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Title: एंजेल फाइनेंशियल एडवाइजर्स प्राइवेट लिमिटेड के मामले में अंतिम आदेश
Reference No.: IRDAI/ENF/ORD/ONS/317/12/2021
Date: 22/12/2021
एंजेल फाइनेंशियल एडवाइजर्स प्राइवेट लिमिटेड के मामले में अंतिम आदेश

सं. आईआरडीएआई/ईएनएफ/ओआरडी/ओएनएस/317/12/2021 

मेसर्स एन्जेल फाइनैंशियल एडवाइजर्स प्रा. लि.; कारपोरेट एजेंट

के मामले में अंतिम आदेश

कारण बताओ नोटिस दिनांक 27 जनवरी 2020 के लिए उत्तर तथा वीडियो कान्फरेंस के माध्यम से सदस्य (जीवन) की अध्यक्षता में 27 नवंबर 2020 को आयोजित सुनवाई के दौरान किये गये प्रस्तुतीकरणों के आधार पर।

पृष्ठभूमिः

भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (प्राधिकरण) ने मेसर्स एन्जेल फाइनैंशियल एडवाइजर्स प्रा. लि. (सीए) का एक आनसाइट निरीक्षण 5 से 7 मार्च 2018 के दौरान संचालित किया। प्राधिकरण ने निरीक्षण रिपोर्ट की एक प्रति सीए को टिप्पणियों की अपेक्षा करते हुए 2 मई 2018 को अग्रेषित की तथा सीए की टिप्पणियाँ उनके पत्र दिनांक 31 मई 2018 के द्वारा प्राप्त की गईं।

कारण बताओ नोटिस, उत्तर और वैयक्तिक सुनवाईः

2. सीए द्वारा किये गये प्रस्तुतीकरणों की जाँच करने के बाद प्राधिकरण ने कारण बताओ नोटिस (एससीएन) 27 जनवरी 2020 को जारी किया जिसका उत्तर सीए द्वारा पत्र दिनांक 4 मार्च 2020 के अनुसार दिया गया। उस पत्र में किये गये अनुरोध के अनुसार सीए को सुनवाई का एक अवसर 27 नवंबर 2020 को दिया गया तथा इसका आयोजन वीडियो कान्फरेंस के माध्यम से किया गया। श्री अमोघ पंडित, प्रधान अधिकारी, श्री सुवजीत राय, व्यवसाय प्रमुख और सुश्री श्रुति बांग, कंपनी सचिव सीए की ओर से उक्त सुनवाई में उपस्थित थे। प्राधिकरण की ओर से श्री टी. एस. नायक, महाप्रबंधक (एजेंसी वितरण), श्री प्रभात कुमार मैती, महाप्रबंधक (प्रवर्तन), श्री बी. राघवन, उप महाप्रबंधक (प्रवर्तन) उक्त सुनवाई के दौरान उपस्थित रहे। 

3. सीए द्वारा कारण बताओ नोटिस के लिए दिये गये अपने लिखित उत्तर में किये गये प्रस्तुतीकरणों और सुनवाई के दौरान किये गये प्रस्तुतीकरणों तथा एससीएन के लिए उत्तर में सीए द्वारा प्रस्तुत किये गये दस्तावेजों एवं सुनवाई के बाद प्रस्तुत किये गये दस्तावेजों पर प्राधिकरण द्वारा विचार किया गया तथा तदनुसार आरोपों पर लिये गये निर्णयों का विवरण नीचे दिया जाता है।

आरोप, उनके उत्तर में प्रस्तुतीकरण और निर्णयः

4. आरोप सं. 1:

आईआऱडीएआई (कारपोरेट एजेंटों का पंजीकरण) विनियम, 2015 के विनियम 26 के अंतर्गत आचरण संहिता के पैरा 3(ii)(क) का उल्लंघन, जिसमें परिकल्पित है कि कोई भी कारपोरेट एजेंट एक विधिमान्य पंजीकरण/प्रमाणपत्र धारित किये बिना बीमा व्यवसाय की अपेक्षा (सलिसिटेशन) नहीं करेगा अथवा बीमा व्यवसाय प्राप्त नहीं करेगा।

