1. यहपरिपत्र बीमा अधिनियम, 1938 की धारा14 की उप-धारा(2)(ई) के अंतर्गतप्राधिकरण को प्रदत्तशक्तियों के अधीनजारी किया जाताहै।
2. प्राधिकरणको विभिन्न गैर-जीवनबीमा कंपनियोंसे अभ्यावेदन प्राप्तहुए हैं जिनमेंराज्य / केन्द्रसरकार द्वारा प्रायोजितयोजनाओं के संबंधमें शोधक्षमतामार्जिन की संगणनाके लिए एक पात्रपरिसंपत्ति केरूप में इन योजनाओंसे संबंधित प्राप्यप्रीमियम को मान्यतादेने तथा फ़सलबीमा के लिए लागूअपेक्षित शोधक्षमतामार्जिन (आरएसएम)कारकों को कमकरने के लिए लिखागया है।
3. भारतीयबीमा विनियामकऔर विकास प्राधिकरण (साधारणबीमा व्यवसाय कीआस्तियाँ, देयताएँ और शोधक्षमतामार्जिन) विनियम,2016 (इसमें इसकेबाद "विनियम"के रूप मेंउल्लिखित) की अनुसूची1 के अंतर्गतखंड 1(1)(बी) कहता है कि राज्य/ केन्द्र सरकारद्वारा प्रायोजितयोजनाओं से संबंधितप्रीमियमों कीप्राप्य राशियाँ,180 दिन की अवधिके अंदर उनके वसूलन होने की सीमातक, शून्य मूल्यके साथ रखी जानीचाहिए।
4. उक्त विनियमकी अनुसूची III के अंतर्गतसारणी 1 व्यवसायकी विभिन्न व्यवस्थाओंके लिए आरएसएमके परिकलन के लिएकारकों का उल्लेखकरती है। उपर्युक्तसारणी में "फ़सल बीमा"को आरएसएम केनिर्धारण के प्रयोजनके लिए व्यवसायकी "विविध"व्यवस्था केअंतर्गत माना गयाहै। इस खंड के लिएवर्तमान कारक0.7 है जो कारकए और कारक बी दोनोंके लिए है, जैसाकि उपर्युक्त सारणीमें दिया गया है।
5. समष्टिआर्थिक परिवेशऔर जोखिम मानदंडोंके होते हुए पूँजीका उपयोग इष्टतमरूप से वहनीय लागतके साथ करने कीआवश्यकता है ताकिबीमा व्यापन मेंवृद्धि हो सके।
6. प्राधिकरणने बीमाकर्ताओंद्वारा प्रस्तुतकिये गये अभ्यावेदनोंकी जाँच की है तथाउपर्युक्त पृष्ठभूमिमें स्थिति कीसमीक्षा की है।प्राधिकरण शोधक्षमतामार्जिन के निर्धारणमें निम्नलिखितरियायत का प्रस्तावकरता हैः
6.1 आईआरडीएआई (साधारणबीमा व्यवसाय कीआस्तियाँ, देयताएँ और शोधक्षमता
मार्जिन) विनियम,2016 की अनुसूची1 के अंतर्गतखंड 1(1)(बी) निम्नानुसारलागू होगाः
6.1.1 राज्य / केन्द्रसरकार द्वारा प्रायोजितयोजनाओँ से संबंधितप्रीमियमों कीप्राप्य राशियाँ,एक वर्ष की अवधिके अंदर उनके वसूलन होने की सीमातक शून्य मूल्यके साथ रखी जानीचाहिए।
6.2 "फ़सलबीमा" को विनियमकी अनुसूची III के अंतर्गत सारणी1 में व्यवसायकी
"विविध"व्यवस्था केअंतर्गत मद सं. 09 मेंसमाविष्ट नहींकिया जाएगा।
6.3 विनियमकी अनुसूची III के अंतर्गतसारणी 1 मेंव्यवसाय की व्यवस्था"फ़सल
बीमा" के साथएक अतिरिक्त मदसं. 10 होगी।
6.3.1 ऊपर 5.2 मेंउल्लिखित सारणीमें व्यवसाय कीव्यवस्था "फ़सल बीमा"के
साथ मदसं. 10 हेतु कारक ए औरकारक बी के लिएलागू आरएसएम कारकनीचे दी गई सारणीके अनुसार होगीः
मद सं. | व्यवसाय की व्यवस्था | कारक ए | कारक बी |
(1) | (2) | (10) | (11) |
10 | फ़सल बीमा | 0.5 | 0.5 |
7. बशर्तेकि, उपर्युक्तपैरा6 में दी गई रियायतइस परिपत्र केनिर्गम की तारीखसे प्रभावी होगी।
8. परंतुआगे यह भी शर्तहोगी कि, ऊपर पैरा 6 में प्रदत्तरियायत 31 मार्च2018 तक की अवधिके लिए प्रभावीहोगी। प्राधिकरणके पास उक्त अवधिके अंत में बीमाकर्ताओंकी चलनिधि, शोधक्षमता,बकाया दावोंऔर किन्हीं अन्यसंबंधित स्थितियोंकी समीक्षा करनेका अधिकार सुरक्षितहै।
9. परंतुआगे यह भी शर्तहोगी कि, बीमाकर्तासमग्र चलनिधि आवश्यकताका उचित ध्यानरखने के साथ बकायाप्रीमियमों कीप्राप्य राशि कीअत्यंत ध्यानपूर्वकनिगरानी करेंगे, तथाइस स्थितिके होतेहुए दावेके भुगतान को जोखिममें नहीं डालाजाएगा।
सदस्य (बीमांकक)