सरकारीराजपत्र में 14 दिसंबर2016 को अधिसूचितआईआरडीएआई के(बीमा एजेंटअथवा बीमा मध्यवर्तियोंको कमीशन, पारिश्रमिकअथवा प्रतिफल काभुगतान) विनियम,2016 की ओर ध्यानआकर्षित किया जाताहै।
I.- विनियम6 – बीमाकर्ताओंद्वारा वैयक्तिकएजेंट अथवा बीमामध्यवर्तियोंको प्रतिफल
1. विनियम6(घ) और 6(ङ) बीमाकर्ताओंद्वारा वैयक्तिकएजेंट अथवा बीमामध्यवर्तियोंको प्रतिफल निर्धारितकरता है जिसकापाठ निम्नानुसारहैः
(घ)प्रतिफल – जीवन बीमाकर्ता
(i) जीवनबीमा में प्रतिफलका परिकलन क्रमशःबीमा एजेंटों औरबीमा मध्यवर्तियोंके
लिए एकसमग्र आधार परकिया जाना चाहिएऔर बीमा एजेंटअथवा बीमा मध्यवर्ती
द्वाराअपेक्षित प्रत्येकपॉलिसी के साथसंबद्ध नहीं कियाजाना चाहिए।
(ii) प्रतिफलबीमा एजेंटों औरबीमा मध्यवर्तियोंको अदा किये गयेप्रथम वर्ष कमीशन
अथवापारिश्रमिक के20% से अधिक नहींहोगा।
(ङ)प्रतिफल – स्वास्थ्य बीमासहित साधारण बीमा
(I) साधारणबीमा में प्रतिफलबीमा एजेंटों औरबीमा मध्यवर्तियोंके लिए क्रमशः
स्वास्थ्यबीमा और स्वास्थ्यबीमा को छोड़करअन्य बीमा के लिएअलग-अलग
परिकलितकिया जाना चाहिएतथा इसे बीमा एजेंटअथवा बीमा मध्यवर्तीद्वारा
अपेक्षितप्रत्येक पॉलिसीके साथ संबद्धनहीं किया जानाचाहिए।
(ii) प्रतिफलबीमा एजेंटों औरबीमा मध्यवर्तियोंको अदा किये गयेकमीशन अथवा
पारिश्रमिकके 30% से अधिकनहीं होगा।
2. आईआरडीएके (बीमा विपणनफर्म) विनियम,2015 के अंतर्गतबीमा विपणन फर्मके
लिए पारिश्रमिकको नियंत्रित करनेवालेनियम निम्नानुसारहैं :
अनुसूची-IV
बीमा विपणन फर्मको नियंत्रित करनेवालेनियम
भाग-I - बीमा विपणनफर्म को देय पारिश्रमिक
(1) बीमाकर्ताबीमा विपणन फर्मद्वारा बीमा पॉलिसियोंकी अपेक्षा करनेऔर उन्हें प्राप्तकरने के लिए समस्तपारिश्रमिक केवलसंबंधित बीमा विपणनफर्म को ही करेगा, और किसीअन्य व्यक्ति अथवासंस्था को नहीं।
(2) आईएसपीद्वारा पॉलिसियोंकी अपेक्षा केलिए बीमाकर्ताद्वारा बीमा विपणनफर्म को देय पारिश्रमिकसमय-समय पर यथासंशोधितअधिनियम की धारा40(1) और 40(2) के अधीनप्राधिकरण द्वारासमय-समय परनिर्धारित रूपमें होगा।
इसकेअतिरिक्त, बीमाविपणन फर्म जीवनबीमा कंपनियोंसे शुल्क अथवाप्रभार केवल अपनेआईपीएस की भर्ती,प्रशिक्षण औरपरामर्शत्व (मेंटरिंग) के लिए सेवा प्रभारोंके रूप में ही प्राप्तकर सकता है। येशुल्क अथवा प्रभारबीमा विपणन फर्मके द्वारा प्राप्तकिये गये प्रथमवर्ष कमीशन के50% और नवीकरण कमीशनके 10% से अधिकनही होंगे। साधारण/स्वास्थ्य बीमाव्यवसाय के मामलेमें ऐसा कोई भुगताननहीं किया जाएगा।जीवन बीमा कंपनियोंके लिए बीमा विपणनफर्म को ऐसे शुल्कअथवा प्रभारोंके भुगतान के संबंधमें फाइल एण्डयूज़ दिशानिर्देशोंके अधीन अपने उत्पादोंको फाइल करने केसमय प्रारंभ मेंही प्राधिकरण कोप्रकट करना होगा।