प्रस्ताव फार्मों पर मेसर्स एन्जेल ब्रोकिंग प्रा. लि. का नाम और मुहर थे, जो कारपोरेट एजेंट की एक नियंत्रक कंपनी है और अपने ग्राहकों को अन्य वित्तीय/पूँजी बाजार लिखतों का विक्रय करने में सक्रिय है। अतः उपर्युक्त प्रस्ताव सीए के प्राधिकृत / विनिर्दिष्ट व्यक्तियों के द्वारा अपेक्षित नहीं किये गये थे, बल्कि सीए ने उस बीमा व्यवसाय के आधार पर बीमाकर्ताओं से कमीशन प्राप्त किया था।

5. सीए का प्रस्तुतीकरणः

सीए ने प्रस्तुतीकरण किया कि बीमा व्यवसाय केवल सीए के द्वारा संचालित किया जाता है और समूह के किसी अन्य संस्था के द्वारा नहीं। एन्जेल ब्रोकिंग प्रा. लि. (एबीपीएल) ने किसी बीमा व्यवसाय की अपेक्षा (सलिसिटेशन) नहीं की है।

कारपोरेट एजेंट के रूप में एबीपीएल की मुहर से युक्त प्रस्ताव फार्मों के संबंध में सीए ने प्रस्तुतीकरण किया कि एबीपीएल की मुहर त्रुटिवश उप-स्टाफ द्वारा कुछ प्रस्ताव फार्मों पर लगाई गई थी तथा उनका उपयोग व्यवसाय की अपेक्षा (सलिसिटेशन) करने के लिए किया गया था। इस तकनीकी/ मानवीय त्रुटि को छोड़कर एबीपीएल की मुहर लगाने के लिए कोई अन्य कारण बिलकुल नहीं था। इसके अलावा, यह देखने के बाद कि एबीपीएल की मुहर उक्त फार्मों पर लगी हुई है, उन्हीं उप-स्टाफ द्वारा प्रस्ताव फार्मों पर एबीपीएल का नाम लिखा गया था।

जैसे ही सीए ने पाया कि एबीपीएल की मुहर गलती से प्रस्ताव फार्मों पर लगी हुई है, सीए ने अपनी कंपनी और एबीपीएल मुहरों को अलग कर दिया है जिससे उक्त त्रुटि को दोहराने से बचा जा सके। इससे प्रस्ताव फार्म पर लगी हुई मुहर को देखकर गलत नाम लिखने की संभव त्रुटि का भी निवारण किया गया है। सीए ने अपने कार्यालयीन स्टाफ को सुग्राही किया है कि वे सावधान रहें तथा समूह कंपनियों की मुहरों का प्रयोग करने अथवा उनके नाम लिखने से बचें, अन्यथा उनके विरुद्ध उपयुक्त कार्रवाई की जाएगी। ध्यान दिया जाए कि सभी पालिसीधारक जिन्होंने पालिसियाँ खरीदी हैं, कंपनी के पंजीकृत विनिर्दिष्ट व्यक्तियों (एसपी) के माध्यम से  लाग-इन किये गये हैं, न कि एबीपीएल के द्वारा।

वैयक्तिक सुनवाई के दौरान सीए ने प्रस्तुतीकरण किया कि परिसर में सीए और उक्त दलालों के स्थान के बीच केवल एक पतला सीमांकन (डीमार्केशन) है तथा जब तक किसी दस्तावेज पर मुहर नहीं लगाई जाती, यह पता नहीं चलता कि वह किससे संबंधित है। उन्होंने आगे प्रस्तुतीकरण किया कि प्रश्नगत पालिसी वास्तव में केवल विनिर्दिष्ट व्यक्तियों के द्वारा ही अपेक्षित (सलिसिटेड) की गई थी, परंतु दस्तावेज पर एक अन्य संस्था अर्थात् एन्जेल ब्रोकिंग की रबड़ मुहर लगाना अनभिप्रेत (अनिन्टेन्शनल) है।      

6. निर्णयः

निरीक्षण के दौरान 40 (चालीस) प्रस्तावों के नमूनों की जाँच की गई, जिनमें से 21 प्रस्ताव जीवन बीमा से संबंधित थे और 19 प्रस्ताव स्वास्थ्य बीमा से। इनमें से अधिकांश प्रस्ताव एन्जेल ब्रोकिंग द्वारा अपेक्षित किये गये (सलिसिटेड) थे जो स्पष्ट है क्योंकि उक्त प्रस्तावों पर `एन्जेल ब्रोकिंग की रबड़ मुहर लगाई गई है।

