कियागया। उनमेंसे कुछ को क्षेत्रप्रशिक्षण प्राप्तकरने के लिए उक्तकेन्द्र में नियोजितकिया गया था तथाशेष व्यक्तियोंका उपयोग निरंतरताकॉलिंग के लिएकिया गया जिसकेलिए दूरस्थ विपणनदिशानिर्देशोंमें विनिर्दिष्टकिसी योग्यता कीआवश्यकता नहींथी।

 

दलालने प्रस्तुतीकरणकिया कि उसने प्राधिकरणके निर्देशों कापालन किया तथा31 जुलाई 2015 से 18 जनवरी2016 तक की अवधि के दौरानदूर-विपणन (टेली-मार्केटिंग)में लिप्त नहींरहा। अनुबंधोंमें वर्णित विवरणको सर्विस कॉलोंके प्रयोजन केलिए वैयक्तिक प्रणालीमें अद्यतन कियागया।

 

निर्णयः-

स्थानपर (ऑनसाइट) निरीक्षणके दौरान प्राप्तकिये गये दस्तावेजोंकी जाँच करने परयह स्पष्ट है किस्थान पर निरीक्षणके दौरान दलालके द्वारा आपूर्तिकिये गये रूप में दिल्ली कार्यालयसे संबंधित टेली-कॉलरोंकी संख्या (27) और उसीस्थान से जो वास्तवमें व्यवसाय प्राप्तकर रहे थे उनकीसंख्या (92) (जैसी किदलाल की प्रणालीसे प्राप्त कीगई है) के बीच विभिन्नताहै। दलाल इस असंगतिको स्पष्ट नहींकर सका जिसका निहितार्थयह है कि दलाल नेस्थान पर निरीक्षणके दौरान गलत आंकड़ेसूचित किये तथायह निर्दिष्ट करताहै कि दलाल ने व्यावसायिकतरीके से कार्यनहीं किया। यहआईआरडीए (बीमादलाल) विनियम, 2013 केविनियम 28 की अनुसूचीVI-ए के खंड 1 का उल्लंघनहै। इस उल्लंघनके लिए दलाल कोचेतावनी दी गईहै तथा यह सुनिश्चितकरने के लिए निर्देशदिया गया है किइस प्रकार के उल्लंघनकी पुनरावृत्तिन हो।

 

प्राधिकरणने दिनांक 31 जुलाई2015 के अपने पत्र केद्वारा दलाल कोकिसी भी प्रकारके दूर-विपणन संबंधीकार्यकलाप न करनेके लिए निर्देशदिया। इसके अलावा,दिनांक 18 जनवरी2016 के पत्र के द्वाराप्राधिकरण ने दलालको दूर-विपणन केकार्यकलाप आंतरिकरूप से (इन-हाउस)संचालित करने कीअनुमति दी तथाकिसी बाहरी दूर-विपणनकर्ता(टेली-मार्केटर)का उपयोग न करनेके लिए कहा। अतःउक्त अवधि (31 जुलाई2015 से 17 जनवरी 2016 तक)के दौरान दलालके लिए आंतरिकरूप से अथवा बाह्यदूर-विपणनकर्ताका उपयोग करतेहुए किसी भी रूपमें दूर-विपणन(टेली-मार्केटिंग)नहीं करना चाहिएथा। परंतु स्थानपर प्रत्यक्ष(ऑन-साइट) निरीक्षणके दौरान संगृहीतदस्तावेजी साक्ष्योंसे यह स्पष्ट हैकि दलाल ने उस अवधिके दौरान जिसमेंदलाल को टेलीमार्केटिंगनहीं करने के लिएनिर्देश दिया गयाथा, अग्रता उत्पादनके बहाने व्यवसायकी अपेक्षा करनेके लिए व्यक्तियोंको नियुक्त किया,जिन्हें बाद मेंटेली-कॉलरों केरूप में लगायागया।

 

भारतीयदूरसंचार विनियामकप्राधिकरण (टीआरएआई)द्वारा जारी कियेगये दूर-विपणनकर्ताओंके लिए दिशानिर्देशोंके अनुसार; "दूर-विपणनकर्ता"(टेलीमार्केटर)से वाणिज्यिक सूचनाओंके संप्रेषण कीगतिविधि में नियुक्तव्यक्ति अथवा वैधसंस्था अभिप्रेतहै तथा "वाणिज्यिकसंचार" से दूरसंचारसेवा के माध्यमसे प्रेषित कोईसंदेश, वॉइस अथवाएसएमएस अभिप्रेतहै जो माल, निवेशअथवा सेवाओं सेसंबंधित किसी वाणिज्यिकलेनदेन के बारेमें सूचित करने,अथवा उसकी अपेक्षाकरने अथवा उसकासंवर्धन करने केप्रयोजन के लिएसंप्रेषित है।

 