(3) बीमा विपणन फर्मबीमा सेवा कार्यकलापकरने हेतु शुल्कप्राप्त करने केलिए भी पात्र होगाजैसा कि विनियम3(ख) में उल्लिखितहै जिस प्रकारसे बीमा विपणनफर्म और बीमा कंपनीके बीच पारस्परिकतौर पर सहमति कीगई हो जो समय औरप्रयास के आधारपर उचित होगा तथाजो शुल्क को स्पष्टरूप से प्रस्तुतकरने के आधार सहितप्रारंभ में कियेगये एक करार द्वाराप्रमाणित होनाचाहिए।
(4) बीमा विपणनफर्म के द्वारानियोजित एफएसईद्वारा की गई सेवाओंके लिए वित्तीयसंस्थाओं से `लागूसेवा प्रभार~प्राप्त करनेके लिए भी बीमाविपणन फर्म पात्रहोगा।
(5) बीमा विपणनफर्म के पारिश्रमिकके संबंध में बीमाकर्ताओंद्वारा खातों कानिपटान मासिक आधारपर किया जाएगा।
1. यह पाया गया किबीमा विपणन फर्मजीवन बीमा कंपनियोंसे शुल्क अथवाप्रभार केवल अपनेआईपीएस की भर्ती, प्रशिक्षणऔर परामर्शत्व(मेंटरिंग)के लिए सेवाप्रभारों के रूपमें ही प्राप्तकर सकता है। ये शुल्कअथवा प्रभार आईएमएफद्वारा प्राप्तकिये गये प्रथमवर्ष कमीशन के50% और नवीकरण कमीशनके 10% से अधिकनहीं होंगे। साधारण/ स्वास्थ्यबीमा व्यवसाय केमामले मे ऐसा कोईभुगतान नहीं कियाजाएगा।
1. उपर्युक्त केआलोक में यह ध्यानरखा जाए कि आईआरडीएके (बीमा विपणन फर्म)विनियम, 2015 के अधीन जीवनबीमाकर्ता से बीमाविपणन फर्म द्वाराप्राप्त किये गयेशुल्क अथवा प्रभारोंके संबंध में आईआरडीएआईके (बीमा एजेंटअथवा बीमा मध्यवर्तियोंको कमीशन, पारिश्रमिकअथवा प्रतिफल)विनियम, 2016 के अधीन प्रतिफलोंसे भिन्नता है।
2. इस स्थिति केहोते हुए कि प्राधिकरणने सीएससी-एसपीवीऔर सूक्ष्म बीमाएजेंटों को आईआरडीएआईके (बीमा एजेंटअथवा बीमा मध्यवर्तियोंको कमीशन, पारिश्रमिकअथ#2357;ा प्रतिफल काभुगतान) विनियम,2016 के अंतर्गतशामिल नहीं कियाहै जिन्हें उनकेसंबंधित विनियमोंसे मार्गदर्शनमिलता है, हमसंस्था के स्वरूपऔर उसके द्वाराप्राप्त किये गयेव्यवसाय को ध्यानमे रखते हुए जीवनबीमा व्यवसाय केलिए प्रतिफलोंके परिचालन सेबीमा विपणन फर्मको अपवर्जित करसकते हैं।
3. अतः यह प्रस्तावितहै कि बीमा विपणनफर्म को एक अलगव्यवस्था (कार्व-आउट) प्रदानकर सकते हैं जिसमेंबीमा विपणन फर्मके लिए जीवन बीमाव्यवसाय हेतु प्रतिफलआईएमएफ विनियमोंके द्वारा नियंत्रितहोंगे।
II – स्वास्थ्य– सरकारी योजना– अनुसूची-II – स्वास्थ्य बीमा(साधारण और स्टैंड-अलोन स्वास्थ्यबीमाकर्ता) – विनियम 5(ग)
1. आईआरडीएआई के (बीमाएजेंट अथवा बीमामध्यवर्तियोंको कमीशन, पारिश्रमिकअथवा प्रतिफल काभुगतान) विनियम,2016 का खंड 5(ग)का पाठ निम्नानुसारहैः
"साधारणबीमाकर्ताओं अथवास्टैंडअलोन स्वास्थ्यबीमाकर्ता द्वाराप्रस्तावित स्वास्थ्यबीमा उत्पादोंके अंतर्गत देयअधिकतम कमीशन अथवापारिश्रमिक अनुसूची-IIमें दिया गयाहै।
अनुसूची – II