सीए का प्रस्तुतीकरण कि कुछ प्रस्ताव फार्मों पर उप-स्टाफ द्वारा एबीपीएल की रबड़ मुहर त्रुटिवश लगाई गई थी तर्कसंगत नहीं है, क्योंकि जाँच किये गये 21 जीवन प्रस्तावों में से 16 की अपेक्षा (सलिसिटेशन) भारत के विभिन्न स्थानों से की गई है जो मीलों दूर हैं और यह इस तर्क के विरुद्ध है कि इन सभी स्थानों पर उप-स्टाफ ने त्रुटिवशरबड़ मुहर लगाई है। सुनवाई के दौरान सीए को यह भी दिखाया गया कि एसपी के रूप में हस्ताक्षर करनेवाले व्यक्तियों के हस्ताक्षर विभिन्न प्रस्तावों में अलग-अलग हैं। हस्ताक्षरों में ऐसी विभिन्नताओं के लिए सीए के पास कोई उपयुक्त उत्तर नहीं था।  21 जीवन प्रस्तावों में से 15 मामलों में मेसर्स एन्जेल ब्रोकिंग की मुहर स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है।

19 स्वास्थ्य प्रस्तावों में से, 17 की अपेक्षा (सलिसिटेशन) लाइसेंसरहित संस्था एन्जेल ब्रोकिंग द्वारा की गई है। इन सभी प्रस्तावों में पैरा `एजेंट की घोषणा के अंतर्गत एजेंट के नाम और हस्ताक्षर के लिए उद्दिष्ट स्थान पर एन्जेल ब्रोकिंग का उल्लेख किया गया था तथा अपेक्षा (सलिसिटेशन) की प्रक्रिया में संबद्ध विनिर्दिष्ट व्यक्तियों (एसपी) का कोई उल्लेख नहीं था और न ही कोई हस्ताक्षर थे। साथ ही, प्रस्ताव फार्मों में परामर्शदाता कूट और नाम एन्जेल ब्रोकिंग के रूप में उल्लिखित था और माध्यम प्रकार एक भागीदारी के रूप में माना गया था।

अतः यह स्पष्ट है कि अपेक्षा (सलिसिटेशन) केवल एन्जेल ब्रोकिंग और उसके द्वारा नियुक्त किये गये लाइसेंसरहित व्यक्तियों के द्वारा की गई है एवं इस कारण से सीए ने आईआरडीएआई (कारपोरेट एजेंटों का पंजीकरण) विनियम, 2015 के विनियम 26 के अंतर्गत अनुसूची III (आचरण संहिता) के पैरा 3(ii)() का उल्लंघन किया है।

अतः बीमा अधिनियम, 1938 की धारा 102(बी) के अंतर्गत अपने में निहित शक्तियों के आधार पर प्राधिकरण उक्त सीए पर रु. 27 लाख (सत्ताईस लाख रुपये) की राशि का अर्थदंड लगाता है जिसकी गणना इस आधार पर की गई है कि 17 स्वास्थ्य पालिसियों की अपेक्षा (सलिसिटेशन) 12 विभिन्न दिनांकों पर तथा 15 जीवन पालिसियों की अपेक्षा (सलिसिटेशन) 15 विभिन्न दिनांकों पर (27 दिनों के लिए रु. एक लाख प्रति दिन की दर से) एन्जेल ब्रोकिंग के द्वारा की गई है तथा जहाँ लाइसेंसप्राप्त विनिर्दिष्ट व्यक्तियों की संबद्धता नहीं है।        

इसके अलावा सीए को यह सुनिश्चित करने का भी निदेश दिया जाता है कि आईआरडीएआई (कारपोरेट एजेंटों का पंजीकरण) विनियम, 2015 के विनियम 26 के अंतर्गत अनुसूची III (आचरण संहिता) के पैरा 3(ii)() का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए बीमा व्यवसाय की अपेक्षा (सलिसिटेशन) के लिए अनुमति केवल लाइसेंसप्राप्त व्यक्तियों को ही दी जाए।

