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Title: आदेश
Reference No.: आईआरडीएआई/एफएण्डए/ओआरडी/एफए/134/06/2017
Date: 12/06/2017
आईआरडीए अधिनियम, 1999 की धारा 14 के साथ पठित बीमा अधिनियम, 1938 की धारा 52ए

1.  भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण(इसमें इसके बाद`प्राधिकरण~के रूप में उल्लिखित)ने बीमा अधिनियम,1938 की धारा3 के अनुसार भारत में जीवन बीमा का व्यवसाय करने के लिए6 फरवरी2004 को सहारा इंडिया लाइफ इंश्योरेंस कंपनी लि.(इसमें इसके बाद`बीमाकर्ता~के रूप में उल्लिखित)को सं.127 से युक्त पंजीकरण प्रमाणपत्र जारी किया। उसके अनुसार बीमाकर्ता पंजीकरण प्रमाणपत्र की शर्तों के अधीन है और उससे अपेक्षित है कि वह बीमा अधिनियम,1938 (इसमें इसके बाद`अधिनियम~के रूप में उल्लिखित),बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण अधिनियम,1999 के उपबंधों तथा प्राधिकरण द्वारा परिपत्रों और/या दिशानिर्देशों के रूप में समय-समय पर जारी किये गये अन्य निर्देशों का पालन करे।

2.  प्रत्येक बीमाकर्ता से अपेक्षित है कि वह अधिनियम की धारा11 में उल्लिखित लेखा-परीक्षित खाते और विवरण उनकी संबंधित अवधि की समाप्ति से छह महीने के अंदर प्राधिकरण को विवरणियों के रूप में प्रस्तुत करे। `बीमाकर्ता~के द्वारा वर्ष2014-15 के लिए इस प्रकार दाखिल किये गये लेखा-परीक्षित वित्तीय विवरणों की समीक्षा परोक्ष निगरानी प्रक्रिया के भाग के रूप में की गई। 31 मार्च2015 को समाप्त वर्ष के लिए वित्तीय विवरणों की समीक्षा करने पर बीमाकर्ता के अभिशासन पहलुओं,ह्रासमान व्यवसाय,और वित्तीय स्थिति के संबंध में गंभीर सरोकार पाये गये,संबंधित उद्धरण निम्नानुसार हैं:

i.       अभिशासन पहलूः बोर्ड और निवेश समिति के अध्यक्ष मार्च2015 को समाप्त चार वर्षों के दौरान बोर्ड और निवेश समिति की किसी भी बैठक में उपस्थित नहीं रहे थे। बीमाकर्ता के विभिन्न कार्यकलापों पर बोर्ड के पर्यवेक्षण के संबंध में यह चिंता का कारण है।

ii.       यह भी पाया गया कि व्यवसाय के निष्पादन में निरंतर कमी रही है जैसी कि बीमाकर्ता के वर्षानुवर्ष घटते हुए नय#2351;े व्यवसाय और घटते हुए नवीकरण व्यवसाय से देखी जा सकती है। इस संबंध में बीमाकर्ता को सूचित किया गया था कि वह तीन वर्षों के लिए(2016-17 से2018-2019 तक के लिए)एक विस्तृत व्यवसाय योजना प्रस्तुत करे जिसमें प्राधिकरण द्वारा बताई गई चिंताओं का समाधान करने तथा बीमाकर्ता को एक सुदृढ़ आधार पर लाने के लिए सुनियोजित कार्य की प्रक्रिया का विवरण दिया जाए। उपर्युक्त योजना का कंपनी के बोर्ड द्वारा विधिवत् अनुमोदित किया जाना आवश्यक है।

iii.      31 मार्च2014 तक पिछले वित्तीय वर्षों में उपर्युक्त लेखा-शीर्षों के अंतर्गत पाई गई नियमित प्रवृत्तियों की तुलना में उपर्युक्त वर्ष के दौरान चालू आस्तियों के अंतर्गत कुछ व्यावसायिक मदों में उल्लेखनीय वृद्धि पाई गई,जोकि निम्नानुसार थीः

