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Title: अनुमान के आधार पर प्रीमियम, दावों और संबंधित व्ययों का लेखांकन
Reference No.: आईआरडीएआई/एफएण्डए/सीआईआर/विविध/123/6/2022 
Date: 15/06/2022
अनुमान के आधार पर प्रीमियम, दावों और संबंधित व्ययों का लेखांकन

आईआरडीएआई/एफएण्डए/सीआईआर/विविध/123/6/2022           दिनांकः 15 जून 2022

परिपत्र

प्रति,

जीआईसी और लायड्स सहित एफआरबीएस के सीएमडी/सीईओ

विषयः अनुमान के आधार पर प्रीमियम, दावों और संबंधित व्ययों का लेखांकन

  1. वर्तमान में, बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (बीमा कंपनियों के वित्तीय विवरण और लेखा-परीक्षकों की रिपोर्ट तैयार करना) विनियम, 2002 की अनुसूची ख के भाग I के पैरा 2 में प्रीमियम की मान्यता के लिए निम्नानुसार व्यवस्था की गई हैः

2. प्रीमियम

  1. प्रीमियम को संविदा अवधि अथवा जोखिम की अवधि, जो भी उपयुक्त हो, में आय के रूप में मान्यता दी जाएगी।
  2. अग्रिम रूप से प्राप्त प्रीमियमवह प्रीमियम है जहाँ जोखिम के प्रारंभ की अवधि लेखांकन अवधि से बाहर है और उसे चालू देयताओं के अंतर्गत दर्शाना चाहिए।
  3. अनाबंटित प्रीमियम में प्रीमियम जमा और वह प्रीमियम शामिल है जो प्राप्त किया गया है, परंतु जिसके लिए जोखिम प्रारंभ नहीं हुआ है। इसे चालू देयताओं के अंतर्गत दर्शाना चाहिए।

  1. प्राधिकरण ने एफआरबीएस और जीआईसी आरई द्वारा स्वीकृत प्रीमियम का विश्लेषण किया है तथा पाया है कि जहाँ कुछ एफआरबीएस उक्त प्रीमियम के लिए लेखांकन वास्तविक आधार पर कर रही हैं, वहीं कुछ अन्य एफआरबीएस इस प्रकार अनुमान के आधार पर कर रही हैं।

  1. आगे यह भी पाया गया है कि अनुमान के आधार पर प्रीमियम के लेखांकन के संबंध में पुनर्बीमाकर्ताओं द्वारा किसी समरूप पद्धति / प्रक्रिया का अनुसरण नहीं किया गया है। पुनर्बीमाकर्ता द्वारा प्रीमियम का लेखांकन अनुमान के आधार पर निम्नलिखित कारणों से किया गया हैः
  1. बीमाकर्ता(ओं) से लेखा-विवरण प्राप्त करने में देर अथवा विलंब; और/या
  2. मूल संस्था के साथ लेखांकन प्रथाओं का सुयोजन।

  1. इस स्थिति के होते हुए कि प्रीमियम के एक महत्वपूर्ण भाग का लेखांकन अनुमान के आधार पर किया जा रहा है, वार्षिक रिपोर्ट में अनुमान के आधार पर स्वीकृत प्रीमियम के लेखांकन और प्रकटीकरणों का नियंत्रण करने के लिए दिशानिर्देश निर्धारित करने की आवश्यकता महसूस की जा रही है। तदनुसार, प्राधिकरण धारा 14(2) के अंतर्गत दी गई अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए, निम्नलिखित ढाँचा निर्धारित करता है, जिसके अंतर्गत एफआरबीएस/ पुनर्बीमाकर्ता यह सुनिश्चित करेंगे कि वार्षिक वित्तीय विवरणों में प्रत्येक वित्तीय वर्ष की कम से कम तीसरी तिमाही तक किसी भी प्रीमियम को अनुमान के आधार पर उपचित / लेखांकित नहीं किया जाए। तथापि, 31 मार्च को समाप्त होनेवाली चौथी तिमाही के लिए, जहाँ लेखा-विवरण समय पर प्राप्त नहीं किया गया हो, प्रीमियम, हानियों और संबंधित व्ययों का लेखांकन अनुमान के आधार पर किया जा सकता है। तथापि, उपर्युक्त आय और व्ययों के अनुमान में पुनर्बीमाकर्ता यह सुनिश्चित करेंगे किः
  • समूचे संविभाग में एक समनुरूप कार्यपद्धति का अनुसरण किया जाए;
  • जैसे ही वास्तविक मूल्य स्पष्ट होंगे, उक्त अनुमान सही किये जाएँ;
  • वार्षिक रिपोर्ट में एक विवरण शामिल किया जाए जिसमें वित्तीय वर्ष के दौरान लेखांकित कुल प्रीमियम, दावों और व्ययों का ब्योरा तथा अनुमान के आधार पर लेखांकित प्रीमियम, दावों और व्ययों का ब्योरा दिया जाएगा;
  • तीन वर्ष (चालू वित्तीय वर्ष सहित) के लिए संपूर्ण प्रकटीकरण किया जाएगा जिसमें अनुमान के आधार पर लेखांकित प्रीमियम, दावों और व्ययों का खंड-वार विश्लेषित विवरण तथा संलग्न फार्मेट – अनुबंध 1 के अनुसार उसका वास्तविक अनुभव एवं लेखा-टिप्पणियों के अंतर्गत वार्षिक आधार पर 10% से अधिक विभिन्नता, यदि कोई हो, के संबंध में प्रबंधक-वर्ग के अभिमत प्रस्तुत किये जाएँगे यदि उक्त वित्तीय वर्ष के लिए लेखा-बहियों की बंदी के समय वास्तविक आंकड़े उपलब्ध हों। उक्त सूचना उपलब्ध न होने की स्थिति में वार्षिक रिपोर्ट में ऊपर संदर्भित प्रस्तुतीकरण अगले वित्तीय वर्ष के लिए किये जाएँगे; तथा
  • यदि वित्तीय वर्ष के लिए लेखा-बंदी के समय वास्तविक आंकड़े उपलब्ध नहीं हों, तो + 10% से अधिक विचलन की सूचना प्राधिकरण को ऊपर पैरा 4(घ) में संदर्भित फार्मेट में अगले वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही की समाप्ति से 15 दिन के अंदर दी जाएगी।

  1. यह परिपत्र वित्तीय वर्ष 2022-23 से लेकर आगे प्रभावी है।

कार्यकारी निदेशक – एफ एण्ड आई

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