7. आरोप सं. 2

आईआरडीएआई (कारपोरेट एजेंटों का पंजीकरण) विनियम, 2015 के विनियम 26 के अंतर्गत अनुसूची III के खंड 3(ii)(क) और 3(ii)(ड) का उल्लंघन; जो परिकल्पित करता है कि कोई भी कारपोरेट एजेंट/ प्रधान अधिकारी/ विनिर्दिष्ट व्यक्ति एक विधिमान्य पंजीकरण/प्रमाणपत्र धारित किये बिना बीमा व्यवसाय की अपेक्षा नहीं करेगा अथवा बीमा व्यवसाय प्राप्त नहीं करेगा तथा व्यवसाय लाने के लिए अप्रशिक्षित और अनधिकृत व्यक्तिय़ों को नियुक्त नहीं करेगा।

कारपोरेट एजेंट द्वारा प्रस्तुत किये गये प्रीमियम रजिस्टर से नमूने के तौर पर लिये गए पालिसी दस्तावेजों की समीक्षा करने पर यह देखा गया है कि बीमा पालिसियों की अपेक्षा (सलिसिटेशन) सीए द्वारा प्रस्तुत की गई सूची में उल्लिखित विनिर्दिष्ट व्यक्तियों को छोड़कर अन्य व्यक्तियों के द्वारा की गई थी।  यह भी पाया गया है कि विनिर्दिष्ट व्यक्तियों ने अपने कार्यस्थल से अलग अन्य स्थानों से बीमा व्यवसाय प्राप्त किया था। साथ ही, यह भी पाया गया है कि इन स्थानों पर कारपोरेट एजेंट की अपनी शाखाएँ नहीं हैं।

8. सीए का प्रस्तुतीकरणः

सीए ने प्रस्तुतीकरण किया कि कंपनी व्यवसाय की अपेक्षा (सलिसिटेशन) केवल पंजीकृत विनिर्दिष्ट व्यक्तियों (एसपी) के द्वारा ही करती है और किसी अन्य व्यक्ति के द्वारा नहीं। उन व्यक्तियों के  विषय में जो एसपी नहीं थे, परंतु उसके लिए व्यवसाय की अपेक्षा (सलिसिटेशन) की थी, सीए ने प्रस्तुतीकरण किया कि निरीक्षण के समय उन्होंने विनिर्दिष्ट व्यक्तियों (एसपी) की एक सूची प्रस्तुत की थी जो निरीक्षण की तारीख को उसके पास नियुक्त किये गये थे। संबंधित अधिकांश एसपी ने निरीक्षण के प्रारंभ से पहले सीए के पास रोजगार छोड़ दिया था और इसलिए उन्हें सीए के साथ संबद्ध एसपी की सूची में शामिल नहीं किया गया था। तथापि, ये लोग संबंधित समय पर उसके एसपी थे जब उन्होंने उसके लिए व्यवसाय की अपेक्षा (सलिसिटेशन) की थी।

जहाँ सीए की शाखाएँ नहीं हैं उन स्थानों से व्यवसाय की अपेक्षा (सलिसिटेशन) करने की टिप्पणी के संदर्भ में उसने प्रस्तुतीकरण किया कि पालिसीधारक का वर्तमान पता उनके पुनःस्थानन (रीलोकेशन) के कारण बदल गया होगा अथवा संभवतः विनिर्दिष्ट व्यक्तियों ने उस स्थान तक यात्रा की होगी। सीए ने प्रस्तुतीकरण किया कि वह व्यवसाय की अपेक्षा (सलिसिटेशन) करने के लिए पंजीकृत एसपी को छोड़कर किसी अन्य व्यक्ति को अनुमति नहीं देता तथा इसकी पुष्टि प्रस्ताव फार्मों और संगत बीमाकर्ता के अभिलेखों से की जा सकती है। सुनवाई के दौरान सीए ने प्रस्तुतीकरण किया कि उनके सभी विनिर्दिष्ट व्यक्ति अर्हताप्राप्त और प्रशिक्षित हैं। सीए ने उन एसपी का विवरण प्रस्तुत किया जिन्होंने आरोप के अंतर्गत अभिनिर्धारित पालिसियों की अपेक्षा (सलिसिटेशन) की थी।

9. निर्णयः

सीए के द्वारा किये गये प्रस्तुतीकरण को अभिलेखबद्ध किया गया। सीए को यह सुनिश्चित करने का परामर्श दिया गया कि व्यवसाय की अपेक्षा (सलिसिटेशन) आईआरडीएआई (कारपोरेट एजेंटों का पंजीकरण) विनियम, 2015 के विनियम 26 के अंतर्गत अनुसूची III की आचरण संहिता के पैरा 3(ii)() और () का अनुपालन करते हुए पंजीकृत विनिर्दिष्ट व्यक्तियों (एसपी) के द्वारा की जाए।       