क.   प्रतिभूति और अन्य जमाराशि0.10 करोड़ रुपये से71.34 करोड़ रुपये तक

ख.  फुटकर वसूली-योग्य राशियाँ1.81 करोड़ रुपये से6.24 करोड़ रुपये तक

 

बीमाकर्ता को ऐसे उल्लेखनीय परिवर्तनों के लिए कारण स्पष्ट करने के लिए दिनांक26 नवंबर2015 के पत्र संदर्भ113.4/4/एफएण्डए-लाइफ/एसएलआईसी एआरए/118/2014-15द्वारा सूचित किया गया(अनुबंधI पर प्रतिलिपि संलग्न)पत्र संदर्भ113.4/4/एफएण्डए-लाइफ/एसएलआईसी एआरए/187/2014-15दिनांक16 फरवरी2016 द्वारा एक स्मरण-पत्र जारी किया गया। बीमाकर्ता ने पत्र संदर्भ एसआईएलआईसीएल/सीएस/एमएआर-16/44/66749 दिनांक29 मार्च2016 के द्वारा प्रत्युत्तर दिया।

 

बीमाकर्ता के प्रत्युत्तर(अनुबंधII के रूप में प्रति संलग्न)की समीक्षा करने पर यह पाया गया कि उठाई गई चिंताओं का समाधान संतोषजनक रूप में नहीं किया गया था जैसा कि प्रत्युत्तर के संबंधित उद्धरणों द्वारा निम्नानुसार दर्शाया गयाः

 

i.       "…..कंपनी यह उल्लेख करना चाहेगी कि अध्यक्ष महोदय की अनुपस्थिति ने एसआईएलआईसीएल के सभी कार्यकलापों पर बोर्ड के निर्णयों को कभी प्रभावित नहीं किया। बोर्ड और निवेश समिति के सभी अन्य सदस्य बैठकों में उपस्थित रहे तथा सभी दायित्वों को पूरा किया। तथापि,बोर्ड और निवेश समिति के बैठकों की कार्यवाही के बारे में उन्हें सूचित किया गया और अवगत रखा गया।

ii.       ……..हम व्यवसाय की योजना आगामी बोर्ड बैठक में अनुमोदित कराने के बाद शीघ्र ही अधिक से अधिक15 अप्रैल2016 तक प्रस्तुत करनेवाले हैं।

iii.      हम नये कार्यालय खोलने के द्वारा अपने व्यवसाय का विस्तार करने की प्रक्रिया में हैं। हमने सारे भारत में646 कार्यालय खोलने के लिए71.25 करोड़ रुपये की प्रतिभूति जमा दी है।"

 

3. बीमाकर्ता ने दिये गये निर्देश के अनुसार व्यवसाय की योजना दाखिल नहीं की थी। इसके अलावा,बीमाकर्ता के प्रत्युत्तर चिंताओं का संतोषजनक रूप से समाधान नहीं करते,क्योंकि बीमाकर्ता ने दावा किया था कि चालू आस्ति(प्रतिभूति जमा)में वृद्धि अखिल भारत में कार्यालय खोलने के लिए है,परंतु आईआरडीएआई ने इसके लिए अनुमोदन प्रदान नहीं किया था।

 

इस स्थिति के होते हुए,बीमाकर्ता को पत्र संदर्भ113.4/4/एफएण्डए-लाइफ/एसएलआईसी एआरए/21/2014-15दिनांक18 मई 2016 (प्रतिलिपि अनुबंधIII पर संलग्न)द्वारा अतिरिक्त स्पष्टीकरण/निविष्टियाँ प्रस्तुत करने के लिए सूचित किया गया। बीमाकर्ता की प्रतिक्रिया31 मई 2016 तक प्रस्तुत करना अपेक्षित था।

 