स्वास्थ्यबीमा (साधारण औरस्टैंड-अलोनस्वास्थ्य बीमाकर्ता)– विनियम 5(ग)
प्रीमियमके प्रतिशत केरूप में अधिकतमकमीशन अथवा पारिश्रमिकजिसकी अनुमति साधारणबीमाकर्ताओं अथवास्टैंड-अलोन स्वास्थ्यबीमाकर्ताओं द्वारास्वास्थ्य बीमाके लिए दी गई है,निम्नानुसारहैः
क्रम सं. | व्यवसाय की व्यवस्था | बीमा एजेंटों / बीमा मध्यवर्तियों को देय अधिकतम कमीशन / पारिश्रमिक |
5 | स्वास्थ्य – सरकारी योजना | जैसा कि सरकारी योजना/ अधिसूचना में विनिर्दिष्ट किया गया है, अन्यथा स्वास्थ्य- समूह (केवल नियोक्ता-कर्मचारी) – वार्षिक खंड |
2. प्राधिकरणको अभ्यावेदन प्राप्तहुए हैं कि खंड "स्वास्थ्य-समूह (केवलनियोक्ता-कर्मचारी)– वार्षिक खंड"के संबंध मेंयह प्रतीत होताहै कि यह ऐसा बोधकराता है कि यदिसरकारी स्वास्थ्ययोजना बीमा एजेंटअथवा बीमा मध्यवर्तीको अदा किया जानेवालाकमीशन / पारिश्रमिकनिर्दिष्ट नहींकरती तो सरकारीस्वास्थ्य योजना7.5% के अधिकतम कमीशन/ पारिश्रमिकके लिए पात्र/ हकदार होगी।
3. तथापि, प्राधिकरणका आशय वह नहींथा। यदि कमीशन/ पारिश्रमिकसरकारी योजना मेंविनिर्दिष्ट नहींकी गई है तो वह"शून्य" है। अन्यथा कमीशन/ पारिश्रमिकस्वास्थ्य योजनामें सरकार द्वाराविनिर्दिष्ट रूपमे होगा।
4. इसके अलावा, उपर्युक्तप्रस्ताव अनुसूची-I– जीवन बीमा– विनियम 5(ख) – सारणी-I– नियमित प्रीमियमके अनुरूप होगजो यह कहता है किसरकारी योजना– जीवन – स्वास्थ्यके लिए अधिकतमकमीशन / पारिश्रमिकसरकारी अधिसूचनाके अनुसार होगा।
5. अतः यह सिफारिशकी जाती है कि खंड"स्वास्थ्य– समूह (केवलनियोक्ता-कर्मचारी)– वार्षिक खंडअन्य" हटाया जासकता है।
III – मोटर(व्यापक) – अनुसूची-IV – मोटर बीमा – विनियम 5(ङ)
1. अनुसूची-IV – मोटरबीमा – आईआरडीएआईके (बीमा एजेंटअथवा बीमा मध्यवर्तियोंको कमीशन, पारिश्रमिकअथवा प्रतिफल काभुगतान) विनियम,2016 का विनियम5(ङ) का पाठनिम्नानुसार हैः
"अनुसूची-IV
मोटर बीमा – विनियम5(ङ)
प्रीमियमके प्रतिशत केरूप में अधिकतमकमीशन अथवा पारिश्रमिकजिसकी अनुमति साधारणबीमा (मोटर) केलिए दी गई है, निम्नानुसारहैः
क्रम सं. | व्यवसाय की व्यवस्था | बीमा एजेंटों / बीमा मध्यवर्तियों को देय अधिकतम कमीशन / पारिश्रमिक |
1 | मोटर (व्यापक) * | 15% |
2 | मोटर (स्टैंड-अलोन टीपी) | 2.5% |
*-कमीशन/ पारिश्रमिकमोटर (व्यापक)पॉलिसी के ओडीअंश के लिए ही देयहोगा।"
2. प्राधिकरणको बीमा एजेंटोंसे अभ्यावेदन प्राप्तहो रहे हैं कि चूँकिमोटर (स्टैंड-अलोन टीपी) पर 2.5% कमीशन/ पारिश्रमिककी अनुमति है,अतः यही मोटर(व्यापक) के लिए भी लागूकिया जाए, जहाँदेय कमीशन / पारिश्रमिक मोटर(व्यापक) पॉलिसी के ओडीअंश तक ही सीमितरखा गया है।