10. आरोप सं. 3

आईआरडीएआई (कारपोरेट एजेंटों का पंजीकरण) विनियम, 2015 के विनियम 19(3) के अंतर्गत अनुसूची II के खंड (1)(घ) का उल्लंघन जो परिकल्पित करता है कि बीमा कवर कारपोरेट एजेंट के कर्मचारियों अथवा भूतपूर्व कर्मचारियों द्वारा की गई बेईमानी अथवा धोखाधड़ीपूर्ण कार्यों अथवा चूकों के विरुद्ध कारपोरेट एजेंट की अवश्य क्षतिपूर्ति करे।

व्यावसायिक क्षतिपूर्ति पालिसी की जाँच करने पर यह पाया गया कि उसका शीर्षक `बीमा दलालों के लिए व्यावसायिक क्षतिपूर्ति पालिसी के रूप में है। पालिसी का क्षतिपूर्ति खंड और सामान्य शर्तें निर्धारित विनियम के अनुरूप नहीं हैं। इसके अलावा, उपर्युक्त पालिसी की शर्तें विशिष्ट रूप से बेईमानी से भरे, धोखाधड़ीपूर्ण, आपराधिक अथवा दुर्भावपूर्ण कार्य अथवा चूक के प्रति अरक्षितता के जोखिम को अपवर्जित करती हैं जो आईआरडीएआई (कारपोरेट एजेंटों का पंजीकरण) विनियम, 2015 के विनियम 19(3) के अंतर्गत अनुसूची II के खंड (1)() के उपबंधों के अनुपालन में नहीं है।

11. सीए का प्रस्तुतीकरणः

सीए ने प्रस्तुतीकरण किया कि उक्त पालिसी 27 मई 2016 को जारी की गई थी और 26 मई 2017 तक (दोनों दिन सम्मिलित) विधिमान्य थी।

उक्त पालिसी जारी करते समय, बीमाकर्ता (दी ओरियन्टल इंश्योरेंस कंपनी लि.) ने गलत ढंग से दर्ज किया कि वह बीमा दलाल के लिए व्यावसायिक क्षतिपूर्ति पालिसी है। सीए ने तत्काल बीमाकर्ता का ध्यान इस विसंगति की ओर विशेष रूप से आकर्षित किया तथा उन्होंने विधिवत् अभिलिखित करते हुए एक पृष्ठांकन (इंडार्समेंट) जारी किया कि वह कारपोरेट एजेंट के लिए पालिसी है।

इसके अलावा, बेईमानी से भरे, धोखाधड़ीपूर्ण, आपराधिक अथवा दुर्भावपूर्ण कार्य अथवा चूक के प्रति अरक्षितता के जोखिम के अपवर्जन के संबंध में सीए ने प्रस्तुतीकरण किया कि इन आवश्यकताओं पर बल देते हुए उसने अपने बीमा दलाल के माध्यम से बीमाकर्ता के साथ इस विषय में संपर्क किया कि कवर में उपर्युक्त कार्य शामिल करना अनिवार्य (मैंडेटरी) है तथा इन्हें अपवर्जित नहीं किया जा सकता।

सीए ने सुनवाई के दौरान प्रस्तुतीकरण किया कि ओरियन्टल इंश्योरेंस द्वारा उक्त व्यावसायिक क्षतिपूर्ति पालिसी पर एक पृष्ठांकन (इंडार्समेंट) दिया गया है तथा इसे इस सुनवाई से एक दिन पहले प्राधिकरण को प्रस्तुत किया गया है। सीए ने प्रस्तुतीकरण किया कि व्यावसायिक क्षतिपूर्ति (पीआई) पालिसी से पूर्व में अपवर्जित जोखिम बीमाकर्ता द्वारा जारी किये गये उपर्युक्त पृष्ठांकन (इंडार्समेंट) के द्वारा शामिल किये गये हैं।

12. निर्णयः

सीए के द्वारा किये गये प्रस्तुतीकरणों को ध्यान में रखते हुए, सीए को यह सुनिश्चित करने का परामर्श दिया गया कि सीए के द्वारा ली गई व्यावसायिक क्षतिपूर्ति पालिसी सदैव आईआरडीएआई (कारपोरेट एजेंटों का पंजीकरण) विनियम, 2015 के विनियम 19 और समय-समय पर जारी किये गये संगत विनियामक अपेक्षाओं का अनुपालन करे।