4. चूँकि बीमाकर्ता ने उपर्युक्त पत्र का प्रत्युत्तर नहीं दिया,अतः स्मरण-पत्र सं.1 पत्र संदर्भ113.4/4/एफएण्डए-लाइफ/एसएलआईसी एआरए/105/2014-15दिनांक26 सितंबर2016 द्वारा भेजा गया। एक दूसरा स्मरण-पत्र दिनांक4 जनवरी2017 के -मेल द्वारा प्रेषित किया गया।

 

5.  गंभीर विषयों पर प्रत्युत्तर देने के लिए इतने अवसर होने के बावजूद,बीमाकर्ता ने दिनांक18 मई 2016 के पत्र द्वारा उठाये गये प्रश्नों का उत्तर देने के विकल्प का चयन किया। 31 मार्च2015 को समाप्त वर्ष के लिए वित्तीय विवरणों से पाई गई चिंताओं के गंभीर स्वरूप को ध्यान में रखते हुए तथा दस महीने से अधिक समय व्यतीत होने के बाद भी बीमाकर्ता द्वारा उत्तर नहीं दिये जाने के कारण पत्र संदर्भ113.4/5/एसएलआईसी-एआरए/एफएण्डए-लाइफ/228/2014-15दिनांक9 मार्च2017 द्वारा एक कारण बताओ नोटिस जारी किया गया। बीमाकर्ता ने उक्त कारण बताओ नोटिस के लिए भी प्रत्युत्तर नहीं दिया और ही उसने इस विषय में किसी वैयक्तिक सुनवाई की अपेक्षा की। चूँकि बीमाकर्ता ने कारण बताओ नोटिस के लिए प्रत्युत्तर नहीं दिया और साथ ही वैयक्तिक सुनवाई की माँग नहीं की,अतः यह समझा गया कि इस पहलू पर देने के लिए बीमाकर्ता के पास कोई प्रस्तुतीकरण नहीं है।

 

6.  चालू आस्तियों(उपर्युक्त पैरा2 में उल्लिखित)के अंतर्गत व्यावसायिक मदों के संबंध में पाया गया कि इनमें आगे और वृद्धि हुई(प्रतिभूति जमा71.34 करोड़ रुपये से78.24 करोड़ रुपये तक बढ़ी तथा फुटकर वसूलीयोग्य राशियों में6.24 करोड़ रुपये से9.17 करोड़ रुपये तक वृद्धि हुई)जैसा कि वित्तीय वर्ष2015-16 के लिए वार्षिक वित्तीय विवरणों के द्वारा दर्शाया गया है। इनके संबंध में बीमाकर्ता से निविष्टियाँ/ स्पष्टीकरण माँगते हुए भेजा गया आईआरडीए पत्र संदर्भ113.4/5/ एसएलआईसी-एआरए/एफएण्डए-लाइफ/2015-16/213दिनांक15 फरवरी2017 अनुत्तरित रह गया।

 

7.  जैसे-जैसे समय व्यतीत होता गया,बीमाकर्ता की उत्तर नहीं देने की निरंतर बनी हुई प्रवृत्ति ने केवल चिरकालिक समस्याओं को अधिकाधिक गंभीर बना दिया। बीमाकर्ता की उत्तर देने की प्रवृत्ति दर्शाती है कि प्राधिकरण को बीमाकर्ता की वित्तीय स्थिति के संबंध में महत्वपूर्ण सूचना के प्रकटीकरण से बचने के लिए जानबूझकर मौन धारण किया गया है। अतः प्राधिकरण के पास यह विश्वास करने के लिए कारण हैं कि वित्तीय विवरणों के अनुसार बीमाकर्ता की वित्तीय स्थिति एक सही और उचित दृश्य को प्रतिबिंबित नहीं करती तथा इस वजह से सहारा इंडिया लाइफ इंश्योरेंस कंपनी लि.जीवन बीमा व्यवसाय को ऐसे तरीके से संचालित कर रही है जिसके जीवन बीमा पॉलिसियों के धारकों के हितों के लिए प्रतिकूल होने की संभावना है।

 