3. तर्काधारयह है कि मोटर व्यापकपॉलिसी मोटर ओडीअंश और मोटर टीपीअंश को सम्मिलितकरती है। इसके पहले कमीशन/ पारिश्रमिकमोटर (व्यापक)पॉलिसी के मोटरओडी अंश तक ही सीमितकिया गया था क्योंकिमोटर (स्टैंड-अलोन टीपी) के लिए किसी कमीशन/ पारिश्रमिककी अनुमति नहींथी। अब चूँकि मोटर(स्टैंड-अलोनटीपी) 2.5% कमीशनके लिए पात्र है,अतः मोटर (व्यापक) पॉलिसीऔर मोटर (स्टैड-अलोन टीपी) पॉलिसी के टीपीअंश पर कमीशन/ पारिश्रमिकके बीच असमानताहै।
4. तथापि, चूँकिअधिकांश मोटर व्यापकबीमा पॉलिसियाँऑटोमोबाइल की खरीदके समय ही बेचीजाती हैं, अतःउनके विपणन मेंअधिक प्रयास संबद्धनहीं है।
5. अतः सुसंगतिलाने और अर्जनके संबंध में प्रयासोंको संतुलित करनेके लिए मोटर (व्यापक)पॉलिसी के मोटरटीपी अंश पर 2.5% के कमीशन/ पारिश्रमिक कीअनुमति ऑटोमोबाइलवाहन के पंजीकरणके चौथे वर्ष सेदी जा सकती है।
IV – मोटर(व्यापक) – अनुसूची-IV – मोटर बीमा – विनियम 5(ङ)
1. आईआरडीए के (बीमाएजेंट अथवा बीमामध्यवर्तियोंको कमीशन, पारिश्रमिकअथवा प्रतिफल काभुगतान) विनियम,2016 का खंड 5(ङ)कहता है कि मोटरदुपहिया वाहनोंके लिए अदा कियाजानेवाला कमीशन/ पारिश्रमिकअधिकतम 15% है।
2. यह सुविदितहै कि देश में दुपहियावाहनों का खंडज्यादातर कम बीमाकृतहै।
3. चूँकि दुपहियावाहनों का प्रीमियमकम है, अतः देय कमीशन/ पारिश्रमिकउससे भी कम है। अतः बीमाएजेंट / बीमामध्यवर्ती उनकीअपेक्षा करने मेंरुचि नहीं दर्शातेक्योंकि अपेक्षा(सॉलिसिटोशन)की लागतें लाभकारीनहीं हैं। परिणामस्वरूप,अधिकांश दुपहियावाहन बीमा के बिनाहैं।
4. यह दावाअनुभव को प्रभावितकरता है क्योंकिदावों के भुगतानका वितरण कम संख्यामें दुपहिया वाहनोंके बीच किया जाताहै।
5. इन दुपहियावाहनों की बीमारक्षा में सुधारलाने के लिए यहवांछनीय होगा किऑटोमोटिव वाहनोंकी इस श्रेणी केलिए बीमा एजेंटोंअथवा बीमा मध्यवर्तियोंको थोड़े-से उच्चतरकमीशन / पारिश्रमिकका भुगतान कियाजाए।
6. अतः .यह प्रस्तावहै कि मोटर श्रेणीको दुपहिया वाहनोंऔर दुपहिया वाहनोंको छोड़कर अन्यवाहनों के रूपमें विभाजित कियाजाए तथा दुपहियावाहनों के खंडके लिए 17.5% का एकउच्चतर कमीशन/ पारिश्रमिकका भुगतान कियाजाए।
V – प्रस्तावितपरिवर्तनों केकार्यान्वयन कीतारीख
चूँकि बीमाकर्ताओंऔर बीमा मध्यवर्तियोंको अपनी प्रणालीके साथ तैयार रहनेके लिए समय अपेक्षितहै, अतः यह प्रस्तावहै कि उपर्युक्तपरिवर्तन 1 नवंबर 2017 सेप्रभावी हों।
सभी हितधारकोंसे अनुरोध है किवे प्रस्तावितविनियमों पर अपनेअभिमत / सुझाव देंताकि विभाग द्वाराउन पर विचार कियाजा सके। उनकी टिप्पणियाँ/ सुझाव एमएस-वर्ड फार्मेटमें हमें संलग्नफार्मेट में ई-मेल द्वारा रणदीप(अट) आईआरडीए(डॉट) गव(डॉट) इनrandip@irda.gov.in तथा वेंकटेश(अट) आईआरडीए(डाँट) गव(डाँट) इनvenkatesh@irda.gov.in परअधोहस्ताक्षरकर्ताको 9 अगस्त2017 तक पहुँचनेचाहिए।
(रणदीपसिंह जगपाल)
मुख्य महाप्रबंधक
2.8.2017