13. आरोप सं. 4

आईआरडीएआई (कारपोरेट एजेंटों का पंजीकरण) विनियम, 2015 के विनियम 19(3) के अंतर्गत अनुसूची II के खंड 2() का उल्लंघन जो परिकल्पित करता है कि क्षतिपूर्ति कवर पंजीकरण की पूरी अवधि के लिए वार्षिक आधार पर होगा।

यद्यपि कारपोरेट एजेंट से अपेक्षित है कि वह व्यावसायिक क्षतिपूर्ति पालिसी 1 अप्रैल 2016 से रखे, तथापि उक्त व्यावसायिक क्षतिपूर्ति पालिसी की अवधि प्रत्येक वर्ष 27 मई से 26 मई तक है, सीए ने किसी क्रमभंग के बिना व्यावसायिक क्षतिपूर्ति (पीआई) पालिसी ली थी, परंतु वर्ष 2016-17 के लिए उक्त व्यावसायिक क्षतिपूर्ति पालिसी की पूर्वप्रभावी तारीख 27 मई 2016 के बजाय 27 मई 2017 है।

14. सीए का प्रस्तुतीकरणः

पालिसी की प्रति में पूर्वप्रभावी तारीख 27 मई 2016 के रूप में दर्ज है, न कि 27 मई 2017 जैसा कि एससीएन में अभिलिखित है। इस आरोप के संबंध में कि पूर्वप्रभावी तारीख में परिवर्तन किया गया है, सीए ने प्रस्तुतीकरण किया कि वे अपने इस प्रस्तुतीकरण के समर्थन में नवीनतम पालिसियाँ प्रस्तुत करेंगे कि उपर्युक्त तारीख में परिवर्तन नहीं किया गया है।

सुनवाई के उपरांत, सीए ने व्यावसायिक क्षतिपूर्ति (पीआई) पालिसी प्रस्तुत की जिसमें बीमाकर्ता द्वारा किया गया पृष्ठांकन निहित है जिससे पूर्वव्यापी तारीख सीए के पंजीकरण की तारीख से लागू की गई है।        

15. निर्णयः

सीए द्वारा किये गये प्रस्तुतीकरणों और प्रस्तुत किये गये दस्तावेजों पर ध्यान देते हुए सीए को परामर्श दिया जाता है कि आईआरडीएआई (कारपोरेट एजेंटों का पंजीकरण) विनियम, 2015 के विनियम 19 एवं समय-समय पर अधिसूचित इसी प्रकार की विनियामक अपेक्षाओं का निरंतर अनुपालन सुनिश्चित करे।

16. आरोप सं. 5

आईआरडीएआई (कारपोरेट एजेंटों का पंजीकरण) विनियम, 2015 के विनियम 26 के अंतर्गत आचरण-संहिता के खंड 3(ii)() के साथ पठित आईआरडीए परिपत्र सं. 017/आईआरडीए/ परिपत्र/सीए दिशानिर्देश/2005 दिनांक 14 जुलाई 2005 (कारपोरेट एजेंटों के लाइसेंसीकरण संबंधी दिशानिर्देश) 2005 के पैरा 16 का उल्लंघन, जो परिकल्पित करता है कि जहाँ बीमा किसी भी बड़े शेयरधारकों अथवा उनके सहयोगी द्वारा बेचे जा रहे उत्पाद के साथ एक अनुषंगी उत्पाद के रूप में बेचा जाता है, वहाँ एजेंट सुनिश्चित करेगा कि शेयरधारक अथवा उसका सहयोगी अन्य उत्पाद के खरीदार को आवश्यक रूप से अपने द्वारा बीमा उत्पाद खरीदने के लिए विवश नहीं करता।

यह देखा गया कि एन्जेल ब्रोकिंग प्रा. लि. के पास व्यापारिक और डीमैट खाता खोलनेवाले ग्राहकों के संबंध में, जिसके द्वारा ग्राहकों में यह गलतफ़हमी उत्पन्न की जाती है कि व्यापार से उत्पन्न होनेवाले लाभ का उपयोग बीमा प्रीमियम के प्रति किया जा सकता है तथा अलग से बीमा प्रीमियम अदा करने की आवश्यकता नहीं होगी। 