8.  इस पृष्ठभूमि के होते हुए,प्राधिकरण ने बीमाकर्ता को भेजे गये -मेल किये गये पत्र संदर्भ113.4/5/एसएलआईसी-एआरए/एफएण्डए-लाइफ/62/2014-15दिनांक9 जून 2017 द्वारा10 जून 2017 को अपराह्न2 बजे सदस्य(जीवन) के समक्ष स्वयं आकर अपने प्रस्तुतीकरण देने के लिए बीमाकर्ता को एक अंतिम अवसर दिया। बीमाकर्ता से यह अपेक्षित था कि उनकी उपस्थिति का प्रतिनिधित्व उनके बोर्ड के अध्यक्ष,स्वतंत्र निदेशकों और मुख्य कार्यकारी अधिकारी(सीईओ) द्वारा किया जाए।

 

9.  बीमाकर्ता को कारण दर्शाने के लिए सूचित किया गया कि क्यों नहीं आईआरडीएआई इस निष्कर्ष पर पहुँचे कि वर्ष2014-15 और परवर्ती वर्षों के लिए वित्तीय विवरणों के अनुसार बीमाकर्ता की वित्तीय स्थिति एक सही और उचित दृश्य को प्रतिबिंबित नहीं करती तथा इस वजह से सहारा इंडिया लाइफ इंश्योरेंस कंपनी लि.जीवन बीमा व्यवसाय को ऐसे तरीके से संचालित कर रही है जिसके जीवन बीमा पॉलिसियों के धारकों के हितों के लिए प्रतिकूल होने की संभावना है तथा बीमा अधिनियम,1938 की धारा52 को लागू करने सहित,आईआरडीए अधिनियम,1999 और बीमा अधिनियम,1938 के उपबंधों के अंतर्गत बीमाकर्ता के विरुद्ध उचित कार्यवाही क्यों नहीं प्रारंभ की जानी चाहिए।

 

10. दिनांक9 जून 2017 के -मेल के द्वारा बीमाकर्ता के सीईओ ने उत्तर दिया कि10 जून 2017 को बैठक में उपस्थित होना उनके लिए बहुत कठिन होगा तथा अनुरोध किया कि उक्त बैठक आगे बढ़ाकर आगामी सोमवार अथवा मंगलवार को आयोजित की जाए। बीमाकर्ता द्वारा किये गये अनुरोध के अनुसार12 जून 2017 (सोमवार)को सुनवाई आयोजित की गई। उक्त सुनवाई की अध्यक्षता श्री नीलेश साठे,सदस्य(जीवन) ने की। बीमाकर्ता का प्रतिनिधित्व श्री संजय अग्रवाल,मुख्य कार्यकारी अधिकारी और श्री के.के.वाजपेयी,मुख्य वित्त अधिकारी द्वारा किया गया। आईआरडीएआई से निम्नलिखित अधिकारी उपस्थित थेः श्री एच.अनंतकृष्णन,महाप्रबंधक(विधि), श्री आर.के.शर्मा,महाप्रबंधक(एफएण्डए-एनएल),श्रीमती बी.पद्मजा,उप महाप्रबंधक(एफएण्डए-एल)

 

11. आरोप प्रस्तुत करने पर बीमाकर्ता ने स्वीकार किया कि वित्तीय वर्ष2014-15 से लेकर पिछले दो वर्षों के दौरान बहुत अव्यवस्था थी तथा इसके लिए निम्नलिखित को कारण ठहरायाः

·        प्रमुख व्यक्ति अर्थात् मुख्य वित्तीय अधिकारी,नियुक्त बीमांकक तथा कंपनी सचिव और अनुपालन अधिकारी ने वित्तीय वर्ष2014-15 में संस्था से त्यागपत्र दिया। सूचना प्रौद्योगिकी का प्रमुख लगभग छह महीने के लिए स्वास्थ्य संबंधी कारणों से छुट्टी पर था। यह सब कंपनी के प्रबंधन के लिए प्रमुख व्यक्तियों की अनुपस्थिति के रूप में परिणत हुआ।