दूरस्थविपणन (डिस्टैंसमार्केटिंग) संबंधीआईआरडीए के दिनांक05.04.2011 के दिशानिर्देशके पैरा 1(क) के अनुसार"अग्रता उत्पादन"टेलीमार्केटिंगअथवा "दूरस्थ विपणन"का एक कार्यकलापहै। साथ ही, कारणबताओ नोटिस केउत्तर में दलालने सहमति दी किकथित अवधि के दौरानटेलीकॉलिंग केमाध्यम से अग्रताउत्पादन दलाल केअपने कर्मचारियोंद्वारा किया गया। अतः दूरसंचार सेवाके माध्यम से कियागया कोई भी "अग्रताउत्पादन" दूरविपणनका ही एक रूप है।

 

स्थानपर (ऑनसाइट) निरीक्षणके दौरान संगृहीतसाक्ष्य के अनुसारऐसी 19 (उन्नीस) पॉलिसियोंका एक पुष्टीकृतमामला है जिनकीअपेक्षा उस अवधिके दौरान 16 (सोलह)अलग-अलग तारीखोंपर की गई (अग्रताउत्पन्न की गईऔर बंद की गई) जिसअवधि में दलालको आंतरिक रूपसे अथवा बाहरीदूर-विपणनकर्ताका उपयोग करतेहुए किसी भी रूपमें दूरविपणन(टेलीमार्केटिंग)नहीं करने के लिएनिर्देश दिया गया।यह 31 जुलाई 2015 को जारीकिये गये प्राधिकरणके निर्देश कापालन करने मेंविफलता है। अतःउपर्युक्त विफलताके लिए, धारा 102(ख)के अंतर्गत अपनेमें निहित शक्तियोंका प्रयोग करतेहुए, प्राधिकरण16,00,000/- रुपये (केवल सोलहलाख रुपये) का अर्थ-दंडलगाता है जिसकीगणना 16 दिन के लिएप्रति दिन एक लाखरुपये के आधारपर अर्थात् ऐसेप्रत्येक दिन केलिए एक लाख रुपयेकी दर से की गई जिसकेदौरान ऐसी विफलताजारी रही। इसकेअतिरिक्त, दलालको आईआरडीए (बीमादलाल) विनियम, 2013 केविनियम 23(1) का कड़ाईसे पालन करने केलिए निर्देश दियागया।

 

 

3. निर्णयोंका सारांशः

इसआदेश में निर्णयोंका सारांश निम्नानुसारहैः

 

आरोप सं.

आरोप का संक्षिप्त शीर्षक और उल्लंघन किये गये उपबंध

निर्णय

1

आरोपः एजेंटों और अनुयाचकों को नियुक्त करना

उपबंधः आईआरडीए (बीमा दलाल) विनियम, 2013 के विनियम 28 के अंतर्गत अनुसूची VI-ए का खंड 3(ख)

4 लाख का अर्थ-दंड और निर्देश

2

आरोपः आचरण-संहिता

उपबंधः आईआरडीए (बीमा दलाल) विनियम, 2013 के विनियम 28 के अंतर्गत अनुसूची VI-ए का खंड 1

16 लाख का अर्थ-दंड और निर्देश

 

4.  जैसाकि संबंधित आरोपोंके अंतर्गत निर्देशदिया गया है, दलालके द्वारा 20,00,000/- रुपये(केवल बीस लाख रुपये)का अर्थ-दंड इसआदेश की प्राप्तिकी तारीख से 15 दिनकी अवधि के अंदरएनईएफटी/ आरटीजीएसके माध्यम से विप्रेषितकिया जाएगा (जिसकाविवरण अलग से सूचितकिया जाएगा)। विप्रेषणकी सूचना श्रीप्रभात कुमार मैती,महाप्रबंधक (प्रवर्तन)को भारतीय बीमाविनियामक और विकासप्राधिकरण, सर्वेसं. 115/1; फाइनैंशियलडिस्ट्रिक्ट; नानकरामगूडा;गच्चीबौली; हैदराबादके पते पर दी जाए।

5.  दलालइस आदेश के पैरा1 और 2 में उल्लिखितसभी निर्देशोंके संबंध में अनुपालनकी पुष्टि इस आदेशकी प्राप्ति कीतारीख से 21 दिन केअंदर करेगा। यहआदेश दलाल की लेखा-परीक्षासमिति के समक्षएवं बोर्ड की तत्कालअगली बैठक मेंभी प्रस्तुत कियाजाएगा तथा दलालविचार-विमर्श केकार्यवृत्त कीएक प्रति प्राधिकरणको प्रस्तुत करेगा।

6.  यदिदलाल इस आदेश मेंनिहित किसी भीनिर्णय से असंतुष्टहै, तो बीमा अधिनियम,1938 की धारा 110 के अनुसारप्रतिभूति अपीलीयन्यायाधिकरण (एसएटी)के समक्ष अपीलप्रस्तुत की जासकती है।

 

(पी. जे. जोसेफ

सदस्य (गैर-जीवन)

स्थानःहैदराबाद

दिनांकः10 जनवरी 2018

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