इस प्रकार से प्रस्ताव सं. 49929729 के अंतर्गत एक जीवन पालिसी सं. 006600989 का अपविक्रय किया गया तथा जब बीमित व्यक्ति ने धोखाधड़ी को समझा, उसने एक मामला सीडीआरएफ, बांद्रा, मुंबई के पास दर्ज किया जो कि लंबित है। दस्तावेजों का अनुशीलन करने के बाद यह विदित हुआ कि इस पालिसी का स्रोतीकरण मेसर्स एन्जेल ब्रोकिंग प्रा. लि. द्वारा किया गया है, न कि एन्जेल फाइनैंशियल एडवाइजर्स प्रा. लि. के द्वारा, जो कि कारपोरेट एजेंट है।     

17. सीए का प्रस्तुतीकरणः

सीए ने प्रस्तुतीकरण किया कि बीमा व्यवसाय केवल उनकी कंपनी के द्वारा संचालित किया जाता है, न कि किसी अन्य समूह कंपनी के द्वारा। एन्जेल ब्रोकिंग प्रा. लि. (एबीपीएल) ने किसी बीमा व्यवसाय का स्रोतीकरण नहीं किया है।

श्री डोमिनिक डी-सूजा का मामला एक अलग मामला है जहाँ बीमित व्यक्ति ने सीए पर झूठे आरोप लगाये हैं तथा इसे इस तथ्य से प्रमाणित किया गया है कि 31000 से अधिक पालिसियों में से इस प्रकार की केवल एक शिकायत की गई है। चूँकि यह मामला विचाराधीन है, अतः यह अनुमान नहीं लगाया जा सकता कि उक्त पालिसी गलत ढंग से शिकायतकर्ता को बेची गई थी। उपभोक्ता विवाद निवारण मंच के मामले से संबंधित टिप्पणी के संबंध में, शिकायतकर्ता ने स्वयं निश्चित मामले से कारपोरेट एजेंसी का नाम हटाने की प्रार्थना की है, जिसने निस्संदेह यह सिद्ध कर दिया कि उक्त शिकायत पूरी तरह झूठी थी, अन्यथा शिकायतकर्ता स्वयं शिकायत से उसका नाम हटाने का अनुरोध सीडीआरएफ से नहीं करता। बांद्रा, मुंबई स्थित शिकायत विवाद निवारण मंच ने शिकायतकर्ता की प्रार्थना स्वीकार की तथा शिकायत से कंपनी का नाम अपवर्जित करने के लिए आदेश पारित किया।

सीए ने सुनवाई के दौरान प्रस्तुतीकरण किया कि असावधानी के कारण, जिसे वे स्वीकार करते हैं, प्रस्ताव पर एन्जेल ब्रोकिंग की रबड़ मुहर लगाई गई थी।

18. निर्णयः

सीए का प्रस्तुतीकरण कि उक्त टिप्पणी के अंतर्गत उक्त मामला एक अलग मामला है, तर्कसंगत नहीं है क्योंकि एन्जेल ब्रोकिंग द्वारा अपेक्षा (सलिसिटेशन) के इसी प्रकार के मामले आरोप सं. 1 के अंतर्गत सम्मिलित हैं। सीए को समूह कंपनी एन्जेल ब्रोकिंग को लगाने की विक्रय प्रथा का अनुसरण करने के लिए चेतावनी दी जाती है। यह विचार करते हुए कि यह विशिष्ट मामला विचाराधीन है, आरोप पर बल नहीं दिया जा रहा है। तथापि, सीए को परामर्श दिया जाता है कि आईआरडीएआई (कारपोरेट एजेंटों का पंजीकरण) विनियम, 2015 के विनियम 26 के अंतर्गत आचरण संहिता के पैरा 3(ii)() के साथ पठित आईआरडीए परिपत्र सं. 017/आईआरडीए/परिपत्र/सीए दिशानिर्देश/2005 दिनांक 14 जुलाई 2005 (कारपोरेट एजेंटों के लाइसेंसीकरण संबंधी दिशानिर्देश) 2005 के पैरा 16 का अनुपालन सुनिश्चित करे।