·        बोर्ड का अध्यक्ष न्यायिक हिरासत में था तथा लोग कंपनी में ज्वाइन करना नहीं चाहते थे। चूँकि बीमाकर्ता का कॉरपोरेट कार्यालय लखनऊ में है,इसलिए उपयुक्त संसाधन जुटाना कठिन था।

·        चूँकि नियुक्त बीमांकक नहीं था,अतः1 अप्रैल2016 से 15 मई2016 तक किसी नये व्यवसाय का जोखिम-अंकन नहीं किया गया।

·        बीमाकर्ता ने80 करोड़ रुपये से थोड़ी कम किराया जमाराशि दी थी। जिस समूह कंपनी को जमाराशि दी गई,उस समूह कंपनी को बीमाकर्ता ने लिखा कि वह उक्त राशि लौटाए। बीमाकर्ता ने पुष्टि की कि अब तक कोई राशि वापस नहीं मिली।

 

12. बीमाकर्ता की वित्तीय स्थिति के संबंध में आईआरडीएआई द्वारा पाई गई चिंताओं के गंभीर स्वरूप तथा उपर्युक्त पैरा11 में दिये गये विवरण के अनुसार12 जून 2017 को आयोजित वैयक्तिक सुनवाई के दौरान इसकी पुष्टि करते हुए बीमाकर्ता द्वारा की गई अतिरिक्त स्वीकृतियों को ध्यान में रखते हुए एवं अभिलिखित अन्य विवरण के आधार पर आईआरडीएआई के पास यह विश्वास करने के लिए कारण हैं कि बीमाकर्ता ऐसे तरीके से कार्य कर रहा है जिसके जीवन बीमा पॉलिसियों के धारकों के हितों और समग्र रूप में बीमा क्षेत्र की सुव्यवस्थित वृद्धि के विपरीत होने की संभावना है। प्राधिकरण की यह सुविचारित धारणा है कि यह बीमा अधिनियम,1938 की धारा52 लागू करने तथा आईआ#2310;रडीएआई के निर्देश और नियंत्रण के अंतर्गत बीमाकर्ता के कार्यों का प्रबंध करने के लिए एक प्रशासक की नियुक्ति करने के लिए एक उपयुक्त मामला है।

 

13. तदनुसार,बीमा अधिनियम,1938 की धारा52 के अंतर्गत आईआरडीएआई के पास निहित शक्तियों का विवेकपूर्ण प्रयोग करते हुए आईआरडीएआई इसके द्वारा श्री आर.के.शर्मा,महाप्रबंधक-एफएण्डए-एनएल,आईआरडीएआई को तत्काल प्रभाव से पंजीकरण संख्या127 से युक्त मेसर्स सहारा इंडिया लाइफ इंश्योरेंस कंपनी लि.,पंजीकृत और कॉरपोरेट कार्यालय#1, सहारा इंडिया भवन,कपूरथला कांप्लेक्स,लखनऊ226024 के कार्यों का प्रबंध करने के लिए प्रशासक के रूप में नियुक्त करता है।

 

14. बीमाकर्ता के निदेशक,प्रबंधक वर्ग एवं स्टाफ बीमाकर्ता के कार्यों का प्रबंध करने के लिए श्री आर.के.शर्मा,प्रशासक को हर संभव सहायता प्रदान करेंगे। बीमाकर्ता को इसके द्वारा निदेश दिया जाता है कि प्रशासक के लिए वह अपने नियंत्रण और अभिरक्षा में विद्यमान सभी खाता-बहियों,रजिस्टरों,स्वत्वाधिकार के प्रलेखों,किसी भी स्वरूप के सभी अन्य दस्तावेजों और डेटाबेस तक पूरी और संपूर्ण पहुँच और नियंत्रण सुनिश्चित करे तथा प्रशासक द्वारा अपने सांविधिक कर्तव्यों के निर्वाह में अपेक्षित की जानेवाली सहायता उन्हें प्रदान करे।

 

Sd/-

सदस्य(जीवन)

स्थानः हैदराबाद

दिनांकः12 जून 2017

 

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    Order Issued under Section 52A of the Insurance Act, 1938 read with Section.pdf

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