19. निर्णयों का सारांशः

इस आदेश में निहित निर्णयों का सारांश निम्नलिखित हैः

आरोप का संक्षिप्त शीर्षक और अनुपालन न किये गये उपबंध

निर्णय

आरोप सं. 1 अपेक्षा (सलिसिटेशन) के लिए लाइसेंस नहीं प्राप्त समूह कंपनी एन्जेल ब्रोकिंग द्वारा अपेक्षा (सलिसिटेशन) के संबंध में

उपबंधः आईआरडीएआई (कारपोरेट एजेंटों का पंजीकरण) विनियम, 2015 के विनियम 26 के अंतर्गत आचरण संहिता का पैरा 3(ii)(क)

रु. 27 लाख का अर्थदंड और निदेश

आरोप सं. 2 विनिर्दिष्ट व्यक्तियों (एसपी) को छोड़कर अन्य व्यक्तियों द्वारा अपेक्षा (सलिसिटेशन) के संबंध में

उपबंधः आईआरडीएआई (कारपोरेट एजेंटों का पंजीकरण) विनियम, 2015 के विनियम 26 के अंतर्गत अनुसूची III का खंड 3(ii)(क) और 3(ii)(ड)

परामर्श

आरोप सं. 3 व्यावसायिक क्षतिपूर्ति (पीआई) पालिसी में क्षतिपूर्ति कवरेज

उपबंधः आईआरडीएआई (कारपोरेट एजेंटों का पंजीकरण) विनियम, 2015 के विनियम 19(3) के अंतर्गत अनुसूची II का खंड (i)(घ)  

परामर्श

आरोप सं. 4 व्यावसायिक क्षतिपूर्ति (पीआई) पालिसी की पूर्वव्यापी तारीख के संबंध में

उपबंधः आईआरडीएआई (कारपोरेट एजेंटों का पंजीकरण) विनियम, 2015 के विनियम 19 के अंतर्गत अनुसूची II का खंड 2()

परामर्श

आरोप सं. 5 अपविक्रय पर शिकायत से संबद्ध प्रश्न के संबंध में

उपबंधः आईआरडीएआई (कारपोरेट एजेंटों का पंजीकरण) विनियम, 2015 के विनियम 26 के अंतर्गत आचरण संहिता के पैरा 3(ii)(क) के उपबंधों के साथ पढ़े जानेवाले आईआरडीए परिपत्र सं. 017/आईआरडीए /परिपत्र/सीए दिशानिर्देश/2005 दिनांक 14 जुलाई 2005 (कारपोरेट एजेंटों के लाइसेंसीकरण संबंधी दिशानिर्देश) 2005 का पैरा 16

चेतावनी और परामर्श

 

20. जैसा कि संबंधित आरोपों के अंतर्गत निर्दिष्ट किया गया है, रु. 27 लाख (केवल सत्ताईस लाख रुपये) का अर्थदंड सीए के द्वारा एनईएफटी/आरटीजीएस के माध्यम से (जिसके लिए विवरण अलग से सूचित किया जाएगा) इस आदेश की प्राप्ति की तारीख से 45 दिन की अवधि के अंदर विप्रेषित किया जाएगा। विप्रेषण की सूचना श्री प्रभात कुमार मैती, महाप्रबंधक (प्रवर्तन) को भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण, सर्वे सं. 115/1, फाइनैंशियल डिस्ट्रिक्ट, नानकरामगूडा, गच्चीबाउली, हैदराबाद-500032 के पते पर भेजी जाए।

21. सीए इस आदेश के पैरा 4 से 18 तक में उल्लिखित सभी निदेशों के संबंध में अनुपालन की पुष्टि इस आदेश की प्राप्ति की तारीख से 45 दिन के अंदर करेगा। यह आदेश सीए की लेखा-परीक्षा समिति के समक्ष रखा जाएगा और तत्काल अगली बोर्ड बैठक में भी प्रस्तुत किया जाएगा तथा सीए विचार-विमर्श के कार्यवृत्त की एक प्रति प्राधिकरण को प्रस्तुत करेगा।

22. यदि सीए इस आदेश में निहित किसी भी निर्णय से असंतुष्ट है, तो बीमा अधिनियम, 1938 की धारा 110 के अनुसार प्रतिभूति अपीलीय न्यायाधिकरण (एसएटी) को अपील प्रस्तुत की जा सकती है।

हस्ता./-

(के. गणेश)

सदस्य (जीवन)

स्थानः हैदराबाद

दिनांकः 20 दिसंबर 2021

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